।। दक्षा वैदकर ।।
मूड बहुत अजीब चीज होती है. मूड अच्छा है, तो हमारे साथ हमारे आसपास के लोग भी खिलखिलाते हैं और मूड खराब है, तो हम तो दुखी रहेंगे, सामनेवाले को भी दुखी कर देंगे. यह आदत क्या ठीक है? बेहतर है कि हम अपने मूड का असर दूसरों पर न पड़ने दें.
अब पिछले दिनों की बात ले लें. 12वीं क्लास में पढ़ रहे सुजीत के पापा का मूड ऑफिस में डांट पड़ने की वजह से खराब था. सुजीत को इस बात की जरा भी जानकारी नहीं थी. वह पापा के ऑफिस से आते ही उनके कमरे में गया और बोला, पापा मुझे कुछ बात करनी है. पापा ने जवाब दिया, ‘बोलो’. सुजीत ने कहा, ‘पापा, मुझे नया मोबाइल चाहिए. सारे दोस्तों के पास महंगे एंड्रॉएड फोन हैं.
मुझे भी चाहिए वह फोन.’ यह सुनते ही उसके पापा भड़क गये. उस पर बरस पड़े. उन्होंने सुजीत की पढ़ाई से लेकर उसके दोस्तों के साथ घूमने-फिरने, बड़ों से बदतमीजी करने, मम्मी की बात न मानने, घर के काम में हाथ न बटाने.. जैसी कई बातों पर उसे एक साथ डांटना शुरू कर दिया. सुजीत को इस बात का इतना बुरा लगा कि वह उसी वक्त घर से निकल गया. रातभर घर से गायब रहा.
पैरेंट्स उसे फोन लगाते रहे, लेकिन उसने फोन भी बंद कर दिया. रातभर सभी जागते रहे. आखिरकार वह सुबह घर लौटा. उसके आने के बाद पापा ने उसे पास बिठाया और कहा, ‘सॉरी बेटा, कल मेरा मूड खराब था. दरअसल, बॉस ने मुझे सब के सामने जोर से डांटा था. उस खराब मूड में तुम सामने आ गये, तो मैंने सारा गुस्सा तुम पर निकाल दिया.’ सुजीत ने कहा, ‘पापा, बस आप इतनाभर कह देते न कि बेटा अभी मेरा मूड खराब है. बाद में बात करेंगे, तो यह सब होता ही नहीं.’
दोस्तों, इस तरह की घटनाएं अक्सर हमारे साथ होती हैं. घर में होती हैं, ऑफिस में होती हैं. हमारा घर में झगड़ा हुआ होता है, तो हम ऑफिस के लोगों से ठीक से बात नहीं करते. वहीं ऑफिस में झगड़ा होता है, तो हम घर के लोगों पर गुस्सा उतारते हैं. हमें इस चीज की प्रैक्टिस करनी होगी कि अपने खराब मूड का असर मासूमों पर पड़ने से कैसे रोका जाये.
बात पते की..
– किसी ने सच ही कहा है कि लोगों को रुलाना बहुत आसान है, लेकिन हंसाना बहुत मुश्किल. बेहतर है कि हम अपने मूड पर कंट्रोल करना सीखें.
– जब भी मूड खराब हो और आपका खुद पर कंट्रोल न रहता हो, तो अपने आसपास के लोगों को यह बता दें कि अभी मूड खराब है, मुझसे दूर रहना.