।। दक्षा वैदकर ।।
सचिन तेंडुलकर की जितनी तारीफ की जाये, वह कम है. वे खेल के मैदान में हों या मंच पर, लोगों को प्रेरित करते ही हैं. एक स्कूल के पुरस्कार वितरण समारोह का वीडियो मैंने देखा. इस प्रोग्राम में सचिन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इंडिया के लिए खेलना मेरा सबसे बड़ा सपना था.
जब मैंने पहली बार इंडिया के लिए खेला, तो मेरे पापा ने मुझसे पूछा- ‘अब जबकि तुमने अपना यह सपना पूरा कर लिया है, इसके आगे क्या सोचा है?’ मैंने कहा, ‘मैं इंडिया के लिए खेलना जारी रखूंगा.’ पापा ने कहा, ‘बेटा जिंदगी में हर चीज अस्थायी होती है. तुम 10 साल, 20 साल, 30 साल तक खेलोगे, उसके बाद क्या? दुनिया में केवल एक चीज स्थायी होती है और वह होता है हमारा स्वभाव. यह स्वभाव ही है, जो आखिरी सांस तक हमारे साथ रहता है.
इसलिए मैं चाहता हूं, तुम इस पर ध्यान दो. क्रिकेट की दुनिया में तुम्हारे साथ कई चीजें होंगी. लोग तारीफ करेंगे, क्रिटिसाइज भी करेंगे. मैं बस चाहता हूं कि लोग क्रिकेट से ज्यादा तुम्हें अच्छे स्वभाव के लिए जानें.’
सचिन ने आगे कहा, ‘बच्चों, आप सभी अभी कच्चे डायमंड हो. आपका पॉलिश होना अभी बाकी है. आप सभी के पास अपने सपने हैं. एक विजन है. आपको खुद को तराशना है. आप पहले अपना एक लक्ष्य तय कर लो और उसे पूरा करने में लग जाओ. याद रहे, डायमंड को पॉलिश करने की यह यात्र आसान नहीं है.
इसमें कई कठिनाइयां आयेंगी, लेकिन आप गिवअप मत करना. कभी शॉर्ट कट मत तलाशना. सही रास्ता अपनाना बहुत जरूरी है. टफ टाइम ही किसी आदमी को टफ बनाता है.’
सचिन ने बच्चों को बताया, ‘स्पोर्ट्स ने मुझे मजबूत बनना सिखाया. इसने मुझे अपने विरोधी का सम्मान करना सिखाया और सबसे पहले अपने खेल को सम्मान देना सिखाया. यहां पर मौजूद आप सभी बच्चे तो स्पोर्ट्समैन नहीं बनेंगे. कोई डॉक्टर बनेगा, तो कोई इंजीनियर. बस एक बात याद रखो कि अपने पैरेंट्स, टीचर्स और बड़ों का सम्मान करना मत भूलो. उनसे गाइडेंस लो. उनका गाइडेंस बहुत जरूरी है. उनके गाइडेंस से ही आप सही रास्ते पर रहोगे.
बात पते की..
– सचिन को उनके स्वभाव की वजह से बहुत पसंद किया जाता है. उन्होंने न तो क्रिकेट के मैदान में किसी से झगड़ा किया और न कभी गाली दी.
– जितना हो सके, विनम्रता बनाये रखें. अपने गुस्से को काबू में रखें. कोई भी जवाब देने से पहले हजार बार सोचें. आपका स्वभाव भी अच्छा हो जायेगा.