मित्रों,
गांव-समाज को बदलने में अखबार और मीडिया बड़ी भूमिका निभाते हैं, यह हम सब जानते हैं. क्या हम अपना अखबार निकाल सकते हैं? देश के कई इलाकों में गांव-पंचायत के लोगों ने ऐसी पहल की है और वे अपने काम को लेकर न केवल सुर्खियों में हैं, बल्कि अपने आसपास की समस्याओं को पूरी ताकत से उजागर भी कर रहे हैं. अखबार निकालने के लिए क्या करना होता है और कैसे दूसरे लोग बिना बड़ी पूंजी के अखबार निकाल रहे हैं, हम इस अंक में यही बता रहे हैं, ताकि आप भी अपना अखबार निकालें.
आरके नीरद
अखबार या पत्रिका कोई भी व्यक्ति, संस्था या पंचायत सरकार निकाल सरकार निकाल सकती है. इसके लिए जरूरी यह है कि आप उसका कानूनी तौर पर निबंधन करा लें. अगर कोई ऐसी पत्रिका निकाल रहे हैं, जिसका नियमित प्रकाशन नहीं होना है, तो कोई बात नहीं. उसका प्रकाशन आप बिना रजिस्ट्रेशन के करा सकते हैं. जैसे कोई स्मारिका या किसी खास अवसर पर पत्रिका आदि, लेकिन अगर नियमित और विधिवत रूप से आप अखबार या पत्रिका निकाल रहे हैं, तो उसके शीर्षक का सत्यापन और रजिस्ट्रेशन जरूरी है. यह काम बहुत जटिल नहीं है. देश में पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन को कानूनी रूप से व्यवस्थित और नियंत्रित करने का दायित्व भारत के समाचार-पत्रों के निबंधक का है. इसे अंगरेजी में रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया यानी आरएनआइ कहते हैं. इसका दफ्तर दिल्ली में है. यह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रलय के अधीन आता है. देश में जितनी पत्र-पत्रिका निकलती हैं, उन सभी का रजिस्ट्रेशन इसी कार्यालय में होता है. बड़े स्मतर पर अखबारों और पत्रिकाओं के प्रकाशन में यह जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराता है. अखबार और पत्रिका के प्रकाशन को लेकर देश में केंद्रीय कानून है. यह है प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स (पीआरबी). इसके अलावा समाचार पत्रों का पंजीयन (केंद्रीय) नियम,1956 भी है. इन्हें लागू कराना आरएनआइ का दायित्व है. आप भी अपने अखबार या पत्रिका के प्रकाशन के लिए आरएनआइ को आवेदन दे सकते हैं. एक अखबार या पत्रिका को कानूनी रूप से शुरू करने और उसके रजिस्ट्रेशन आदि की प्रक्रिया मुख्य रूप से चार चरणों में पूरी होती है. पहले यह काम थोड़ा जटिल था, लेकिन अब इसे सरल बना दिया गया है. हर काम के लिए समय सीमा तय कर दी गयी है और सभी तरह की सूचनाओं के लिए वेबासइट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
प्रथम चरण
अखबार या पत्रिका का शीर्षक सत्यापन
किसी भी समाचार-पत्र या पत्रिका का प्रकाशन शुरू करने के पहले यह जरूरी होता है कि उसके नाम यानी शीर्षक का सत्यापन करा लें. बिना शीर्षक सत्यापन का कोई अखबार या पत्रिका निकालना कानून गलत है. इसमें कॉपीराइट उल्लंघन का भी मामला बन सकता है. मान लीजिए कि आपने जिस नाम से कोई प्रकाशन शुरू कर दिया है. उस नाम का कोई अखबार या पत्रिका पहले से पंजीकृत है, तो उसका मालिक आप पर अपने अखबार या पत्रिका का नाम चुरा कर आर्थिक नुकसान का दावा देश कर सकता है. इसलिए कोई भी प्रकाशन शुरू करने के पहले यह पड़ताल जरूरी है कि आपने जो शीर्षक चुना है, उस शीर्षक का कोई अखबार या पत्रिका पंजीकृत तो नहीं है? यह सत्यापन केवल एनआरआइ का कार्यालय ही कर सकता है. शीर्षक सत्यापन के लिए आप अपने जिल मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास इस आशय का आवेदन-पत्र जमा करें. उसमें अपनी पत्र-पत्रिका के प्रस्तावित चार-छह नाम, समाचार-पत्र का विवरण आदि का उल्लेख करें. इसके लिए आरएनआइ ने फॉर्म तय कर दिया है. यह फॉर्म आप उसके वेबसाइट से डाउनलोड कर लें. डीएम आपके आवेदन को आरएनआइ को इस आशय के पत्र के साथ भेज देगा कि वह आपके द्वारा प्रस्तावित शीर्षकों (नामों) का सत्यापन करे.
दूसरा चरण
फार्म-1 में घोषणा-पत्र
आरएनआइ से शीर्षक सत्यापन का पत्र मिलने के बाद जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष एक घोषणा-पत्र दाखिल करना होता है. यह घोषणा-पत्र अखबार या पत्रिका का संपादक/मुद्रक (छापने वाला) को दाखिल करना होता है, जिसमें उसे अपने प्रकाशन से संबंधित विवरण देने होते हैं. इसके लिए फॉर्म निर्धारित है, जिसे फॉर्म-1 कहा जाता है. यह समाचार पत्रों का पंजीयन (केंद्रीय) नियम,1956 की अनुसूची के नियम-3 के तहत निर्धारित है. यह फार्म आप तौर पर जिला दंडाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध रहता है. अगर वहां यह नहीं मिले, तो आप आरएनआइ के वेबसाइट से डाउन लोड भी कर सकते हैं.
तीसरा चरण
प्रथम अंक
तीसरे चरण में आपको अपने अखबार या पत्रिका का प्रकाशन शुरू करना होता है. आप जि तिथि को जिला मजिस्ट्रेट के पास फार्म-1 घोषणा दाखिल करते हैं, उस तिथि से छह सप्ताह यानी डेढ़ माह के अंदर आपको पहला अंक छाप लेना होता है. यह शर्त साप्ताहिक अखबार के लिए हैं. अन्य पत्र-पत्रिकाओं को पहला अंक छापने के लिए तीन माह का समय मिलता है. शीर्षक सत्यापन के बाद आप अखबार का प्रकाशन शुरू कर सकते हैं.
चौथा चरण
पंजीयन के लिए आवेदन
रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन देना होता है. इसका फॉर्मेट तय है. इसे आप आरएनआइ के वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इसके अखबार या पत्रिका का शीर्षक के सत्यापन-पत्र, घोषणा-पत्र की प्रति ,10 रुपये के गैर-अदालती (नन-जूडिशियल) स्टांप पेपर पर ‘विदेशी गठबंधन नहीं’ इस आशय का शपथ-पत्र, अखबार या पत्रिका की प्रकाशित प्रति भी शामिल करें. आवेदन करने के बाद आप अपने अखबार या पत्रिका का प्रकाशन जारी रखते हुए उस पर इस आशय की सूचना अंकित करें.
अखबार या पत्रिका के प्रकाशनमें बरती जाने वाली सावधानी
जब आपका अखबार या पत्रिका आरएनआइ से पंजीकृत हो जाये, तो आप उसके नियमित प्रकाशन के लिए कानूनी रूप से सक्षम हो जाते हैं. आपके अखबार या आपकी पत्रिका के नाम से कोई दूसरा प्रकाशन नहीं हो सकता है. पत्रिका या अखबार का वह नाम आपके लिए पंजीकृत हो चुका होता है और इसकी सूचना आरएनआइ के वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया जाता है. अखबार या पत्रिका प्रकाशन में आपको यह सावधानी रखनी होती है कि आप उसके शीर्षक में अपनी मरजी से कोई फेर-बदल नहीं कर सकते हैं. हर अंक में डेट लाइन, पहले पेज पर कुल पृष्ठ संख्या तथा प्रत्येक पृष्ठ पर क्रम संख्या, प्रकाशन की तिथि, अगर दैनिक अखबार नहीं है, तो अखबार या पत्रिका को जारी करने की तिथि, आरएनआइ नंबर, मुद्रक (अखबार छापने वाले) का नाम, प्रकाशक, स्वामी तथा संपादक का नाम, प्रकाशन स्थल का पूरा पता एवं मुद्रण प्रेस का नाम व पता स्पष्ट रूप से छापना होता है.
आरएनआइ कार्यालय का पता है
आरएनआइ कार्यालय, पिश्चमी खंड-8
स्कंध-2, रामकृष्णपुरम, नयी दिल्ली-110066
दूरभाष: 011-26106251. www.rni.nic.in