महिला सशक्तीकरण का अनूठा प्रयास है गाजिर्यन गवर्नमेंट
राणा अवधूत कुमार’
घरों में रहनेवाली महिलाओं ने अपने हुनर से इलाके के पिछड़े–अनपढ़ महिलाओं को साक्षर बनाने की पहल की है. जिसे लोगों ने नाम दिया है गाजिर्यन गवर्नमेंट.. इसके अंतर्गत तीन हजार छात्रएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.
एक मिसाल
पिछड़े क्षेत्रों में अलख जगाती गाजिर्यन गवर्नमेंट की तारीफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं कर चुके हैं. कैमूर जिला के रामगढ़ प्रखंड के कई स्कूलों–कॉलेजों में गाजिर्यन गवर्नमेंट चलती है. नारी सशक्तीकरण की इस अद्भूत मिसाल का सूत्र वाक्य है, इंतजार नहीं हम खुद इंतजाम करेंगे. तभी तो इस क्षेत्र के अभिभावक अपनी बेटियों की शिक्षा पर सालाना करीब एक करोड़ रुपये खर्च करते हैं. इस बजट से कॉलेज–स्कूल के अतिरिक्त शिक्षकों का वेतन, स्कूल बसों का रखरखाव और गरीब बच्चियों के किताब–कॉपी की व्यवस्था की जाती है. रामगढ़ के कई स्कूल–कॉलेजों में सरकारी शिक्षकों के अलावे करीब 50 से अधिक निजी शिक्षक बहाल किये गये हैं. जो सरकारी शिक्षकों के समानांतर ही शिक्षा देते हैं.
लोगों ने की पहल
गाजिर्यन गवर्नमेंट के अनूठे प्रयास की शुरुआत 23 वर्ष पहले हुई थी, तब शिक्षा का स्तर काफी बदतर था. दरअसल इस क्षेत्र के लोगों ने बेटियों को पढ़ाने की विशेष पहल 1990 में ही कर दी थी. सरकार के पास संसाधन का टोटा होने की स्थिति में यहां के लोगों ने हाथ पर हाथ धरे रहने की अपेक्षा खुद के स्तर पर कुछ कर दिखाने का प्रयास किया. अभिभावकों ने फंड उगाही के साथ लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया . सरकारी तौर पर 1500 छात्रओं के पढ़ने के लिए सीटें निर्धारित हैं, लेकिन बाकी 1500 छात्रओं के पढ़ाई के लिए अतिरिक्त 30 महिला शिक्षकों की नियुक्ति की गयी हैं. कॉलेज में पांच बसें हैं, जो दूर–दराज के हजारों छात्रओं को पहुंचाने का कार्य करती हैं गाजिर्यन गवर्नमेंट में एक कॉलेज के अलावा गल्र्स हाइ स्कूल भी चलता है.
शिक्षित होगा पूरा परिवार
गाजिर्यन गवर्नमेंट के सचिव राधा मोहन सिंह कहते हैं कि बेटियों के बाद अब बहुओं को भी इस विशेष मुहिम में शामिल कर लिया गया है. इस कॉलेज में क्षेत्र की करीब 50 बहुएं जो कल तक घरों में कैद रहती थीं, अब वे भी पढ़ने, कुछ सीखने के लिए घरों से बाहर निकल रही हैं. आधी आबादी को मजबूत करने का इससे बेहतर उपाय कुछ और नहीं हो सकता. यदि महिलाएं –बच्चियां शिक्षित होंगी तभी पूरा परिवार साक्षर हो सकेगा. गांव की बच्चियां पढ़ेंगी, तभी ये आगे बढ़ेंगी.