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कौन हैं बाइकर्स!

!!टॉप गियर!! क्रांति संभव:ऑटो एक्सपर्ट हाल ही में राजधानी दिल्ली की सड़कों पर बाइक स्टंट कर रहे नौजवानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने गोली चलायी थी. इसमें एक युवक की मौत हो गयी. इस घटना पर लोगों की अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आयीं, लेकिन हर बार की तरह इस बहस से कुछ मूल […]

!!टॉप गियर!!

क्रांति संभव:ऑटो एक्सपर्ट

हाल ही में राजधानी दिल्ली की सड़कों पर बाइक स्टंट कर रहे नौजवानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने गोली चलायी थी. इसमें एक युवक की मौत हो गयी. इस घटना पर लोगों की अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आयीं, लेकिन हर बार की तरह इस बहस से कुछ मूल बातें गायब ही रहीं. ऐसी ही बातों पर एक नजर.

टीवी, अखबार, ट्विटर और फेसबुक यानी मीडिया और सोशल नेटवर्किग के सभी माध्यम अंट गये थे इस मौत की खबर से. कैसे दिल्ली के बीचोंबीच मुख्य सड़क पर स्टंट करनेवाले नौजवानों पर दिल्ली पुलिस ने गोली चलायी और एक नौजवान मारा गया, एक घायल हो गया. इस पर पारंपरिक मीडिया में यह बहस छायी रही कि दिल्ली पुलिस ने स्टंटबाजों से निपटने के लिए गोली क्यों चलायी? यह सही सवाल था. वहीं सोशल नेटवर्किग में जोरदार प्रतिक्रिया देखने को मिली कि ऐसे स्टंटबाजों को सजा मिलनी ही चाहिए. कैसे इनसे आम लोग त्रस्त हैं और कैसे ये स्टंटबाज सड़कों पर किलर की भूमिका में घूमते रहते हैं. और यह कहना जरूरी नहीं कि इनमें से ज्यादातर बहस में कुछेक सवाल गौण हो गये. गरमागरम बहस में कुछ कारण और कारक सुनाई नहीं दिये.

यह तो एक अहम सवाल था ही कि पुलिस ने गोली क्यों चलायी? क्या स्टंटबाजी की सजा गोली होनी चाहिए? लेकिन एक सवाल यह भी उठना चाहिए था कि आखिर इतनी हिम्मत कहां से आती है इन नौजवानों में, कि वो न सिर्फ देश की राजधानी की सड़क पर झुंड में स्टंट करने निकलते हैं, बल्कि पुलिस पर पथराव भी करते हैं और पुलिस से जोराजोरी भी. आखिर में पुलिस कार्रवाई करती है. और इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना बहुत मुश्किल नहीं है. पुलिस- प्रशासन अगर नियमों को ढंग से लागू करता, कानून का थोड़ा भी डर पैदा करता, तो ऐसा शायद नहीं होता. और यह नौबत भी नहीं आती कि अचानक एक दिन गोली ही चलानी पड़े.

पुलिस की तरफ से कहा गया कि स्टंट कर रहे बाइकर पर नहीं, बल्कि पहिये पर गोली चलायी गयी थी, जो बाइकर को लग गयी. अद्भुत लॉजिक सुनने को मिला. लेकिन यह जरूर दिमाग में आता है कि आखिर उन्हें रोकने का क्या यही एकमात्र तरीका बचा था? इन सबके बीच लोगों कि जिज्ञासा यह भी है कि आखिर कौन हैं बाइकर्स? किन्हें कहा जा सकता है बाइकर? जो चलते हैं बाइक्स पर, जो मोटरसाइकिलों पर आते-जाते दिखते हैं? या फिर वे नौजवान, जो शहरी ट्रैफिक के बीच, गाड़ियों की भीड़ को काटते-चीरते हुए, हुर्र-हुर्र करते मोटरसाइकिल से भागते जाते हैं? जो मौका मिलते ही फौरन अपनी बाइक को एक पहिये पर उठा कर भगाना शुरू कर देते हैं या जिसे आमभाषा में कहते हैं, स्टंट करने लगते हैं? आम लोगों की नजर में यही हैं बाइकर. ऐसे मोटरसाइकिल सवार जब एक साथ 4-5 लोगों के झुंड में चलें, तो फिर ये बाइकर गैंग कहलाने लगते हैं. अब इस परिभाषा से किसी को कोई समस्या नहीं होती, बल्कि किसी को फर्क भी नहीं पड़ता है. फर्क पड़ता है, तो उनको जो खुद को असल बाइकर मानते हैं. जो मोटरसाइकिलों से, बाइक्स से प्यार करते हैं. जिनमें से कुछ ने मुङो संदेश भेजा कि बाइकर की छवि खराब हो रही है और वे लोग ऐसा कर रहे हैं, जिन्हें बाइकर कह भी नहीं सकते. वे असली बाइकर्स का नाम खराब कर रहे हैं. एक तरह से चिंता सही भी है.यह बहस आते-जाते उठती-बैठती रहती है. इस बार एक और दुर्घटना ने इस पर सबका ध्यान खींचा. इस बार कहानी ज्यादा दर्दनाक हो गयी.

दिल्ली, मुंबई में क्या, छोटे-छोटे शहरों में भी मोटरसाइकिलों पर स्टंट करने का शौक बहुत से यंगस्टर्स को लग चुका है, जो शहर के किसी भी कोने में इकट्टा होकर स्टंट सीखते हैं, प्रैक्टिस करते हैं और फिर खुद स्टंट करते भी हैं. मैंने भी कई बार अपनी शूटिंग के दौरान नौजवानों को देखा है स्टंट करते हुए. सही और गलत की बहस से दूर रहते हुए मैं दो ही सलाह देकर निकल जाता रहा हूं कि सेफ्टी गियर पहन कर स्टंट करो और आम सड़कों पर मत करो. सुरक्षित स्थान पर करो, जहां ट्रैफिक न हो. लेकिन यह उम्र ऐसी है, जो सेफ्टी को गैरजरूरी समझती है और ऐहतियात को कमजोरी. इसीलिए आम सड़कों पर हम देखते रहते हैं ऐसे स्टंटबाज नौजवानों को, जान जोखिम में डाल कर दूसरों के लिए भी खतरा बनते हुए. लेकिन क्या ये वाकई इतने खतरनाक हैं जिनके बारे में बातें होती हैं? हम आये दिन बीएमडब्ल्यू कांड और लैंड क्रूजर कांड के बारे में सुनते रहते हैं. हीरो या होंडा कांड नहीं सुनते हैं. ये स्टंटबाज बड़े बाप के बच्चे नहीं हैं, न ही कोई फिल्म स्टार. जब आप सच्चाई की पड़ताल करेंगे, तब पता चलेगा कि ये बाइकर नहीं हैं, ये नौजवान हैं जो हुड़दंगी हैं. इनके पास मोटरसाइकिल का पैसा है, तो बाइक पर हुड़दंग करते हैं. कार का पैसा होगा, तब कार पर भी करेंगे. और ये अकेले नहीं हैं. देश के ज्यादातर ड्राइवर के अंदर शायद एक ऐसा ही हुड़दंगी स्टंटबाज छिपा हुआ है.

भारत में हर साल करीब 1 लाख 39 हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा. चीन से भी ज्यादा. और इनमें से 20 फीसदी के आसपास ही दुपहिया वाले एक्सिडेंट होते हैं. तो बाइकर वाला मुद्दा सबके लिए दिलचस्प है इसलिए इतना उठता है. समस्या तो कहीं और है. वह है नियमों को लागू न किया जाना. और जब तक वह नहीं होगा, खतरनाक ड्राइवर और राइडर बेझिझक देश की सड़कों पर गाड़ियां भगाते रहेंगे और हेडलाइन बनाते रहेंगे.

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