इन दिनों पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, असम आदि राज्यों के ग्रामीण इलाकों में तनाव का माहौल है. गांव के हर चेहरे पर उदासी सी छाई हुई है. घोटाले के शिकार आम किसानों- मजदूरों के अलावा शारदा चिटफंड कंपनी के एजेंटों के आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. पिछले शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदनमित्राको गिरफ्तार कर लिया. सीबीआइ इससे पहले टीएमसी के दो सांसदों कुणाल घोष और शृंजॉय बोस को शारदा घोटाले में गिरफ्तार कर चुकी है.
सेंट्रल डेस्क
गत शुक्रवार को राज्यसभा में रीताब्रत बनर्जी ने सारधा चिट फंड घोटाले का मुद्दा उठाया. वह सीपीआइ (एम) के राज्य सभा सांसद हैं. इस मुद्दे को उठाने पर तृणमूल के सांसदों डेरेक ओ ब्रायन और सुखेंदु शेखर रॉय ने उनके भाषण के दौरान काफी व्यवधान डाला. रीताब्रत बनर्जी ने अपने भाषण में कहा कि अब तक इस घोटाले की वजह से 99 लोगों ने आत्महत्या कर ली है. सिर्फ पश्चिम बंगाल में लगभग 18 लाख लोगों ने अपना पैसा खोया. अगर अन्य राज्यों में इस घोटाले के शिकार हुए लोगों को गिन लें, तो यह संख्या 25 लाख तक पहुंच जायेगी. देश के विभिन्न राज्यों में चल रही नॉनबैंकिंग एजेंसियां जनता की गाढ़ी कमाई लूटने में लगी हैं. अकेले पश्चिम बंगाल में ऐसे कई घोटाले हुए हैं. इस घोटाले में उनकी जीवन भर की कमाई लुट गयी. यह घोटाला ढ़ाई हजार करोड़ रुपये का है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 136 पोंजी स्कीम कंपनियों ने 60 हजार करोड़ रुपये की उगाही की है. सरकार के पास 200 पोंजी स्कीम कंपनियों की जानकारी है, जो पैसा इकट्ठा कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में अकेले एक कंपनी ने पिछले साढ़े तीन वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये जमा किये हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने इसके एक दफ्तर से एक दिन में 295 करोड़ रुपये जब्त किये थे. एक तरफ बंगाल में यह स्थिति है, दूसरी तरफ पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक राजनैतिक दल,जो सत्तारूढ़ दल का सहयोगी है, ने ढाका में आयोजित एक रैली में आरोप लगाया कि सारधा चिट फंड घोटाले के पैसे से जमात-ए-इसलामी के आतंकी कैंपों को मदद मिलती है. यह बहुत ही गंभीर स्थिति है. बंगाल की सरकार ने इस घोटाले से संबंधित साक्ष्यों को मिटाने की हरसंभव कोशिश कर रही है.
गौरतलब है कि लाखों लोगों की नींद छीन लेनेवाली सारधा कंपनी जुलाई, 2008 में बनी थी, जो देखते ही देखते हजारों करोड़ की मालिक बन गयी. इसके मालिक सुदीप्त सेन ने सियासी ताकत हासिल करने के लिए मीडिया में खूब पैसे लगाये और हर पार्टी के नेताओं से जान-पहचान बढ़ायी. कुछ ही सालों में वह अरबों में खेलने लगे.16 अप्रैल, 2013 को इस ग्रुप के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज किया गया और आत्महत्या का पहला कांड इसके चार दिन बाद हुआ.
घोटाले के आरोपियों ने ट्रांजैक्शन के लिए 338 बैंक एकाउंट्स और 224 कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. इस घोटाले में पश्चिम बंगाल समेत ओड़िशा, असम, त्रिपुरा, झारखंड समेत कई राज्यों के निवेशकों को चूना लगाया गया. बेहद गरीब तबके के लोग घोटाले का शिकार बने थे. जांच में पाया गया कि 90 फीसदी से ज्यादा कंपनी सिर्फ कागज पर है. मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया था. यह आदेश पश्चिम बंगाल सरकार के विरोध के बावजूद आया था.
पश्चिम बंगाल में हजारों ऐसे परिवार सहमे हुए हैं, जिनके घर का कोई सदस्य शारदा कंपनी का एजेंट था. अब उन पर हमले हो रहे हैं. जून के पहले हफ्ते तक शारदा कंपनी के खौफजदा 26 एजेंट खुदकुशी कर चुके थे. 20 से ज्यादा एजेंटों समेत 50 से ज्यादा लोग आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे. एक हजार से ज्यादा एजेंट घर छोड़ कर भाग गये. एक हजार से ज्यादा एजेंटों के घर पर हमले हो चुके हैं.