<figure> <img alt="शाहीन बाग़ प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/18286/production/_110805989_gettyimages-1198186038.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बेटे को खोने के बाद भी नाज़िया हर रोज़ शाहीन बाग़ जा रही हैं.</p><p>नाज़िया, वही महिला हैं जिन्होंने शाहीन बाग़ के प्रदर्शन में अपने चार महीने के बेटे को 29 जनवरी की रात को खो दिया. </p><p>लगभग दो महीने से चल रहे शाहीन बाग़ प्रदर्शन में वो हर रोज़ अपने बेटे को लेकर पहुंचती थी. कड़ाके की ठंड में बच्चे की तबियत बिगड़ी और फिर बच्चे की मौत हो गई. </p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/496805817643226/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/496805817643226/</a></p><p>बच्चे की मौत को सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने ‘शहादत’ का नाम दिया तो कुछ लोगों ने नाज़िया पर ही सवाल उठाए कि इतने छोटे बच्चे को प्रदर्शन में लेकर जाने की ज़रूरत ही क्या थी. बच्चे को इतनी ठंड में, वो भी रात के समय लेकर जाना समझदारी तो कहीं से भी नहीं थी.</p><p>हालांकि, बाद में जब नाज़िया से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके घर में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जिसके भरोसे वो बच्चे को घर पर छोड़कर जातीं. </p><p>बीबीसी से उन्होंने कहा कि अगर सीएए और एनआरसी-एनपीआर नहीं होता, तो विरोध नहीं होते और अगर विरोध नहीं होते तो उनका बच्चा ज़िंदा होता. </p><p>लेकिन चार महीने के इस बच्चे की मौत पर 12 साल की एक ‘बहादुर’ बच्ची ने सवाल उठाए हैं. </p><h3>कौन हैं ज़ेन सदावर्ते</h3><p>ज़ेन को साल 2019 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2018 में मुंबई के क्रिस्टल टावर में लगी आग के दौरान उन्होंने बहादुरी दिखाते हुए 17 लोगों की जान बचायी थी, जिसके लिए उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया.</p><p>मुंबई में सातवीं में पढ़ने वाली ज़ेन सदावर्ते ने भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े को एक चिट्ठी लिखी है. और उनसे निवेदन किया है कि वो प्रदर्शन के दौरान बच्चों के शामिल होने ना होने को लेकर दिशा-निर्देश तय करें.</p><p>ज़ेन ने अपने चिट्ठी के बारे में मीडिया से बात की. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51390881?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़ हो या जामिया, गोली चलाने वाले आते कहां से हैं?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51385854?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव: बीजेपी सत्ता से कितनी दूर, कितने पास?</a></li> </ul><p>उन्होंने कहा "मैंने चीफ़ जस्टिस को एक चिट्ठी लिखी है कि कोई भी बच्चा किसी भी प्रदर्शन में नहीं जाना चाहिए. क्योंकि जिस तरह आज एक बच्चे के ‘जीने के अधिकार’ का हनन हुआ है, मानवाधिकार हनन हुआ है, ख़ासतौर पर किसी नवजात का…कोर्ट को कुछ दिशा-निर्देश देना ही चाहिए." </p><p>अब इनकी चिट्ठी को याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है. </p><p>ज़ेन कहती हैं, "मैंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि किसी भी बच्चे को प्रदर्शनों में शामिल होने की अनुमति ना हो."</p><p>हालांकि वो ये ज़रूर कहती हैं कि "किसी भी बालिग़ को किसी प्रदर्शन में जाने से या शामिल होने से नहीं रोका जा सकता लेकिन बच्चों को प्रदर्शन में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि वो वहां हैं क्यों?"</p><h3>ज़ेन की याचिका में क्या दलील दी गई है? </h3><p>ज़ेन ने अपनी याचिका में शाहीन बाग़ में चार महीने के बच्चे की प्रदर्शन के दौरान हुई मौत की जांच के लिए पुलिस अथॉरिटी और दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश देने का अनुरोध किया है. </p><p>ज़ेन ने बच्चों को प्रदर्शन मे शामिल होने को क्रूरता बताते हुए इस पर प्रतिबंध की मांग की है. उन्होंने अपनी याचिका में मृतक बच्चे के माता-पिता, स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर और प्रदर्शन का आयोजन करने वालों को कुसूरवार भी ठहराया है.</p><p>ज़ेन ने अपनी याचिका में संविधान में उल्लिखित मूल अधिकारों में से एक ‘जीने के अधिकार’ का हवाला दिया है. संविधान के अनुच्छेद 21 में ‘राइट टू लाइफ़’ का उल्लेख है. </p><p>उन्होंने लिखा है कि प्रदर्शन स्थल पर तमाम लोग महिला, बुज़ुर्ग, बच्चे और नवजात हैं. वहां इस बात की अनदेखी की गई कि एक नवजात को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है. </p><p>पीआईएल में इस बात का भी ज़िक्र है कि बच्चे को 30 जनवरी की सुबह अल-शिफ़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां क़ानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई यहां तक की अस्पताल द्वारा जारी सर्टिफ़िकेट पर मौत की वजह का भी ज़िक्र नहीं था. जबकि इस केस में पोस्टमॉर्टम किया जाना चाहिए था. </p><p>ज़ेन ने अपनी याचिका में बच्चों को प्रदर्शन स्थल पर ना जाने को लेकर दिशा-निर्देश तय करने और इस मामले की पूरी जांच के लिए अनुरोध किया है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51359422?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जामिया, शाहीन बाग़: ऐसे ही नहीं चल रही गोली</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51382524?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़ में गोली चलाने वाला AAP का सदस्य?</a></li> </ul><figure> <img alt="शाहीन बाग़ में एक प्रदर्शनकारी महिला" src="https://c.files.bbci.co.uk/F1CD/production/_110810916_gettyimages-1199070992.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>शाहीन बाग़ में एक प्रदर्शनकारी महिला</figcaption> </figure><h3>क्या है जीने का अधिकार?</h3><p>संविधान के अनुच्छेद-21के अनुसार क़ानून द्वारा स्थापित बाध्यताओं को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने और व्यक्तिगत आज़ादी से वंचित नहीं रखा जा सकता.</p><p>अनुच्छेद-21 जीवन जीने का मौलिक अधिकार भी देता है, इसमें पर्यावरण का अधिकार, बीमारियों व संक्रमण के ख़तरे से मुक्ति का अधिकार शामिल है. स्वस्थ वातावरण का अधिकार, सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार इसमें शामिल है. </p><h3>क्या कहना है ज़ेन के पिता का?</h3><p>ज़ेन के पिता गुणरत्ने सदावर्ते पेशे से वक़ील हैं. </p><p>बीबीसी ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि ज़ेन की चिट्ठी बतौर याचिका रजिस्टर हो गई है. </p><p>उन्हें उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करे. </p><p>गुणरत्ने सदावर्ते के मुताबिक़, यह पूरी तरह से ज़ेन की सोच है, ना तो उसे किसी ने ऐसा करने के लिए कहा और ना ही ये किसी और की सोच है. </p><figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/9C0E/production/_110805993_gettyimages-1189275659.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>सुप्रीम कोर्ट में वकील अवनी बंसल कहती हैं कि विरोध प्रदर्शन करने को लेकर ऐसा कोई नियम फ़िलहाल देश में नहीं है, प्रजातंत्र में विरोध करना हर नागरिक का अधिकार है. </p><p>वो कहती हैं, "जब तक कोई बच्चा है वो पैरेंट्स के अंडर होता है, तो उसके सही ग़लत का फ़ैसला मां-बाप ही करते हैं. अगर बाकी सारी बातों के लिए हम पैरेंट्स को ट्रस्ट करते हैं तो इस मामले में क्यों नहीं."</p><p>ज़ेन की याचिका विचाराधीन है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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शाहीन बाग़ में बच्चे की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाने वाली बच्ची
<figure> <img alt="शाहीन बाग़ प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/18286/production/_110805989_gettyimages-1198186038.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बेटे को खोने के बाद भी नाज़िया हर रोज़ शाहीन बाग़ जा रही हैं.</p><p>नाज़िया, वही महिला हैं जिन्होंने शाहीन बाग़ के प्रदर्शन में अपने चार महीने के बेटे को 29 जनवरी की रात को खो दिया. </p><p>लगभग दो महीने से चल रहे शाहीन बाग़ […]
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