पटना: पटना एयरपोर्ट से सोमवार की सुबह दिल्ली जा रहे एक यात्री को विमान से उतार दिया गया. पायलट को इसकी जानकारी तब मिली, जब यात्री के दाहिने पैर में लगे प्लास्टर पर उनकी नजर पड़ी, तब उन्होंने यात्री को ले जाने से मना कर दिया.
मामला फ्लाइट संख्या जी 8-494 का है. जानकारी के अनुसार गोपालगंज निवासी गुप्तेश्वर मिश्र (54) को इंडिगो से दिल्ली जाना था. उनके साथ उनके बेटे संतोष कुमार मिश्र भी दिल्ली जा रहे थे. उनकी खिड़की वाली सीट आरक्षित थी. पायलट ने कहा कि विमान की लैंडिंग व टेक ऑफ के दौरान आपको परेशानी होगी. पायलट ने स्ट्रेचर सीट बुक करने की सलाह दी. हालांकि इसके जवाब में गुप्तेश्वर ने कहा कि वह कुछ दिन पहले इसी हालत में राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली गये थे. गोपालगंज के डॉक्टर से सलाह लेकर वह विमान से जाने का निर्णय लिया है. लेकिन, पायलट के नहीं मानने पर अंत में गुप्तेश्वर मिश्र को उतरना पड़ा. इसकी वजह से करीब 23 मिनट तक विमान खड़ा रहा. खास बात यह है कि इस तरह का वाकया पिछले माह नवंबर के पहले सप्ताह में भी हो चुका है, जब यात्री को पैर फ्रैर के कारण उन्हें अपनी यात्र रद्द करनी पड़ी थी.
जा रहे थे दिल्ली
यात्री गुप्तेश्वर मिश्र के बेटे संतोष ने बताया कि उनके पिता भारतीय स्टेट बैंक से रिटायर हुए हैं. गोपालगंज से पटना वह निजी साधन से आये थे. अक्तूबर माह के अंत में वह पेंशन लेकर घर आ रहे थे. इस दौरान बाइक की टक्कर में उनका दायां पैर टूट गया. उसमें रॉड लगा कर ऑपरेशन किया गया है. निजी काम से वह दिल्ली अपने बेटे के साथ जा रहे थे.
कहते हैं सिविल सजर्न
सिविल सजर्न केके मिश्र कहते हैं कि अगर कोई स्वस्थ आदमी भी अगर खिड़की के समीप बैठ कर चार घंटे से अधिक की विमान यात्र करता है, तो पैर की नसों में थक्का जमने के कारण ब्लड पैर में ही जमा हो जाता है. ऐसे में कई रोग होने की आशंका बनी रहती है. अगर पैर पहले से टूटा है, तो लैंडिंग या टेक ऑफ के दौरान जुटे नसों के अलग होने की आशंका बनी रहती है.
कहते हैं निदेशक
जेपी एयरपोर्ट के निदेशक सोनो मरांडी कहते हैं कि बीच रास्ते में अगर किसी यात्री की तबीयत खराब होती है, तो पायलट को निर्देश दिया जाता है कि विमान को सुरक्षित जगह देख कर लैंडिंग कर लें. वहीं विमान में चढ़ने के दौरान अगर इस तरह का कोई मामला सामने आता है, तो वह मेडिकल सर्टिफिकेट, जो मान्य हो वह दिखा सकता है.