क्रिकेट के मैदान और सीमा रेखा पर भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे से होड़ करते हुए कई बार देखा गया है. लेकिन क्या दोनों देशों के सांसदों के बीच भी कोई होड़ सी है?
मौजूदा भारतीय सांसदों में सौ से ज़्यादा सांसद ऐसे हैं जिन पर किसी न किसी तरह का आपराधिक मामला है.
वहीं पाकिस्तानी की पिछली पर्लियामेंट में आधे से ज़्यादा सांसद ऐसे थे जिनकी डिग्रियाँ जाली थीं.
और सवाल यह भी है कि क्या दोनों देशों की कथित सुस्त न्याय प्रक्रिया दोनों मुल्कों के दाग़ी सांसदों के लिए मददगार साबित होती है.
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इस धरती से कई जीव-जंतु, पशु-पक्षी तेज़ी से ग़ायब हो रहे हैं. भय यानी हैरत भी ऐसा ही एक पक्षी है, जिसकी नस्ल ख़तरे में है.
शुक्र ऊपर वाले का कि मैंने आज तक भय नामक कोई पक्षी नहीं पाला. वरना तो इस तरह के समाचारों-रिपोर्टों पर न जाने क्या हाल होता कि भारतीय लोकसभा के 543 सदस्यों में से 322 भगवान की दया से करोड़पति हैं.
लेकिन इतना कुछ मिलने के बाद भी 186 सांसदों पर किसी ने किसी तरह का आपराधिक मामला है.
और 112 को हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, बलात्कार या सामाजिक या धार्मिक शांति की ऐसी-तैसी करने जैसे किसी एक, दो या तीन आरोपों के समन पकड़ाए जा चुके हैं.
इस समय पाकिस्तान में बैठकर मैं ऐसी बातों पर बस हँस ही सकता हूँ. क्या समझ रखा है, क्या हम कोई ब्रह्मचारी हैं, किसी से पीछे हैं…आख़िर इंडिया से मुक़ाबला है.
एमपी हॉस्टल में रखा क्या है?

जमशेद दस्ती के बयान पर पाकिस्तान के सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों के सांसदों ने ऐतराज जताया था.
पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली के एक मुंहफट मेंबर जमशेद दस्ती ने अभी कुछ दिन पहले मालूम नहीं किस झोंक में पर्लियामेंट के भरे सेशन में कह डाला कि एमपी हॉस्टलों में मुजरे और शराब के सिवा रखा क्या है? और मेरे पास इसकी वीडियो मौजूद हैं.
पूरी संसद ने पहले तो जमशेद दस्ती की कड़ी निंदा की. और फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने, जो आम दिनों में एक-दूसरे की शक्ल बर्दाश्त नहीं करते, मिलकर एक प्रस्ताव स्पीकर को पेश किया कि इस बदतमीज से सांसद की सीट वापस ले ली जाए.
सब समझ रहे थे कि मुंहफट दस्ती साहब इन मेंबरों की जान को हिटलर हो जाएंगे, लेकिन वो तो स्पीकर की चेतावनी के बाद भीगे तीतर की तरह ऐसे चुप हुए जैसे जीभ कट गई हो.
परंतु ये वही दस्ती साहब हैं जिन्होंने अपने इलाक़े में एक कॉलेज के प्रिंसिपल को इसलिए कूट डाला कि बेचारे ने उनकी सिफारिश पर किसी स्टूडेंट को दाख़िला देने से मना कर दिया था.
पंजाब एसेंबली के एक मेंबर ने पिछले महीने एक अस्पताल में ड्यूटी करने वाले सीनियर डॉक्टर को झापड़ खींच मारा. क़ुसूर ये था जब हज़रत मेंबर साहब डॉक्टर के पास आए तो उसने उठकर सलाम क्यों नहीं किया?
करोड़पति, जाली डिग्री
इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर, क्वेटा में कौन माई का लाल कांस्टेबल है जो किसी मेंबर पर्लियामेंट को लालबत्ती तोड़ने पर रोक ले? चालान का मतलब तुरंत इनक्वायरी या तबादला…कांस्टेबल का.
लोकसभा में तो फिर भी आधे सदस्य करोड़पति हैं पाकिस्तानी पर्लियामेंट में अगर दो चार से ज़्यादा लखपति मिल जाएं, तो मुझे भी बताइएगा.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा इनकम टैक्स तो मैं भरता हूँ, फिर भी नवाज़ शरीफ़ बदनाम हैं कि उनके पास करोड़ों डॉलर की संपत्ति है.
इससे आप बाक़ी सांसदों की ग़रीबी का अंदाजा लगा लें.
पाकिस्तान की पिछली पर्लियामेंट में आधे सांसदों की डिग्रियाँ या तो जाली थीं या फिर ऐसी यूनिवर्सिटियों की थीं जिन्हें डिग्रियों की जाँच करने वाला हॉयर एजुकेशन कमीशन भी नहीं पहचानता.
हल्ला गुल्ला मचने पर इस संदर्भ में जब कड़ी जाँच शुरू हुई तो कुछ ही दिनों में यह जाँच किसी बीच के स्टेशन पर खड़ी रह गई और लोकतंत्र की ट्रेन आगे निकल गई.
सज़ा हो भी जाए तो
अच्छी बात है कि हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान, दोनों जगह जब तक सज़ा घोषित न हो जाए तब तक संसद सदस्य मासूम ही रहते हैं. हाँ, सज़ा मिल जाए तो उसे अपनी सीट छोड़नी पड़ती है.
अगर आप बुरा न मानें तो मैं थोड़ा और हँस लूँ…
भारतीय लोकसभा हो या पाकिस्तानी नेशनल एसेंबली दोनों की उम्र पाँच वर्ष होती है, फर्ज करें कि मैंने आज किसी का अपहरण किया है और मुझ पर मुक़दमा भी चल रहा है, तो फिर…दस साल से पहले अगर मेरे केस का फ़ैसला हो जाए तो उसके साथ साथ जो चोर की सज़ा, वो भी मेरी.
तब तक तो दो चुनाव आराम से गुज़र चुके होंगे, तब तक तो मैं कड़कपति से करोड़पति बन चुका होऊँगा, तब तक तो पोलिटिकल इस्टैब्लिशमेंट में मेरी जड़ें बरगद की तरह फैल चुकी होंगी, तब तक तो मुक़दमा करने वाले मुझसे पैसा, प्लॉट और नौकरी ले कर खा पी भी चुके होंगे. अब करे ले लोकतंत्र जो करना है …
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