Advertisement
स्मृति शेष : फोटो पत्रकार कृष्ण मुरारी किशन को याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर, फोटो बनाने की थी उनके अंदर एक आग
एमजे अकबर बात साल 1976 की है. मैं संडे मेल में काम करता था. इसी सिलसिले में पटना आया था. मेरे साथ वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर भी थे. कृष्ण मुरारी किशन से सबसे पहले यहीं मिला. वह आये और कहा, कुछ तसवीरें लाया हूं. उनके जज्बातों को देख कर मैंने उन्हें मौका दिया. उनकी आंखों […]
एमजे अकबर
बात साल 1976 की है. मैं संडे मेल में काम करता था. इसी सिलसिले में पटना आया था. मेरे साथ वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर भी थे. कृष्ण मुरारी किशन से सबसे पहले यहीं मिला. वह आये और कहा, कुछ तसवीरें लाया हूं. उनके जज्बातों को देख कर मैंने उन्हें मौका दिया. उनकी आंखों में पत्रकारिता की गजब की आग और लगन थी. आपातकाल के दिन थे.
उस समय का उनका साहस मुङो आज तक याद है. उन दिनों किशन की आमदनी नहीं के बराबर थी, शायद मैकेनिक थे वह. लेकिन, जबरदस्त जलन था दिल में. एक आग थी कि फोटो बने. मुङो याद नहीं, उनके पास कैमरे किस तरह के थे. उनकी एनर्जी और चीजों को गंभीरता से देखने के उनके निर्णय ने मुङो प्रभावित किया और मैंने ‘संडे’ के लिए हां कह दी. उन्होंने जो भी तसवीरें भेजीं, वे गजब की थीं. डॉ जगन्नाथ मिश्र की हर अंगुली में अंगूठी और जेल में बंद काली पांडेय की जीवंत तसवीरें. जयप्रकाश नारायण का आंदोलन, 1977 का आम चुनाव, सारी चीजें बेमिसाल थीं. वह सब आज मुङो उसी तरह याद है.
जब चुनाव कैंपेन आरंभ हुआ, तो उन दिनों दूरदर्शन का जमाना था. इतने समाचार चैनल नहीं थे. सरकारी चैनल होने के कारण दूरदर्शन पर सिर्फ सरकारी खबरें और इंदिरा गांधी व कांग्रेस नेता देवकांत बरूआ की तसवीरें दिखायी जाती थीं.
एक किशन ही थे, जो जेपी, चंद्रशेखर और कपरूरी ठाकुर जैसे विपक्ष के दिग्गज नेताओं की तसवीरों को देश-दुनिया तक पहुंचा रहे थे. जेल से बाहर आने के बाद जॉर्ज फर्नाडीस की भी तसवीरें उन्होंने भेजीं, जो अद्भुत थीं. मेरा मानना है कि किशन की वे तसवीरें तत्कालीन माहौल में एक चिनगारी, आग लगानेवाली साबित हुई थीं. जनता सरकार बनी. उन दिनों की तसवीरों का किशन का अलबम ऐतिहासिक है. सच कहिए तो किशन फोटाग्राफर नहीं, बल्कि ग्राफिक हिस्टोरियन थे.
बिहार के इतिहास में उनसे बड़ा कोई दूसरा फोटोग्राफर नहीं देखा. धनबाद के माफिया की तसवीरें हों या किसी राजनेता की, किशन हमेशा सबसे आगे रहे.
कई मुख्यमंत्री और सत्ता शीर्ष उनके खास दोस्त रहे. वे उनके जितने भी करीब रहे हों, किशन की तसवीरें भी उतनी ही सच्ची होती थीं. आज तो दुनिया भर में उनकी तसवीरें प्रकाशित होती हैं. उन दिनों एक लैंब्रेटा स्कूटर था उनके पास. उनके स्कूटर पर पीछे बैठने का मुङो भी सौभाग्य मिला. मैं जब भी पटना आया, किशन मेरे साथ रहे. किशन के स्कूटर पर बैठ कर पटना से निकल कर जेपी के आश्रम तक चला जाता था. एक जमाने में जब मैं बिहार से लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था, किशन हमेशा मेरे साथ रहे. पिछली बार मैं पटना आया, तो उन्होंने कहा, खाना आप मेरे ही घर खायेंगे. वे बहुत बहादुर, निडर और बेधड़क थे. एक बार गोली भी उन पर चली थी. गोली से तो वह बच गये, मगर इस बार वह हार गये.
मैं ऊपरवाले का शुक्रगुजार हूं कि किशन जैसे सज्जन व्यक्ति से मेरा संबंध बना. वह पूरी तरह सजग और ईमानदार रहे. मेरे दोस्त थे, छोटे भाई का संबंध था. बिहार सरकार को किसी-न-किसी रूप में किशन को याद करना चाहिए.
(ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश से बातचीत पर आधारित)
फोटोग्राफी में उनके नाम से जाना जाता था बिहार
कन्हैया भेलारी
कृष्ण मुरारी किशन से 1976-77 में मेरी मुलाकात हुई थी. शुरुआती दिनों में वह साइकिल से चलते थे. एयरपोर्ट जाना और फिर आकर तसवीरें भेजना. गजब का साहस और धैर्य था. पत्रकारिता जगत में खासकर फोटोग्राफी में उनके नाम से बिहार जाना जाता था. हमने भी अपनी मैगजीन के लिए उनको अनुबंधित किया था. जब मैं द वीक पत्रिका से जुड़ा, तो उसके दक्षिण भारतीय प्रबंधन ने किशन का नाम लेते हुए कहा था कि यदि वह हमलोगों के साथ आ जायेंगे, तो पत्रिका अच्छी चल जायेगी. गहन बेहोशी में जाने के पहले तक वे अपने प्रोफेशन से जुड़े रहे. मेहनती थे.
तसवीर राजनीति से जुड़ी हो या अन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण, किशन ने कभी कोताही नहीं बरती. हाल के दिनों में उनके पैर में खराबी आ गयी थी. इसके बावजूद उनके काम करने की गति में कहीं से आंच नहीं आयी. फोटो जर्नलिस्ट थे, मृदुभाषी थे और खास यह कि गुस्सा नहीं करते थे. एक बार वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा से मुलाकात हुई. उन्होंने कहा कि फोटो आप सिर्फ किशन से ही लेना, वही एक फोटोग्राफर हैं. उन्होंने कहा था ‘बिहार का मतलब किशन और किशन का मतलब बिहार’. बिंदेश्वरी दूबे मुख्यमंत्री थे. उनके चिकन खाने की तसवीरें हिट थीं. उनका नहीं रहना एक बड़ी रिक्तता है. एमजे अकबर जैसे वरिष्ठ पत्रकार जब भी बिहार आते, किशन उनके साथ होते थे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement