वह हर गली-मोहल्ले के चक्कर लगाती है. घर-घर में पूछती है कि आपके घर में कोई अनपढ़ तो नहीं है. शहर के आस-पास के झुग्गी-झोपड़ी में भी जाने से वह नहीं कतराती है. कई बार उसे दुत्कार भी मिलती है, उसके पीठ पीछे लोग तरह-तरह की बातें भी करते हैं, लेकिन नंदिनी इन सबकी परवाह किये बिना ही अपने काम को अंजाम देती है.
समाज सेवा और महिला एवं बाल विकास की जो मुहिम नंदिनी ने शुरू की, वो अब एक व्यापक रूप ले चुकी है. नंदिनी सिंह आगरा के झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवाली महिलाओं और बच्चे-बच्चियों को साक्षर तो कर ही रही हैं साथ ही उन्हें स्वरोजगार प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम भी उन्होंने सफलतापूर्वक किया है. हालात यह है कि रोजाना कई महिलाएं और बच्चे नंदिनी से शिक्षा और स्वरोजगार को लेकर संपर्क करती हैं, ताकि उन्हें नंदिनी के माध्यम से मदद मिल सके. अब आलम यह है कि आज कई महिलाएं नंदिनी के साथ काम करने को इच्छुक हैं.
महिलाओं की बनी प्रेरणा
आगरा : शहर में नंदिनी का नाम महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गया है. नंदिनी ने गरीब लड़कियों को अब एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग), सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर आदि का काम भी कराना शुरू कर दिया है. नंदिनी आगरा की गरीब और बेसहारा महिलाओं और बच्चियों के लिए उम्मीद की किरण बन गयी हैं. उसी झोपड़ी में वर्षो से रहनेवाली एक महिला कहती है कि मैं पिछले कई सालों से उसे देख रही हूं. वक्त और हालात बदल गये, लेकिन उसकी कर्मठता और लोगों की मदद करने का जुनून नहीं बदला और न उसके हौसले में कोई कमी आयी. हमारी-आपकी तरह साधारण-सी यह लड़की पिछले कई सालों से आगरा और गाजियाबाद में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों और उनके विकास के लिए काम कर रही है.
मदद के लिए कैरियर छोड़ा
नंदिनी टीवी एंकर रह चुकी हैं, लेकिन उनका लक्ष्य तो जरूरतमंदों की मदद करना था, सो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी ‘थिरकन’ नाम की एक संस्था बनायी, जिसके बैनर तले वह काम करती हैं.
बनें जिम्मेवार नागरिक
नंदिनी कहती है कि, ‘मैं चाहती हूं कि हर महिला शिक्षा ग्रहण करे. जिन महिलाओं के पास समय और संसाधनों का अभाव है, उन्हें हम अपना थोड़ा सा समय देकर उन्हें साक्षर तो बना ही सकते हैं. मेरे थोड़े से प्रयास से अगर इतने लोग साक्षर हो सकते हैं, अपना रोजगार कर सकते हैं, तो यदि देश का हर जिम्मेदार नागरिक अपने कर्तव्य का निर्वहन करे, तो बहुत सी समस्याओं का अंत हो सकता है.