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नेशनल गेम्स खरीद घोटाला: सुरेश कलमाडी, एएसवी प्रसाद व मधुकांत से पूछताछ
रांची : निगरानी विभाग की टीम ने सोमवार को भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाडी, नेशनल गेम्स आयोजन समिति के निदेशक एएसवी प्रसाद और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक से पूछताछ की. निगरानी रांची में हुए 34वें नेशनल गेम्स 2010 के लिए खेल सामग्रियों की खरीद में 28.38 करोड़ के घोटाले की जांच कर रहा […]
रांची : निगरानी विभाग की टीम ने सोमवार को भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाडी, नेशनल गेम्स आयोजन समिति के निदेशक एएसवी प्रसाद और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक से पूछताछ की. निगरानी रांची में हुए 34वें नेशनल गेम्स 2010 के लिए खेल सामग्रियों की खरीद में 28.38 करोड़ के घोटाले की जांच कर रहा है. निगरानी टीम ने श्री कलमाडी से पूछा कि स्पोर्ट्स इक्वीपमेंट परचेज कमेटी के अध्यक्ष ललित के भनोट द्वारा बताया गया है कि नेशनल गेम्स के आयोजन में सरकार के दूसरे विभाग की तरह काम नहीं होता है.
मौखिक आदेश पर भी कई काम होते हैं. क्या यह सही है? कलमाडी इसका जवाब नहीं दे सके. उन्होंने फिर कहा कि उनके स्तर से खेल सामग्रियों की खरीद के लिए कोई लिखित या मौखिक निर्देश आयोजन समिति को नहीं दिया गया था. वहीं नेशनल गेम्स आयोजन समिति के निदेशक एएसवी प्रसाद ने निगरानी को बताया कि खेल सामग्रियों की संख्या की सूची की हार्ड कॉपी उन्होंने आयोजन समिति को दी थी. कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक ने बताया कि आयोजन समिति को उनकी तरफ से मेल के जरिये भी सूची दी गयी थी.
निगरानी की टीम ने एएसवी प्रसाद से पूछा कि खेल सामग्रियों की लिस्ट किसके कहने पर तैयार की गयी थी? किसी खास कंपनी से ही सामग्री खरीदनी है, यह कैसे तय हुआ था? क्या खेल सामग्रियों की खरीद का ऑर्डर करने से पहले स्पोर्ट्स फेडरेशन से भी संपर्क किया गया था? एएसवी प्रसाद इसका जवाब नहीं दे सके. उन्होंने याद नहीं होने और बाद में बताने की बात कही. निगरानी विभाग ने उन्हें 12 जनवरी 2015 तक का वक्त दिया है. कहा है कि इस अवधि तक वह बता दें कि किस आधार पर खेल सामग्रियों की सूची तैयार कर आयोजन समिति को भेजी गयी थी.
परचेज कमेटी की बैठक ही नहीं हुई थी
उल्लेखनीय है कि नेशनल गेम्स के दौरान खेल सामग्रियों की खरीद के लिए स्पोर्ट्स इक्वीपमेंट परचेज कमेटी का गठन किया गया था. ललित के भनोट इसके अध्यक्ष थे और एएसवी प्रसाद व हरीश शर्मा इसके सदस्य. जांच में निगरानी विभाग को पता चला है कि परचेज कमेटी की कभी बैठक ही नहीं हुई थी. आरोप है कि परचेज कमेटी द्वारा जरूरत से कई गुना अधिक खेल सामग्रियों की खरीद कर संबंधित कंपनी को लाभ पहुंचाया गया था.
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