
सुधीर मिश्रा की फ़िल्म ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ से हिंदी फ़िल्मों में प्रवेश करने वाली चित्रांगदा सिंह, आज अच्छे रोल और फ़िल्में पाने के लिए जूझ रही हैं.
अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के साथ आई उनकी फ़िल्म ‘देसी बॉयज़’ उनकी आख़िरी बड़ी फ़िल्म थी.
उसके बाद वो छिट-पुट रोल और कुछ आइटम सॉन्ग में ही दिखाई पड़ रही हैं.
चित्रांगदा की आशा
मुंबई में एक ब्रांड के प्रचार पर चित्रांगदा ने माना कि उनका करियर पांचवे गियर में भले ही ना चल रहा हो लेकिन वो आशान्वित है.
उन्होंने कहा, "मुझे कोई शिक़ायत नहीं. अगर मुझ में टैलेंट ना होता तो यहां तक भी ना पहुंचती. ऐसा भी नहीं है कि अच्छे रोल की कमी की वजह से मुझे जो मिला वो मैंने कर लिया. मैंने अच्छे रोल का इंतज़ार किया."
उन्हें फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल या आइटम सॉन्ग करने का अफ़सोस नहीं. वो कहती हैं, "ये भी एक तरीक़ा है अपने आपको अलग ढंग से प्रस्तुत करने का."
अफ़सोस नहीं
चित्रांगदा को टीवी पर काम करने के भी कई प्रस्ताव मिले.
उन्होंने बताया, "मुझे कई कार्यक्रमों में जज बनने के ऑफ़र मिले. लेकिन अभी मैंने ख़ुद इतना कुछ नहीं किया है एक कुर्सी पर बैठकर दूसरों को जज करूं."
पिछले तीन सालों में उनकी महज़ तीन फ़िल्में रिलीज़ हुईं. तीनों ही फ़िल्में फ़्लॉप रहीं थीं.

चित्रांगदा को अपने किसी फ़ैसले पर अफ़सोस नहीं है.
चित्रांगदा की उम्मीदें अब टिकी हैं नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के साथ अपनी आने वाली फ़िल्म ‘बंदूकबाज़’ पर.
(बीबीसी हिंदी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)