पांच सदस्यों से हुई थी शुरुआत, महिला समिति की तीन हजार सदस्याएं
सुकेश कुमार
चाईबासा : 19 साल से पश्चिम सिंहभूम में अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई का आगाज करने वाली जिला महिला समिति ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, डायन हत्या व बेटी बचाओ अभियान चलाकर नया अलख जगा रही है. समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन कर समिति महिलाओं को जागरूकता करने में जुटी है.
1995 में सिर्फ पांच सदस्य ने समिति की शुरुआत की गयी थी लेकिन आज इनके सदस्यों की संख्या तीन हजार को पार कर चुकी है. समिति का गठन सिस्टर गैरेमी तामराकुड़िल के नेतृत्व में किया गया था. उनके दिखाये गये मार्ग पर चलकर आज समिति नये मुकाम पर पहुंची है. अभी समिति की अध्यक्ष सिस्टर बसंती बेसरा है.
दी जाती है जड़ी-बूटी की शिक्षा
समिति की ओर से महिलाओं का ग्रुप बनाकर जड़ी-बूटी बनाने की शिक्षा दी जाती है. समिति के सदस्यों का कहना है कि इस तरह का कार्य कर महिलाएं काफी खुश होती है और अपने कामों को बेहतर तरीके से करती है.
डीसी अमित खरे ने दिया था हौसला
1995 में तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने जिला महिला समिति के कार्यों की सराहना की थी. वर्तमान अध्यक्ष बंसती बेहरा बताती है कि उनके द्वारा दिये गये हौसलों से ही आज इतनी बेहतर स्थिति में जिला महिला समिति खड़ी है.
1999 से संयुक्त महिला समारोह
जिला महिला समिति ने 1999 में महिला ग्रुपों को एक मंच पर लाने के लिए संयुक्त महिला समिति कार्यक्रम का आयोजन करने का फैसला लिया था. हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समारोह का आयोजन कर महिलाओं की समस्याओं को सुना जाता है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
जिला महिला समिति की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में मशरूम बनाना, सिलाई, कढ़ाई, खेती करवाना, किचन, गार्डन आदि कामों पर समिति का अधिक जोर रहता है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर करना, डायन हत्या के प्रति जागरूक लाना, अंधविश्वास को दूर करना हमारा मुख्य उद्देश्य है. समिति के सदस्य इस पर बेहतर तरीके से कार्य कर रही है और आगे भी करती रहेगी. मैं गर्व महसूस करना हूं जो मुङो इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
सिस्टर बसंती बेहरा, अध्यक्ष, महिला समिति