ब्रह्मानंद िमश्र
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फ्लेबॉटोमिस्ट के रूप में बनाएं करियर
ब्रह्मानंद िमश्र विशाल आबादी वाले हमारे देश में सर्वसुलभ और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है. देश के ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में परंपरागत स्वास्थ्य सेवाओं पर जिस तेजी से काम का बोझ बढ़ रहा है, उसका समाधान निकालने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी रही है. चूंकि, तकनीकों की पहुंच […]
विशाल आबादी वाले हमारे देश में सर्वसुलभ और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है. देश के ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में परंपरागत स्वास्थ्य सेवाओं पर जिस तेजी से काम का बोझ बढ़ रहा है, उसका समाधान निकालने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी रही है. चूंकि, तकनीकों की पहुंच से हर क्षेत्र के कामकाज में बदलाव हो रहा है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगर हेल्थकेयर सेक्टर की जरूरतों को पूरा करना है, तो तकनीक ही अहम रोल निभा सकती हैं. वर्तमान में हेल्थकेयर सेक्टर में तकनीकी विकास से इंडस्ट्री का स्वरूप बदलने लगा है और रोजगार के नये मौके भी सामने आ रहे हैं. इस सेक्टर की मांग के अनुरूप शिक्षण-प्रशिक्षण हासिल कर आनेवाले छात्रों के लिए आगामी वर्षों में नये स्तरों पर काम के मौके बनेंगे. हेल्थकेयर इंडस्ट्री की बढ़त को देखते हुए माना जा रहा है कि वर्ष 2022 तक यह 8.6 ट्रिलियन की हो जायेगी. हाल के वर्षों में मेडिकल रिसर्च ने ई-डायग्नोस्टिक को प्रोत्साहित किया है. इस क्षेत्र में कई मेडिकल कंपनियां कस्टमर को अलग-अलग स्तरों पर सुविधा प्रदान करने लगी हैं. डिजिटल डायग्नोस्टिक कंपनियां परंपरागत डायग्नोस्टिक सेंटरों के मुकाबले ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने का प्रयास कर रही हैं. ई-डायग्नोस्टिक कंपनियां इसके लिए फ्लेबॉटोमिस्ट प्रोफेशनल्स की मदद लेती हैं. फ्लेबॉटोमिस्ट प्रोफेशनल्स द्वारा कलेक्ट किये गये सैंपल के आधार पर कंपनियां मरीजों का रिकॉर्ड तैयार करती हैं.
क्या करते हैं फ्लेबॉटोमिस्ट प्रोफेशनल्स
फ्लेबॉटोमिस्ट ऐसे प्रशिक्षित पेशेवर होते हैं, जो क्लीनिकल या मेडिकल टेस्टिंग, ट्रांसफ्यूजन, डोनेशन या मेडिकल रिसर्च के लिए ब्लड सैंपल कलेक्ट करते हैं. अमूमन, ऐसे प्रोफेशनल ब्लड बैंक, हॉस्पिटल, लेबोरेटरीज और हेल्थ सेंटरों पर काम करते हैं. चूंकि, ई-डायग्नोस्टिक सेंटरों की संख्या बढ़ रही है और कई ई-कॉमर्स कंपनियां ई-डायग्नोस्टिक स्पेस को विकसित करने में रुचि ले रही हैं. ऐसे में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी के जानकारों की मांग में इजाफा होने की संभावना है.
करियर संभावनाएं
फ्लेबॉटोमिस्ट प्रोफेशनल्स एक जिम्मेदारी और संवेदनाओं भरा करियर है, जहां मरीजों की जरूरत के मुताबिक काम करना होता है. ब्लड टेस्ट के दौरान मरीजों के तनाव व चिंता को कम करते हुए माहौल को सकारात्मक बनाना होता है. अलग-अलग क्षेत्रों में फ्लेबॉटोमिस्ट प्रोफेशनल्स के लिए करियर के मौके उपलब्ध होते हैं. डिग्री/ डिप्लोमा या सर्टिफिकेट करके इस प्रोफेशन में दाखिल होनेवाले युवाओं को अनुभव के आधार पर तरक्की मिलती रहती है.
कोर्स और शैक्षणिक योग्यता
डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (डीएमएलटी) या बैचलर इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (बीएमएलटी) करके इस क्षेत्र से जुड़ा जा सकता है. हालांकि, अतिरिक्त विशेषज्ञता का कोर्स करनेवाले युवाओं को अपेक्षाकृत बेहतर मौके मिलते हैं. नर्सिंग के बैचलर डिग्री प्रोग्राम के साथ-साथ फ्लेबॉटोमी में स्पेशल प्रशिक्षण लिया जा सकता है. कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय फ्लेबॉटोमिस्ट कोर्स प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है, जिसमें 12वीं विज्ञान विषय से पास करनेवाले छात्र शामिल हो सकते हैं. इस कोर्स में 663 घंटों का प्रशिक्षण होता है, जिसमें 148 घंटे की थ्योरी, 355 घंटे का प्रैक्टिकल और 160 घंटे का इंटर्नशिप प्रोग्राम शामिल होता है. इसके अलावा इंडियन मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, जालंधर, शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़ और महर्षि मार्कण्डेश्वर विश्वविद्यालय, अंबाला जैसे कुछ संस्थान फ्लेबॉटोमी में कोर्स उपलब्ध कराते हैं.
जरूरी हैं ये स्किल्स
फ्लेबॉटोमिस्ट बनने के लिए आपकी लिखित और मौखिक कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होनी चाहिए. मरीजों के साथ सहानुभूति और सम्मान की भावना होनी जरूरी है.
प्रैक्टिकल स्किल के साथ तेजी से काम करने की दक्षता होनी चाहिए. दिये गये निर्देशों का बारीकी से अनुपालन करने की आदत होनी चाहिए.
दबाव में काम करने की आदत के साथ गोपनीय और संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखने और टीम के साथ काम करने की स्किल होनी चाहिए.
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