रांची: चाईबासा जेल में मंगलवार शाम मिर्च पाउडर झोंक कर कैदी वैन से भाग रहे 20 बंदियों पर पुलिस ने गोली चलायी. फायरिंग में पांच कैदियों को गोली लगी. दो की मौत हो गयी. तीन घायल हो गये. 15 कैदी भागने में सफल रहे. इनमें आठ नक्सली और सात अपराधी हैं. पुलिस फायरिंग में मारे गये दोनों कैदी टीपा दास भाकपा माओवादी का प्लाटून कमांडर व रामविलास तांती हार्डकोर था. दोनों को जमुई में पकड़ा गया था. दोनों छोटानागरा स्थित हतनाबुरू के निवासी थे. घायल तीनों कैदी भी नक्सली संगठन से जुड़े थे.
संतरी ने दागी गोली
चाईबासा से मिली खबर के मुताबिक, शाम लगभग 4.15 बजे 55 कैदियों को पेशी के बाद कोर्ट से मंडल कारा लाया गया था. जेल के प्रवेश द्वार के अंदर कैंपस में कैदी वाहन खड़ा किया गया था. 22 कैदियों को पहले उतारा गया. सभी दूसरे गेट में प्रवेश कर गये थे. उन्हें अंतिम व तीसरा गेट पार कर जेल के अंदर जाना था. कुछ कैदी अभी तीसरे गेट में घुसे भी नहीं थे कि कैदी वाहन के अंदर बैठे शेष कैदियों पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया. उनके हथियार छीनने लगे. हाथापाई होने लगी. इसी बीच नीचे खड़े कैदियों ने वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी की आंख में मिर्ची पाउडर झोंक कर जेल से बाहर भागने लगे. कैदी वाहन के सुरक्षाकर्मी ने हवाई फायरिंग की. यह सुन कर छत से जेल की निगरानी कर रहे संतरी ने भी दो गोलियां दागी, जो टीपा दास व रामविलास तांती को लगी. फिर मुख्य गेट बंद कर दिया गया. तब तक 15 कैदी फरार हो चुके थे.
सूचना मिलते ही डीआइजी मो नेहाल अहमद, आयुक्त आलोक गोयल, डीसी अबु बकर सिद्दीक, एसपी नरेंद्र कुमार सिंह, एसपी (अभियान) विकास सिन्हा जेल पहुंचे और स्थिति की समीक्षा की. घटना के बाद पूरे जिले की सीमा को सील कर दिया गया है. पुलिस पदाधिकारी सुरक्षा चूक की जांच कर रह हैं.
मिर्च पाउडर झोंक कर हुए फरार
चाईबासा के एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 55 बंदियों को लेकर कैदी वाहन चाईबासा जेल परसिर पहुंचा था. कैदी वैन जेल के मेन गेट से भीतर चली गयी थी. वैन के घुसने के बाद गेट बंद कर दिया जाना चाहिये था, पर ऐसा नहीं किया गया. जेल का छोटा गेट खोल कर कैदियों को जेल के भीतर ले जाया जाने लगा. इसी दौरान 20 बंदी खुले हुए बड़े गेट से अचानक भागने लगे. वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. बंदी जब नहीं रुके, तो पुलिस ने भाग रहे कैदियों पर फायरिंग की.
मेन गेट खुला रह गया था
‘‘घटना जेल परिसर के भीतर हुई है. जेल का मेन गेट खुला रह गया था, जिस कारण बंदी भागने लगे थे. पुलिस को गोली चलानी पड़ी. भाग रहे दो कैदी मारे गये हैं और तीन घायल हैं. राजीव कुमार, डीजीपी, झारखंड
कैदी वाहन से लाये गये थे
‘‘जेल से 135 बंदियों को पुलिस कस्टडी में कोर्ट भेजा गया था. पहली खेप में 55 बंदियों को लाया गया था. 35 बंदी जेल के भीतर चले गये थे. बाकी बचे बंदी भागने लगे. वे नहीं रुके, तो पुलिस को गोली चलानी पड़ी.
शैलेंद्र भूषण, जेल आइजी, झारखंड
चाईबासा जेल से पहले भी भाग चुके हैं माओवादी
जेल पुलिस और जिला पुलिस की लापरवाही की वजह से जेलों में बंद नक्सली व अपराधी भागते रहे हैं. जेल से, कोर्ट हाजत से या कैदी वाहन से भागने के वक्त नक्सलियों-अपराधियों द्वारा कई बार पुलिस पर हमला भी किया गया है. हर घटना के बाद पुलिस व जेल प्रशासन अलर्ट हो जाने का दावा करते हैं, लेकिन कुछ वक्त बाद फिर से हालात पहले जैसे हो जाते हैं. चाईबासा जेल से भागने के लिए भी अपराधियों ने पुराना तरीका अपनाया, जिसमें वे पुलिसकर्मियों की आंखों में मिर्च का पाउडर डाल देते हैं और फरार हो जाते हैं. मंगलवार की घटना में भी यही हुआ.
साफ है कि कोर्ट हाजत की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही या अवैध वसूली के कारण अपराधियों के पास मिर्च का पाउडर पहुंचा. अपराधियों की योजना को सफल बनाने में जेल कर्मियों की भी भूमिका होती है. करीब तीन साल पहले इसी चाईबासा जेल से तीन हार्डकोर माओवादी फरार हो गये थे. उस घटना के बाद पुलिस ने एक जेल अधिकारी को गिरफ्तार किया था. उनके घर से पुलिस ने कुछ रुपये भी जब्त किये थे. नवंबर 2012 में भाकपा माओवादी के नक्सली गिरिडीह में कैदी वाहन पर हमला करने में इसलिए सफल हो गये थे, क्योंकि एसपी, डीआइजी और आइजी ने खुफिया सूचना पर ध्यान नहीं दिया था.
वर्ष 2005 में हजारीबाग कोर्ट परिसर से 19 कैदी फरार हो गये थे. फरार होनेवाले कैदियों के पास बम थे. जिसका इस्तेमाल भागने के क्रम में पुलिस को रोकने के लिए अपराधियों ने किया था. वर्ष 2006 में जब बोकारो से कुख्यात अपराधी लक्खी शर्मा फरार हुआ था, उस वक्त भी अपराधियों ने जेल पुलिस पर फायरिंग की थी.
झारखंड में कैदियों के भागने की घटना
27 अप्रैल 2005 : हजारीबाग कोर्ट परिसर में पुलिस पर हमला कर 19 अपराधी फरार. अपराधियों ने कई बम फेंके थे.
वर्ष 2006 : बोकारो के चास में बंद अपराधी लक्खी शर्मा समेत चार अपराधी पुलिस पर फायरिंग कर फरार.
वर्ष 2007 : बोकारो कोर्ट हाजत से अपराधी बबलू और सूदन फरार.
जनवरी 2011 : चाईबासा जेल से तीन हार्डकोर माओवादी फरार.
नौ नवंबर 2012 : गिरिडीह में कोर्ट से जेल लौट रहे कैदी वैन पर हमला कर माओवादियों ने आठ हार्डकोर माओवादी को मुक्त कराया. सात अन्य कैदी भी फरार हुए. इस घटना में तीन पुलिसकर्मी व एक कैदी की मौत हो गयी थी.