‘ईश्वर न करे!’ युनाइटेड किंगडम के साथ स्कॉटलैंड के संभावित अलगाव के बारे में भारत की राय पूछे जाने पर सुषमा स्वराज ने यही प्रतिक्रिया दी थी.
लम्हे भर बाद ही अपनी आशंका से वापस लौटते ही विदेश मंत्री ने आगे कहा, "यह स्कॉटलैंड को तय करना है. इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती."
18 सितंबर को स्कॉटलैंड के मतदाता ये तय करेंगे कि उनका देश आजाद होना चाहता है या युनाइटेड किंगडम के साथ बना रहना चाहता है.
सुषमा स्वराज की सहज प्रतिक्रिया भारतीयों की उस आशंका को जाहिर करती है जो अलगाव की बात पर उनके मन में उभर आती है.
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदाराजन गिना रहे हैं वो सात कारण जिनकी वजह से भारत स्कॉटलैंड की आज़ादी की चिंता नहीं करनी चाहिए.
सात कारण
ऐसे सात कारण हैं जो ये बतलाते हैं कि भारत और बाक़ी दुनिया को आखिरी क्यों स्कॉटलैंड की आजादी को लेकर फिक्र नहीं करनी चाहिए.
पहला कारण ये है कि पूर्व युगोस्लाविया का जिस तरह से हिंसक विघटन हुआ था, उसके विपरीत स्कॉटलैंड की आजादी इस आधुनिक नजरिए को बतलाती है कि इस देश में हर कोई अपनी जातीय, धार्मिक और भाषाई पहचान से ऊपर से उठकर एक स्कॉट है.
दूसरी वजह ये है कि स्कॉटलैंड के लोगों को काफी हद तक सांस्कृतिक आजादी हासिल है लेकिन इसके बावजूद वे राजनीतिक आजादी को तरजीह देते हैं. इससे ये पता चलता है कि राष्ट्रों की परिभाषा जातीय या भौगोलिक पहचान से तय नहीं की जाती है बल्कि वे कैसा समाज चाहते हैं, इससे तय होती है.
स्कॉटलैंड की आजादी सदियों से चली आ रही कोई गंभीर रवायत नहीं है बल्कि 35 सालों तक चले थैचर युग, न्यू लेबर और अब डेविड कैमरन की नीतियों में स्कॉटिश मूल्यों को नजरअंदाज करने का नतीजा है. इससे स्कॉट लोगों को अपनी अर्थव्यवस्था और समाज के बारे में फिक्र होने लगी.
बेहतर रास्ता
स्कॉटलैंड वास्तव में ब्रिटेन से अलग नहीं हो रहा है बल्कि उसका अलगाव लंदन शहर से है जो दूसरी बातों के साथ साथ दवाईयों तक का निजीकरण करना चाहता है.
अगर स्कॉटलैंड अधिक मानवीय, सबको साथ लेकर चलने वाले इकॉनॉमिक मॉडल में कामयाब होता है तो ये शेष युनाइटेड किंगडम और यूरोप को फिर से ये सोचने के लिए उत्साहित कर सकता है कि वे किस हद तक बैंकों और वित्तीय कंपनियों के हाथों अपनी जिंदगी को नियंत्रित होने दे सकते हैं.
तीसरी बात युनाइटेड किंगडम के यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने की संभावना एक बड़ा खतरा है और इस लिहाज से यूरोपियन यूनियन से स्कॉटलैंड के 50 लाख लोगों के रिश्ते के मद्देनजर आजादी ही सबसे बेहतर रास्ता है.
यूरोपिय यूनियन के अधिकारियों का कहना है कि स्कॉटलैंड को इतनी आसानी से ईयू की सदस्यता खुदबखुद नहीं मिल जाएगी. लेकिन अगर स्कॉटलैंड आजादी का रास्ता चुनता है तो ईयू को फैसला करना ही होगा कि क्या वे ऐसा यूरोप चाहते हैं जो लोगों की भावनाओं की कद्र करता है.
सत्ता प्रतिष्ठान
युनाइटेड किंगडम के नेताओं ने स्कॉटलैंड के लोगों पर दबाव बनाने के लिए यूरोपियन यूनियन का मुद्दा भी उठाया है और स्पेन जैसे देशों को चेतावनी भी दी है जो खुद अपने क्षेत्रों में इसी तरह की मुश्किलों से मुकाबिल हैं.
लेकिन स्पेन के विदेश मंत्री ने बार बार दोहराया है कि उनके देश और बाक़ी यूरोपिय यूनियन की स्वतंत्र स्कॉटलैंड पर प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर करेगा कि युनाइटेड किंगडम का सत्ता प्रतिष्ठान खुद क्या चाहता है.
चौथा कारण ये है कि जितने शांतिपूर्ण तरीके से लोकतांत्रिक देश अलगाववाद जैसी चुनौतियों से निपटते हैं वो बाक़ी दुनिया के लिए एक सबक ही है.
और अगर स्कॉटलैंड अलग न होने का फैसला करता है तो यह साथ रहने की वकालत करने वाले लोगों के तर्कों और अतिरिक्त रियायतों की वजह से होगा, न कि तोपों और बंदूकों की बदौलत.
परमाणु निश्स्त्रीकरण
इस सूरत में भी ये एक अच्छी बात होगी कि अलगाव की बात करने वाले लोगों से निपटने में बातचीत से ज्यादा ताकत के इस्तेमाल को तरजीह देने वाले लोग स्कॉटलैंड के अनुभव से सबक लेंगे.
पांचवी वजह ये है कि स्वतंत्र स्कॉलैंड परमाणु हथियारों के खात्मे को लेकर कटिबद्ध होगा और इसका मतलब ये हुआ कि ब्रिटेन को उसके यहां से परमाणु असलहे हटाने होंगे जोकि एक मुश्किल और खर्चीला रास्ता है.
छठा कारण ये है कि स्कॉटलैंड का आजादी अगर युनाइटेड किंगडम के परमाणु निश्स्त्रीकरण का रास्ता बनाती है तो संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की संरचना को लेकर चल रही बहस को फिर से रफ्तार मिलेगी.
सत्ता का दुरुपयोग
स्थायी सदस्यता के लिए किसी एक यूरोपीय देश को बारी बारी से दिए जाने का प्रस्ताव फिर से उठ सकता है और भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती हुई ताकतों के लिए सुरक्षा परिषद में जगह बन सकती है.
सातवां कारण ये है कि स्कॉटलैंड की आजादी से जुड़ी एक और बात ये है कि शक्ति प्रयोग का कोई भी प्रस्ताव यूएन चार्टर के तहत होगा और जिसे स्कॉटलैंड की सरकार और संसद दोनों की ही मंजूरी जरूरी होगी.
यह सत्ता के दुरुपयोग को रोकेगा जैसा कि अतीत में हमने देखा था कि ब्रिटेन ने स्कॉटलैंड को 2003 में इराक़ युद्ध में खींच लिया था. चाहें स्कॉलैंड की आजादी के समर्थक जीते या नहीं लेकिन स्कॉटलैंड के आत्म निर्णय का आंदोलन निर्णायक चरण में पहुँच गया है.
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