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मैं कुछ दिनों का सीएम : मांझी

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को यह कह कर राजनीतिक सरगरमी बढ़ा दी कि वह थोड़े दिनों के लिए मुख्यमंत्री हैं. जिस कार्यक्रम में श्री मांझी ने साफगोई से अपने मन की यह बात कही, उसमें पांच मंत्रियों को भी जाना था, लेकिन मांझी की मौजूदगी के बावजूद सरकार का कोई मंत्री नहीं आया. […]

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को यह कह कर राजनीतिक सरगरमी बढ़ा दी कि वह थोड़े दिनों के लिए मुख्यमंत्री हैं. जिस कार्यक्रम में श्री मांझी ने साफगोई से अपने मन की यह बात कही, उसमें पांच मंत्रियों को भी जाना था, लेकिन मांझी की मौजूदगी के बावजूद सरकार का कोई मंत्री नहीं आया.

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक बार फिर साफ-साफ और खुल कर बोले. एसके मेमोरियल हॉल में बिहार राज्य अराजकीय प्रारंभिक शिक्षक संघर्ष मोरचा की ओर से गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मैं थोड़े दिनों के लिए ही मुख्यमंत्री हूं. 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव होगा. महागंठबंधन के दल नये नेता का चुनाव करेंगे. मुझमें सुर्खाब के पर थोड़े ही लगे हैं, जो मुङो महागंठबंधन का नेता चुना जायेगा. लेकिन, जब तक मुख्यमंत्री हूं, तब तक दिल से काम करूंगा. जहां तक काम पूरा करने का अवसर मिलेगा, करूंगा.

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मतभेद की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री ने कहा, मुङो कठिन काम करना पसंद है. मैं जानना चाहता हूं कि उसमें कठिनाई क्या हैं और कहां है? न तो मेरी ऊंची जाति है, न मेरे पास पैसा है, न मेरे पास कोई लाठीतंत्र है और न ही कोई ऑफिसर. मैंने जनता के नजरिया को समझने का प्रयास किया है और उसी के आधार पर काम कर रहा हूं. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ भी की. कहा कि नीतीश कुमार ने गुरबत से बिहार को ऊपर उठाया है. यह उनके सपनों का बिहार है. हम उसे आगे लेकर चल रहे हैं. नीतीश कुमार की सोच और उनकी घोषणाओं को पूरा कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे पांच मंत्री

बिहार राज्य अराजकीय प्रारंभिक शिक्षक संघर्ष मोरचा के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल, नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बैजनाथ सहनी को भी आना था, लेकिन उनमें से कोई नहीं पहुंचा. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मंत्रियों की गैरमौजूदगी को लेकर गुरुवार को पूरे दिन राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा रही. इसके अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं. उधर, राजनीतिक मोरचा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्याम देव कुमार चंद्रवंशी और महामंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि वृशिण पटेल व बैजनाथ सहनी ने पहले से ही दूसरी जगह कार्यक्रम निर्धारित होने की बात कही थी, लेकिन सम्राट चौधरी व श्याम रजक ने आने का भरोसा दिलाया था.

न आने के अपने-अपने तर्क

शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल ने कहा कि मेरा 10:30 बजे से पटना के एक स्कूल में प्रोग्राम था. इसकी जानकारी आमंत्रण के समय ही आयोजनकर्ताओं को दे दी गयी थी. उनसे कहा गया था कि जब अभिभावक के रूप में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जा रहे हैं, तो मेरा रहना कोई जरूरी नहीं है. जदयू में अंतर्कलह-तकरार की जो बात हो रही है, वह आधारहीन है.

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा, मुझसे आयोजकों ने कोई प्रोग्राम ही नहीं लिया था. बिना सहमति के ही मेरा नाम कार्यक्रम स्थल पर बैनर पर लिखा गया. कार्ड में में नाम भी नहीं लिखा था, जिससे जरूरी हो कि कार्यक्रम में जाएं. बिहार सरकार के मंत्री हैं. ऐसा थोड़े ही है कि कहीं मंच व माइक लगा है, तो चले जाएं और भाषण देने लगें.

पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बैद्यनाथ सहनी ने कहा कि पहले से ही दूसरा कार्यक्रम तय था. इसकी जानकारी आयोजकों को आमंत्रण देते समय ही दे दी गयी थी. कह दिया था कि मैं कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकूंगा, पहले से इसकी सूचना देनी चाहिए थी.

नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, सरकारी या आधिकारिक तौर पर आमंत्रण नहीं था. आमंत्रण कार्ड मिला था, लेकिन इसमें मेरा नाम ही नहीं था. कार्ड में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के नाम थे. इसलिए नहीं गये. जिन्हें कार्यक्रम में अतिथि के रूप में बुलाया जाता है, उनका नाम उसमें अंकित होता है. जीतन राम मांझी मेरे पितातुल्य हैं और हमारे मुख्यमंत्री हैं. उनके खिलाफ में कार्यक्रम में नहीं जाने की बात बिल्कुल गलत है.

मोदी बोले : मांझी को हटाने को शरद से मिले थे ललन

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री के पद से हटाने का दबाव बनाया था. वह आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों के साथ शरद यादव से मिलने दिल्ली गये थे. मांझी के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से जदयू के शीर्ष नेता के इशारे पर अभियान चलाया जा रहा है. मांझी के कार्यकाल की पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार भी प्रशंसा नहीं की. केवल अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे हैं. उन्होंने कहा, नीतीश दोबारा सीएम बनने को लालायित हैं. पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों की लड़ाई में सूबा पिस रहा है. बिहार आज देश-दुनिया में हंसी का पात्र बन गया है.

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