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स्वाद के जरिये बनायी पहचान

बेहतर सैलरी और गूगल में नौकरी, एक युवा को आज के दौर में और क्या चाहिए. लेकिन, मुनाफ कपाड़िया ने अपनी मां के हाथों बने बोहरी व्यंजन का स्वाद दुनिया तक पहुंचाने के लिए ऐसी शानदार नौकरी छोड़ दी. मुंबई स्थित बोहरी किचेन की शुरुआत इसी कारण हुई. मुंबई में इस किचेन की इतनी शोहरत […]

बेहतर सैलरी और गूगल में नौकरी, एक युवा को आज के दौर में और क्या चाहिए. लेकिन, मुनाफ कपाड़िया ने अपनी मां के हाथों बने बोहरी व्यंजन का स्वाद दुनिया तक पहुंचाने के लिए ऐसी शानदार नौकरी छोड़ दी. मुंबई स्थित बोहरी किचेन की शुरुआत इसी कारण हुई. मुंबई में इस किचेन की इतनी शोहरत है कि ऋषि कपूर, फराह खान, आशुतोष गाेवरिकर और संजय लीला भंसाली जैसी फिल्मी हस्तियां मुनाफ के घर पर इन व्यंजनों का स्वाद चख चुकी हैं.

ऐसे हुई बोहरी किचेन की शुरुआत : मुनाफ ने बोहरी किचेन की शुरुआत व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि बोहरी व्यंजनों को दुनिया के सामने लाने के लिए की थी. हालांकि, शुरू में उनके माता-पिता उनसे सहमत नहीं थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि किस तरह किसी को घर पर खाने के लिए आमंत्रित किया जाये और बदले में पैसा लिया जाये. लेकिन, मुनाफ पीछे हटने को तैयार नहीं थे. सो उन्होंने अपने दोस्तों को बोहरी किचेन के मेन्यू के साथ ई-मेल भेजा कि वे बोहरी किचेन आयें और सात सौ रुपये में खाना खायें. मुनाफ बताते हैं कि मेल करने के बाद सोनाली नामक लड़की का कॉल आया, जो किचेन को रेस्तरां समझ रही थी और वहां खाने के लिए आना चाहती थी.
यह पता चलने पर कि यह कोई रेस्तरां नहीं है, बल्कि पैसे देकर घर के बने विविध व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है. वह सहर्ष तैयार हो गयी और अपने साथ सात दोस्तों के लिए भोजन की व्यवस्था करने को कहा. इस तरह मुंबई के वर्ली स्थित घर पर पहली बार आठ लोग उनकी मां के हाथों बने व्यंजन का स्वाद लेने आये. मुनाफ बताते हैं कि इस पहले ग्राहकों को जो भोजन परोसा वह कोई बोहरी थाल नहीं, बल्कि सामान्य सी थाल में सामान्य सा भोजन था.
खाना समाप्त होने पर उस लड़की ने मुनाफ की मां को गले लगा लिया और कहा कि उनके हाथों में जादू है. इस तरह की प्रतिक्रिया ने उनके परिवार के इरादे पक्के कर दिये और उन्होंने सप्ताह में एक दिन लोगों को भोजन पर बुलाने का निर्णय लिया. इस प्रकार 2014 में बोहरी किचेन की शुरुआत हुई.
किचेन के लिए छोड़ी गूगल की नौकरी : मुनाफ मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं. बोहरी किचेन की शुरुआत के समय वे गूगल के मुंबई स्थित ऑफिस में बतौर एग्जिक्यूटिव काम कर रहे थे. लेकिन 2015 के आखिर में उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपनी नौकरी छोड़ देंगे और बोहरी किचन में फुल टाइम चीफ ईटिंग ऑफिसर के तौर पर काम करेंगे. हालांकि, इस बात से उनके माता-पिता खुश नहीं थे. लेकिन मुनाफ ने माता-पिता को समझाया कि वे उन्हें एक मौका दें. मुनाफ सफल रहे और चार वर्षों से भी कम समय में मां नफीसा, पिता तुरब और तीन भाई-बहनों के साथ मिलकर बाेहरी किचेन को एक बेहतरीन ब्रांड बना दिया. मुनाफ बोहरी किचेन से जुड़े मार्केटिंग और प्रोमोशन का काम देखते हैं और उनकी मां किचेन संभालती हैं. घर पर खाना खिलाने के अलावा, वे और उनके परिवारवालों ने ‘टीबीके एक्सप्रेस’ की शुरुआत की है, जो लोगों के घर या उनके बताये हुए स्थान पर बोहरी किचेन के व्यंजन मुहैया कराता है.
आसान नहीं था यहां तक पहुंचना : आज भले ही बोहरी किचेन एक ब्रांड बन गया है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब पैसों की कमी के कारण इसे चलाना मुश्किल हो रहा था. मुनाफ बताते हैं कि दिसंबर 2016 तक किचेन को चलाते हुए उनकी सारी जमा-पूंजी खत्म हो गयी थी. ऐसे में उन्होंने एक बार फिर से कॉरपोरेट वर्ल्ड में वापस लौटने का मन बना लिया. तभी फोर्ब्स से उन्हें फोन आया कि वे मैग्जीन के 30 अंडर 30 के कवर पर लिये गये हैं. इसके बाद मुनाफ को कुछ निवेशक भी मिले. साथ ही रीएलिटी शो ‘ग्रिल्ड’ के विजेता के तौर पर उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये मिले और उनका किचेन चल निकला.

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