ऑफिस में लगा एयर कंडीशनर डेस्क जॉब करनेवाले लोगों को जहां गरमी और उमस का एहसास नहीं होने देता, वहीं कुछ लोगों के लिए आठ-नौ घंटे की नौकरी के दौरान लगातार एसी की ठंड को बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है. हर व्यक्ति के शरीर की सहनशीलता अलग- अलग होती है. किसी का शरीर 24 घंटे एसी की कूलिंग में सहज रहता है, तो किसी को 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में बैठने पर कुछ देर में ही ठंड लगने लगती है.
ऑफिस में लगे सेंट्रलाइज्ड एसी का तापमान किसी एक व्यक्ति की सहजता या असहजता के हिसाब से नहीं बदला जाता. ऐसे में लगातार ठंड के कारणकुछ लोगों को क्यूबिकल कोल्ड का सामना करना पड़ता है. हां, मगर कुछ सावधानियां बरत कर इस समस्या से राहत पायी जा सकती है.
इएनटी (नाक, कान, गला) रोग विशेषज्ञ डॉ रोहिणी शास्त्री बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में क्यूबिकल कोल्ड की समस्या आम हो चुकी है. खासतौर से मॉनसून और गरमी के मौसम में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. ऑफिस में एसी की ठंड और बाहर निकलने पर गरमी में आने के चलते शरीर के तापमान में काफी बदलाव आता है, जिससे क्यूबिकल कोल्ड की समस्या पैदा होती है. डॉ रोहिणी बताती हैं कि ऑफिस के अलावा एयरकंडीशंड मॉल और हॉस्पिटल में काम करनेवाले लोग भी इस समस्या का शिकार होते हैं.
क्यूबिकल कोल्ड के लक्षण
इस समस्या में लोगों को ऑफिस में रहने के दौरान बंद नाक की शिकायत रहती है. कुछ लोगों को तो एसी में ज्यादा समय तक रहने से लगातार छींक आना और सूखी खांसी की समस्या भी हो जाती है. क्यूबिकल कोल्ड की समस्या से पीड़ित 90 प्रतिशत लोग यही शिकायत करते हैं कि ऑफिस में लगातार घंटों तक एसी चलने के कारण उन्हें ठंड महसूस होती है, जिससे ये समस्याएं पैदा होने लगती हैं. डॉ रोहिणी बताती हैं कि जो लोग पहले से किसी प्रकार की एलर्जी का शिकार हैं, उनमें क्यूबिकल कोल्ड की वजह से आंखों से पानी आने, लगातार छींक आने और सिद में दर्द होने की शिकायत भी हो सकती है.
सावधानी बरतना जरूरी
डॉ रोहिणी कहती हैं कि खान-पान में कुछ परिवर्तन करके क्यूबिकल कोल्ड की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. वे कहती हैं कि इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने खान-पान में विटामिन ए, ई और सी युक्त भोज्य पदाथरें को ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए. ये विटामिन शरीर को ठंड के प्रभाव से सुरक्षित रखने का काम करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान कर संक्रमण से लड.ने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं. वहीं क्यूबिकल कोल्ड का सामना करनेवाले लोगों को ठंडे पेय पदाथरें, तैलीय और मसालेदार भोजन के सेवन से भी बचना चाहिए.
साथ ही, एयर कंडीशनर के फिल्टर की नियमित रूप से सफाई भी करवानी चाहिए. नियमित रूपसे एसी की सर्विसिंग न कराने पर भी उसमें बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं, जिनसे फंगल इनफेक्शन फैलने की आशंका काफी बढ. जाती है. डॉ रोहिणी कहती हैं कि एसी के बढ़ते चलन के कारण अधिकतर ऑफिस में फिक्स विंडो यानी कि ऐसी खिड़कियां लगायी जाने लगी हैं, जिनके शीशे फिक्स होते हैं. इन खिड.कियों को शायद ही कभी खोला जाता है.
चुंकि एसी की हवा पूरे ऑफिस में सकरुलेट होती है, इसलिए किसी भी कोने में पैदा होनेवाले बैक्टीरिया लोगों में सर्दी जुकाम की समस्या फैला सकते हैं. यदि किसी एक कोने में भी संक्रमण पैदा होता है, तो वह एसी की हवा के साथ पूरे ऑफिस में फैल जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए एसी लगे कमरे में भी हवा के आवागमन पर पूरा ध्यान देना चाहिए.
एसी लगे कमरे की खिड.कियां दिन में कम से कम एक घंटे के लिए जरूर खोलनी चाहिए, ताकि कमरे में प्राकृतिक हवा आ सके. इतना ही नहीं, ऐसा करने से कमरे की दूषित हवा भी बाहर निकल जायेगी, जो सेहत के लिए फायदेमंद है. साथ ही, इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं भी धूलकण न जमा हों.ऑ फिस में लगा एयर कंडीशनर डेस्क जॉब करनेवाले लोगों को जहां गरमी और उमस का एहसास नहीं होने देता, वहीं कुछ लोगों के लिए आठ-नौ घंटे की नौकरी के दौरान लगातार एसी की ठंड को बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है. हर व्यक्ति के शरीर की सहनशीलता अलग- अलग होती है. किसी का शरीर 24 घंटे एसी की कूलिंग में सहज रहता है, तो किसी को 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में बैठने पर कुछ देर में ही ठंड लगने लगती है. ऑफिस में लगे सेंट्रलाइज्ड एसी का तापमान किसी एक व्यक्ति की सहजता या असहजता के हिसाब से नहीं बदला जाता. ऐसे में लगातार ठंड के कारणकुछ लोगों को क्यूबिकल कोल्ड का सामना करना पड.ता है. हां, मगर कुछ सावधानियां बरत कर इस समस्या से राहत पायी जा सकती है.
इएनटी (नाक, कान, गला) रोग विशेषज्ञ डॉ रोहिणी शास्त्री बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में क्यूबिकल कोल्ड की समस्या आम हो चुकी है. खासतौर से मॉनसून और गरमी के मौसम में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. ऑफिस में एसी की ठंड और बाहर निकलने पर गरमी में आने के चलते शरीर के तापमान में काफी बदलाव आता है, जिससे क्यूबिकल कोल्ड की समस्या पैदा होती है. डॉ रोहिणी बताती हैं कि ऑफिस के अलावा एयरकंडीशंड मॉल और हॉस्पिटल में काम करनेवाले लोग भी इस समस्या का शिकार होते हैं.
क्यूबिकल कोल्ड के लक्षण
इस समस्या में लोगों को ऑफिस में रहने के दौरान बंद नाक की शिकायत रहती है. कुछ लोगों को तो एसी में ज्यादा समय तक रहने से लगातार छींक आना और सूखी खांसी की समस्या भी हो जाती है. क्यूबिकल कोल्ड की समस्या से पीड.ित 90 प्रतिशत लोग यही शिकायत करते हैं कि ऑफिस में लगातार घंटों तक एसी चलने के कारण उन्हें ठंड महसूस होती है, जिससे ये समस्याएं पैदा होने लगती हैं. डॉ रोहिणी बताती हैं कि जो लोग पहले से किसी प्रकार की एलर्जी का शिकार हैं, उनमें क्यूबिकल कोल्ड की वजह से आंखों से पानी आने, लगातार छींक आने और सिद में दर्द होने की शिकायत भी हो सकती है.
सावधानी बरतना जरूरी
डॉ रोहिणी कहती हैं कि खान-पान में कुछ परिवर्तन करके क्यूबिकल कोल्ड की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. वे कहती हैं कि इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने खान-पान में विटामिन ए, ई और सी युक्त भोज्य पदाथरें को ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए. ये विटामिन शरीर को ठंड के प्रभाव से सुरक्षित रखने का काम करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान कर संक्रमण से लड.ने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं. वहीं क्यूबिकल कोल्ड का सामना करनेवाले लोगों को ठंडे पेय पदाथरें, तैलीय और मसालेदार भोजन के सेवन से भी बचना चाहिए.
साथ ही, एयर कंडीशनर के फिल्टर की नियमित रूप से सफाई भी करवानी चाहिए. नियमित रूपसे एसी की सर्विसिंग न कराने पर भी उसमें बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं, जिनसे फंगल इनफेक्शन फैलने की आशंका काफी बढ. जाती है. डॉ रोहिणी कहती हैं कि एसी के बढ.ते चलन के कारण अधिकतर ऑफिस में फिक्स विंडो यानी कि ऐसी खिड.कियां लगायी जाने लगी हैं, जिनके शीशे फिक्स होते हैं. इन खिड.कियों को शायद ही कभी खोला जाता है. चुंकि एसी की हवा पूरे ऑफिस में सकरुलेट होती है, इसलिए किसी भी कोने में पैदा होनेवाले बैक्टीरिया लोगों में सर्दी जुकाम की समस्या फैला सकते हैं.
यदि किसी एक कोने में भी संक्रमण पैदा होता है, तो वह एसी की हवा के साथ पूरे ऑफिस में फैल जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए एसी लगे कमरे में भी हवा के आवागमन पर पूरा ध्यान देना चाहिए. एसी लगे कमरे की खिड.कियां दिन में कम से कम एक घंटे के लिए जरूर खोलनी चाहिए, ताकि कमरे में प्राकृतिक हवा आ सके. इतना ही नहीं, ऐसा करने से कमरे की दूषित हवा भी बाहर निकल जायेगी, जो सेहत के लिए फायदेमंद है. साथ ही, इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं भी धूलकण न जमा हों.