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वरीयता क्रम में थोड़ी छूट जरूरी है

।। दक्षा वैदकर ।। ऑफिसों में हैरारकी यानी वरीयता क्रम पर बहुत जोर दिया जाता है. यहां हर व्यक्ति का काम डिपार्टमेंट और पदों के अनुसार बांट दिया जाता है. ऐसे में जब हर व्यक्ति अपने-अपने डिपार्टमेंट के साथियों को अच्छे तरीके से हैंडल करता है, तो कंपनी ग्रो करती ही है. अगर कंपनी का […]

।। दक्षा वैदकर ।।

ऑफिसों में हैरारकी यानी वरीयता क्रम पर बहुत जोर दिया जाता है. यहां हर व्यक्ति का काम डिपार्टमेंट और पदों के अनुसार बांट दिया जाता है. ऐसे में जब हर व्यक्ति अपने-अपने डिपार्टमेंट के साथियों को अच्छे तरीके से हैंडल करता है, तो कंपनी ग्रो करती ही है.

अगर कंपनी का मालिक या मेन बॉस ही खुद हर डिपार्टमेंट के कर्मचारी से सीधे संपर्क करने लग जायेगा या कर्मचारी खुद उनसे संपर्क कर लग जायेगा, तो उनके केबिन में भीड़ लग जायेगी. वह इतने लोगों से न बात करने का समय निकाल सकेगा, न ही उनकी समस्या सुलझा पायेगा. इसके साथ ही वह इन्हीं चीजों में उलझ कर रह जायेगा और कंपनी के अन्य कामों की प्लानिंग नहीं कर पायेगा.

यही वजह है कि कर्मचारियों को डिपार्टमेंट हेड्स के अनुसार बांट दिया जाता है. सालों से यह नियम चला आ रहा है. इससे एक तरफ जहां यह फायदा हुआ है कि मेन बॉस का टेंशन बंट गया है, वहीं दूसरी तरफ एक नुकसान यह भी हुआ है कि कई कर्मचारी समस्याओं से जूझ रहे हैं और कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. कई बार समस्या बढ़ जाने पर वे कंपनी ही छोड़ देते हैं.

ऐसे में कंपनी कुछ अच्छे कर्मचारी भी खो देती है. सोचनेवाली बात है कि कर्मचारी को जिस व्यक्ति से समस्या है, अगर वह उनके डिपार्टमेंट का हेड ही हो, तो वह क्या करे? किसके पास मदद मांगने जाये. ऐसे में कंपनी के मेन बॉस को इस बात की छूट देनी होगी कि कोई गंभीर समस्या होने पर कर्मचारी सीधे उनसे आ कर मिल सकते हैं. जब यह छूट दे दी जाती है, तो कर्मचारी और बॉस का रिश्ता और गहरा हो जाता है. कोई भी हेड किसी कर्मचारी का न शोषण कर सकता है और न ही उन्हें धमका सकता है.

ऐसे में कर्मचारी भी खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. समस्या होने पर सीधे जॉब छोड़ने की बजाय वह मालिक से अपनी बात मिल कर रखते हैं. इस तरह डिपार्टमेंट्स के हेड्स पर भी एक प्रेशर बना रहता है कि कर्मचारी उसकी शिकायत सीधे बड़े बॉस से कर सकते हैं और उसकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है. इसलिए हर कंपनी के बॉस का यह फर्ज है कि वह हैरारकी पर थोड़ी छूट भी दे.

बात पते की..

– बड़े बॉस से मिलने की छूट मिलने का मतलब यह नहीं है कि आप हर छोटी बात को लेकर उनके पास चले जाएं. इससे आपको नुकसान होगा.

– बड़े बॉस के पास तभी जाएं, जब आपको यकीन हो कि जिस चीज की शिकायत आप कर रहे हैं, उसमें आपकी कोई गलती नहीं है.

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