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पार्टियों को कई नये चेहरे पर है भरोसा, बनाया है समीकरण

झारखंड में चुनावी समर का हो-हल्ला अब खत्म होने की ओर है. चुनाव में रोमांच भरपूर रहा. विधानसभा की कई सीटें कांटे की टक्कर में फंसी हैं. विधानसभा चुनाव में नये रणबाकुरों ने भी खूब पसीना बहाया. ऐसे कई प्रत्याशी हैं जो राजनीति में बड़ा नाम नहीं हैं, लेकिन सामने चुनाव लड़ रहे दिग्गज नेताओं […]

झारखंड में चुनावी समर का हो-हल्ला अब खत्म होने की ओर है. चुनाव में रोमांच भरपूर रहा. विधानसभा की कई सीटें कांटे की टक्कर में फंसी हैं. विधानसभा चुनाव में नये रणबाकुरों ने भी खूब पसीना बहाया. ऐसे कई प्रत्याशी हैं जो राजनीति में बड़ा नाम नहीं हैं, लेकिन सामने चुनाव लड़ रहे दिग्गज नेताओं को भी पानी पिलाया है. नये खिलाड़ियों ने चुनाव का सस्पेंस बढ़ा दिया है. ऐसी कई सीटें हैं, जहां नये चेहरों ने कड़ी टक्कर दी है.

हर दल में नये-नये खिलाड़ी थे. बाजी पलटने में कामयाब रहे, तो विधानसभा की तसवीर बदल जायेगी. कई नये चेहरे चुनाव जीत कर आयेंगे. कुछ नये दलों का खाता भी विधानसभा में खुल सकता है. हुसैनाबाद से बसपा के उम्मीदवार शिवपूजन कुशवाहा ने दूसरे प्रत्याशियों के सामने कांटे बिछा दी है. हुसैनाबाद में शिवपूजन की उपस्थिति ने सारे समीकरण बदल दिये हैं.
उधर गढ़वा से मिथिलेश ठाकुर ने भी दिग्गज नेताओं के राह मुश्किल कर दी है. यहां राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह के सामने संकट है. भाजपा ने भी कई ऐसे चेहरे हैं, जो आने वाले समय पर लोगों को चौंका सकते हैं. चुनावी उठापटक में इनका दावं ठीक पड़ा, तो विधानसभा में ये नये चेहरे हो सकते हैं.
पांकी से अमित तिवारी, गुमला से शिवशंकर, सरायकेला से गणोश महली, चाईबासा से जेबी तुबीद, बोकारो से विरंची नारायण, निरसा से गणोश मिश्र जैसे लोगों पर निगाहें होंगी. उधर आजसू के विकास मुंडा भी नये चेहरे हो सकते हैं. पिछले चुनाव में चूक गये विकास ने इस बार पूरी ताकत लगायी है.
इधर झाविमो के भी कई नये खिलाड़ी सामने आये हैं. झाविमो की टोली में शामिल हो कर ये विधानसभा का रास्ता तय कर सकते हैं. डालटनगंज से आलोक चौरसिया, सिमरिया से गणोश गंझू और सिसई से एदरा बोदरा पर पार्टी ने आस लगायी है.
उधर झामुमो खेमा को कुणाल षाडंगी, सिल्ली के अमित महतो जैसे नेताओं पर भरोसा है. वहीं कांग्रेस घाटशिला से प्रदीप बलमुचु की बेटी सिंड्रैला बलमुचु पर भरोसा कर रही है. मनिका से कांग्रेस को मुनेश्वर उरांव जैसे नये चेहरे पर भी भरोसा है. फैसला 23 को होना है, लेकिन इतना तय है कि कई नये चेहरे झारखंड की राजनीति में दस्तक देंगे.
पांचवें फेज में 63 फीसदी प्रत्याशी कम पढ़े-लिखे
राज्य में होने वाले पांचवे फेज के चुनाव में कम पढ़े-लिखे प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा है. कुल 208 उम्मीदवारों में से 63 फीसदी ने 12 वीं या उससे कम पढ़ाई-लिखाई की है. 60 उम्मीदवार 12 वीं और 35 प्रत्याशी 10 वीं पास हैं. आठवीं पास उम्मीदवारों की संख्या 20 और पांचवी पास की संख्या आठ है. नौ प्रत्याशी ऐसे हैं, जो केवल अपना नाम केवल लिख व पढ़ सकते हैं. कुल प्रत्याशियों के 35 फीसदी (73 प्रत्याशी) ने स्नातक या उससे अधिक पढ़ाई की है. इनमें 10 उम्मीदवार प्रोफेशनल ग्रेजुएट हैं. 18 ने पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है. जबकि तीन उम्मीदवारों ने डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है.
सबसे अधिक युवा प्रत्याशी : पांचवे फेज के चुनाव में युवा प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा है. कुल प्रत्याशियों में 25 से 40 वर्ष के बीच की उम्र के 77 लोग हैं. 40 से 50 वर्ष के 74 तथा 49 प्रत्याशी 51 से 70 साल के बीच हैं.
तीन प्रत्याशियों को बुजुर्गो की श्रेणी में रखा जा सकता है. इनमें से दो ने अपनी उम्र 71 से 80 वर्ष के बीच की बतायी है. जबकि एक प्रत्याशी ने अपनी उम्र 81 वर्ष से अधिक बतायी है. पांच ने अपनी उम्र के संबंध में नहीं बताया है.
महिलाएं मैदान में
इस फेज में महिला प्रत्याशियों की संख्या काफी कम है. केवल 15 महिला प्रत्याशी चुनावी दंगल में हैं, जो उम्मीदवारों की कुल संख्या का केवल सात प्रतिशत है. सभी 208 प्रत्याशियों में 93 ने कृषि को अपना मुख्य पेशा बताया है. 23 प्रत्याशी व्यवसायी हैं. समाजसेवा और राजनीति करनेवालों की भी कमी नहीं है. 40 ने समाजसेवा और 12 ने राजनीति को अपना धंधा बताया है. नौ प्रत्याशी ऐसे भी हैं, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

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