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नयी भूमिका में खुद को कैसे ढालें

स्कूल या कॉलेज का पहला दिन हो या किसी नये कोर्स की पहली क्लास हो, हमेशा एक अनजाना सा दबाव होता है. मसलन, मन में कई सवाल कौंधते हैं. कई बार असमंजस की ऐसी स्थिति बनती है कि लोग दूर भागने की कोशिश में लग जाते हैं. यह मानवीय स्वभाव है, जो हमेशा कुछ नया […]

स्कूल या कॉलेज का पहला दिन हो या किसी नये कोर्स की पहली क्लास हो, हमेशा एक अनजाना सा दबाव होता है. मसलन, मन में कई सवाल कौंधते हैं. कई बार असमंजस की ऐसी स्थिति बनती है कि लोग दूर भागने की कोशिश में लग जाते हैं. यह मानवीय स्वभाव है, जो हमेशा कुछ नया करने का प्लान तो बनाता है, लेकिन हकीकत का सामना कर पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. दरअसल, इस वक्त का बहुत ही सावधानी से सामना करना होता है.

यही स्थिति नयी जॉब या नयी भूमिका में भी होती है. नि:संदेह यह वक्त रोमांचकारी होता है, लेकिन कई लोग भ्रम में उलझ जाते हैं और कई बार तो यह भयावह भी हो जाता है. जब हमें कोई नया कार्य या नयी भूमिका सौंपी जाती है, तो हमारी जवाबदेही बढ़ जाती है. संक्रमण के इस दौर में खुद को साबित करने के लिए सबसे पहले हमें खुद के तनाव से पार पाना होता है, फिर एक ठोस प्लान के साथ आगे बढ़ना होता है. जब एक बार आप लय पकड़ लेते हैं, तो आपके लिए संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
यहां अपने स्किल और एक्सपीरियंस का भरपूर इस्तेमाल करें, समस्याओं का हल अपने तरीके से ढूंढें, इससे निश्चित ही आपकी टीम में अहमियत बढ़ेगी और आप एक लीडर के तौर पर उभरेंगे.
हालातों को समझें
नयी भूमिका में भावनात्मक स्तर पर कई बदलावों से जूझना पड़ता है. ऐसे में जल्दबाजी या सब कुछ एक बार में ही जान-समझ लेने की बजाय शांति रखें और धीरे-धीरे हालातों से परिचित हों.
इस दौरान अपना सकारात्मक रवैया बनाये रखें. आसपास के लोगों को समझें, उनके कामकाज को देखें और कंपनी के कल्चर को समझने की कोशिश करें. कुछ वक्त बीतने के बाद अपना खुद का लक्ष्य तय करें और उसके अनुरूप कार्य करें. जिंदगी में सफलता काफी हद तक लक्ष्य निर्धारित करने की हमारी कला पर निर्भर है. जब हम लक्ष्य पाने की सही दिशा में होंगे, तो आगे की राह आसान होती जायेगी.
तालमेल भी है जरूरी
जब आप बड़े प्लेटफार्म पर काम कर रहे होते हैं, तो सामूहिक प्रयास की अहमियत बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में टीमवर्क जैसे गुण आपके काम को आसान बनायेंगे. इसके लिए प्रोफेशनल ड्यूटी के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर तालमेल जरूरी है. नयी भूमिका में आपका यह गुण आपसी तारतम्यता बढ़ायेगा.
मैनेजमेंट स्किल से आप चीजों को कंट्रोल कर सकते हैं, लेकिन लीडरशिप स्किल से आप अन्य लोगों को भी प्रेरित कर सकते हैं. लीडरशिप हमेशा जिम्मेदारी के निर्वहन से जुड़ा है और हर व्यक्ति अपने अनुसार इसे व्यवस्थित करता है.
सीखते रहें नये स्किल
आमतौर पर हमारा स्वभाव बन जाता है कि जिन चीजों से हम वाकिफ हैं या जिनकी हमें आदत पड़ चुकी होती है, उससे बाहर निकलने की कोशिश नहीं करते. कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का फैसला कठिन होता है. लेकिन, लीडर बनने के लिए आपको अपरिचित चीजों से परिचित होना पड़ता है और लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवांछित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. नयी चुनौती के लिए हमें लगातार सीखना होता है. नये स्किल ही हमें समस्याओं से उबार कर ऊंचाइयों पर पहुंचा सकते हैं.

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