दक्षा वैदकर
राकेश बहुत परेशान था. उसे महसूस हो रहा था कि उसकी पत्नी को कान में कोई समस्या है और उसे सुनने में परेशानी होती है. शायद उसे सुनने की मशीन लगाने की जरूरत है. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस बात को अपनी पत्नी से कैसे कहे. वह यह समस्या लेकर डॉक्टर के पास गया और हल पूछा.
डॉक्टर ने कहा, पहले हमें यह पता लगाना होगा कि तुम्हारी पत्नी को क्या सचमुच सुनने में परेशानी आती है? वह कितनी दूर की आवाज सुन नहीं पाती है? तुम घर जा कर एक प्रयोग करो. 40 फुट दूर से नॉर्मल आवाज में पत्नी से कुछ कहो, अगर वह जवाब न दे, तो 30 फुट की दूरी से कहो. उसके बाद 20 फुट और इसी तरह उसके करीब तब तक जाते जाओ जब तक वह कोई जवाब न दे. उस शाम वह घर आया. पत्नी किचन में खाना बना रही थी. उसने सोचा कि यही प्रयोग करने का सही समय है.
उसने 40 फुट की दूरी से कहा- डियर, आज खाने में क्या बना है? पत्नी ने कोई जवाब नहीं दिया. अब वह 30 फुट की दूरी पर आगया और बोला- डियर, आज खाने में क्या बना है? पत्नी ने अब भी जवाब नहीं दिया. अब वह 20 फुट की दूरी पर आ गया और फिर वही सवाल पूछा- डियर, आज खाने में क्या है? पत्नी ने फिर भी कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया. वह 10 फुट पर आकर बोला. पत्नी ने फिर कोई जवाब नहीं दिया. अब वह पत्नी को लेकर बहुत चिंतित हो गया. आखिरकार उसने पत्नी का मुंह अपनी तरफ किया और पूछा- आज खाने में क्या बना रही हो? पत्नी ने झल्ला कर कहा- अब बहुत हो गया राकेश. तुम पांचवीं बार मुझसे यही सवाल पूछ रहे हो. मैं जवाब दे-देकर थक गयी हूं कि मैं आलू पराठा बना रही हूं.
यह कहानी मुङो व्हॉट्सएप्प पर आयी. ये भले ही जोक हो, पर असल जिंदगी में हम कुछ ऐसा ही करते हैं. कई बार हमें लगता है कि सामने वाले का व्यवहार बहुत अजीब है. वह ठीक से जवाब नहीं देता. झगड़ता रहता है. काम नहीं करता. बदतमीज है. लेकिन सच तो यह होता है कि हमारी ही व्यवहार अजीब होता है और वह केवल हमारी ही अजीब हरकतों के जवाब में हमसे झगड़ता है.
बात पते की..
यह जरूरी नहीं है कि जो हम सोच रहे हैं, वह बिल्कुल सही हो. यह भी मानने की हिम्मत रखें कि आप गलत हो सकते हैं और सामने वाला सही.
हमें केवल सामने वाले में कमियां दिखती हैं. हम यह मानना ही नहीं चाहते हैं कि हमारी अंदर भी कमियां हो सकती हैं, जिसका इलाज जरूरी है.