गांव-पंचायतों से निकलने वाले आविष्कार तो अपने आप में बेमिसाल हैं ही, लेकिन उसके निर्माण के पीछे का कारण भी कम रोचक नहीं है. आपने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ तो पढी होगी. सब बच्चे अपनी पसंद का सामान खरीद लाये, पर हामिद ने क्या लाया? चिमटा ! अपनी बूढी दादी अमीना के लिए.
नौगछिया के अभिषेक भगत के आविष्कार के पीछे भी ऐसी ही कहानी है. मां को घर के कामकाज में पिसती देख वह दुखी हो जाता था. यहीं से उसके बाल मन में यह कल्पना आयी कि वह ऐसा कुछ आविष्कार करे, जिससे उसकी मां को खाना बनाने के झंझट से छुटकारा मिल जाये. बस ऑर्डर दो, खाना बन कर तैयार. यहीं से रोबोकुक बनाने की रूपरेखा शुरू होती है. अभिषेक ने स्कूली दिनों में ही इस मशीन की परिकल्पना को साकार कर लिया था. नौवीं कक्षा में ही उसने इस मशीन को प्रदर्शनी में ले जाना शुरू कर दिया था. राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने भी अभिषेक की प्रशंसा की. उसे पुरस्कार भी मिला. अमेरिका की देस्मानिया कंपनी ने इस रोबोकुक को बाजार में उतारने की सारी तैयारी पूरी कर ली है.
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