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नागपुरी भाषा के युग पुरुष मधु मंसूरी

नागपुरी के क्षेत्र में मधु मंसूरी हंसमुख का योगदान काफी सराहनीय है. नागपुरी कला संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मधु मंसूरी का जन्म राजधानी रांची से करीब 20 किमी दूर सिमलिया गांव में हुआ था. ये एक गीतकार के साथ-साथ गायक भी हैं. साधारण कद काठी वाले मंसूरी […]

नागपुरी के क्षेत्र में मधु मंसूरी हंसमुख का योगदान काफी सराहनीय है. नागपुरी कला संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मधु मंसूरी का जन्म राजधानी रांची से करीब 20 किमी दूर सिमलिया गांव में हुआ था. ये एक गीतकार के साथ-साथ गायक भी हैं. साधारण कद काठी वाले मंसूरी ने नागपुरी के क्षेत्र में और भी लोगों को जोड़ कर कला संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया. इनका रुझान नागपुरी की ओर बचपन से ही रहा है.

1956 में ये नागपुरी मंच से जुड़े और इसके बाद इन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. अपने कार्यों से इन्होंने नागपुरी कला संस्कृति का प्रचार-प्रसार पूरे देश-विदेश में किया. इन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज को जागृत करने का काम किया है और इस क्षेत्र में इनका कार्य जारी है. इन्होंने कुछ नागपुरी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ इन्होंने 1977-78 में ही नागपुरी में गीत लिख डाला था. अगर आधुनिक नागपुरी गीत का जन्मदाता मधु मंसूरी को कहा जाये तो गलत नहीं होगा. आधुनिक गीत का लेखन इन्होंने 1972 में ही किया था. पहले नागपुरी का इतना प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण आधुनिक गीत उस समय आगे नहीं बढ़ सका.

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