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हांगकांग: प्रदर्शनकारियों का सरकार के साथ वार्ता रद्द

हांगकांग : हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने आज चुनाव सुधारों पर सरकार के साथ प्रस्तावित बातचीत रद्द कर दी. प्रदर्शनकारियों ने यह फैसला उस वक्त किया जब लोगों की भीड ने उन्हें सड़कों से खदेडने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों को उस सड़क से खदेडने की कोशिश की गई जिस पर उनका नियंत्रण था. प्रदर्शनों […]

हांगकांग : हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने आज चुनाव सुधारों पर सरकार के साथ प्रस्तावित बातचीत रद्द कर दी. प्रदर्शनकारियों ने यह फैसला उस वक्त किया जब लोगों की भीड ने उन्हें सड़कों से खदेडने की कोशिश की.

प्रदर्शनकारियों को उस सड़क से खदेडने की कोशिश की गई जिस पर उनका नियंत्रण था. प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले संगठनों में से एक हांगकांग फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट्स ने कहा कि उनके पास बातचीत रद्द करने के सिवा और कोई विकल्प नहीं था.

हांगकांग फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट्स ने एक बयान में कहा, सरकार मांग कर रही है कि सड़कें खाली की जाये. हम हांगकांग के लोगों से अपील करते हैं कि वे हमारी स्थिति की रक्षा के लिए आगे आएं और लडाई को उसके अंजाम तक पहुंचाएं.

हांगकांग के चीफ एग्जिक्यूटिव लियंग चुन-यिंग ने टकराव के हालात खत्म करने के मकसद से कल बातचीत का प्रस्ताव दिया था. ब्रिटिश उपनिवेश रहे हांगकांग पर 1997 में चीन ने नियंत्रण कायम कर लिया था. उसके बाद से यह प्रदर्शन बीजिंग की सत्ता को सबसे बडी चुनौती है.

गौरतलब हो कि प्रदर्शनकारियों ने सरकार भवनों के आगे प्रदर्शन किया. इस बीच प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर भिड़ंत हुआ. उग्र प्रदर्शनकारी लगातार लीयुंग चुन यिंग के इस्‍तीफे की मांग कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारी लगातार नेतृत्‍व परिवर्तन की मांग पर अड़े हुए है. चीन की ओर से प्रदर्शनकारियों की मांग को खारिज करते हुए कहा गया कि किसी भी स्थिति में अलोकतांत्रिक तरीके से नेतृत्‍व परिवर्तन नहीं होगा. नेतृत्‍व परिवर्तन 2017 चुनाव में मतदान के बाद ही किया जायेगा. नेतृत्‍व परिवर्तन का तरीका पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक होना चाहिए. प्रदर्शनकारियों के अडि़यल रवैया का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक समय पुलिस ने एक एंबुलेंस का पास कराने के लिए प्रदर्शनकारियों से जगह देने की बात कही.

इस पर प्रदर्शनकारियों ने ‘झूठा-झूठा’ कहते हुए रास्‍ता देने से इंकार किया. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को काफी बल प्रयोग करना पड़ रहा है. पिछली रविवार को पुलिस ने भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए आंसु गैस के गोले छोड़े थे. वहीं गुरुवार को प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए पुलिस को रबर की गोलियां भी चलानी पड़ी.

क्‍या है हांगकांग आंदोलन की पृष्‍ठभूमि

हांगकांग का चीन में विलय कुछ समझौते के तहत हुआ था. इसके तहत हांगकांग में स्‍वतंत्र शासन प्रणाली के सिद्धांत पर काम करने की बात हुई थी. इस प्रकार चीन का हांगकांग की शासन प्रणाली में कोई हस्‍तक्षेप नहीं होना था. बाद में चीन ने आर्थिक रूप से संपन्‍न हांगकांग के कामकाज में दखलअंदाजी करना शुरू कर दिया. इससे वहां के लोगों में घोर उत्‍तेजना उत्‍पन्‍न हुई. चीन ने पिछले महीने हांगकांग के नेता के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवारों के खुले चयन पर रोक लगा दी है. पहले सभी उम्मीदवारों का नामांकन खुला रहता था, लेकिन चीन ने चालाकी दिखाते हुए यह व्यवस्था खत्म कर दी और अब नेता पद के लिए नामांकन भी गोपनीय रहेंगे. चीन के इस कदम पर हांगकांग की जनता, विशेषकर छात्रों को विशेष आपत्ति है, इसलिए पिछले कुछ दिनों से वहां आंदोलन छिड़ गया है, जो लगातार उग्र होता जा रहा है.

आंदोलनकारियों के पास इन कारणों के अलावे हाल ही में हांगकांग को लेकर चीन की ओर से कुछ ऐसे निर्णय किये गये जिससे आवाम और उग्र हो गयी. इसमें से एक 2012 में हांगकांग में इतिहास का नया पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए चीन की ओर से निर्देश दिए गये. इसे तथाकथित राष्ट्रवादी इतिहास बताया गया, जिसे चीन की मर्जी के मुताबिक काट-छांट के साथ तैयार किया गया था. हांगकांग की स्कूलों में इस पर काफी रोष था. इसके बाद चीन ने एक श्‍वेत पत्र जारी कर यह कहा कि हांगकांग को नागरिक अधिकार स्‍वभाविक तौर पर नहीं मिले हैं, बल्कि चीन की सरकार के रहमो करम पर ये अधिकार उन्‍हें दिये गये हैं.

इन सब कारणों से हांगकांग के हजारो छात्र सड़कों पर उतर आये और सरकार से इस्‍तीफे की मांग करने लगे. आंदोलनरत छात्रों की मुख्‍य मांगों में 2017 में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव भी शामिल है. एक प्रदर्शनकारी नेता के अनुसार उनका मुख्‍य उद्देश्‍य हांगाकांग की मौजूदा आर्थिक गतिविधियों को रोक देना है. जिका असर चीन पर परोक्ष रूप से पड़ेगा और अंतरराष्‍ट्रीय बाजार भी प्रभावित होगा. इससे उनकी मांगों को मानने के लिए सरकार बाध्‍य हो जायेगी. चीन के सामने सबड़ी बड़ी समस्‍या तब खड़ी हो गयी जब अमेरिका और ब्रिटेन ने हांगकांग आंदोलन को समर्थन देने का एलान कर दिया. हालांकि इसपर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की और कहा कि दसरे देश इस मामले में हस्‍तक्षेप ना करें.

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