मिजिल्स (खसरा): आमतौर पर बच्चों में 3-5 वर्ष की उम्र में होने की आशंका होती है. वजह मिजिल्स वायरस होता है. लक्षण : अचानक तेज बुखार 102 डिग्री से 104 डिग्री.
बीमारी की दो अवस्था होती है : त्नपहले दाने निकलने से पूर्व के लक्षण. त्नदाने निकलने के बाद के लक्षण.
1. दाने निकलने के पहले ही बुखार 102 डिग्री तक हो जाता है. नाक से, आंख से पानी आना, ऐसा लगता है कि जैसे बच्चा रोया हो. रोशनी अच्छी नहीं लगती.
सुरसुराहट के साथ खांसी आती है. त्नआवाज भारी होना. त्नउल्टी के साथ पतला पखाना होना.
2. दाने आमतौर पर बुखार होने के चौथे या पांचवें दिन से आने लगते हैं. दाने लाल छोटे-छोटे होते हैं, जैसे- मच्छरों ने काटा हो. ये दाने होंठ, मुंह के अंदर एवं आंखों में भी हो जाते हैं.
बचाव के लिए : मोरबिलिनम 200 शक्ति की दवा रोजाना सुबह-रात तीन दिन तक लें. अगर परिवार में कोई बच्चा इस रोग से ग्रसित हो गया हो, तब अन्य बच्चों को उससे दूर रखें एवं रोगी द्वारा इस्तेमाल किये गये बरतन एवं कपड़ों को अन्य बच्चों से दूर रखें.
होमियोपैथिक दवाएं :
1. जेलसेमियम : लाल छोटे-छोटे दाने, इसमें ऐसा लगता है, जैसे मच्छरों ने काटा है. दाने पानीवाले नहीं होंगे, देखने पर ऐसा लगे कि बच्चा लगातार रो कर आया है. आंखें आंसुओं से डबडबायी हों, लेकिन पूछने पर पता चलता है कि बच्चा रोया नहीं है. ऐसी अवस्था में जेलसेमियम 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे के अंतराल पर दें.
2. कालीम्यूर : बुखार एवं सूखी खांसी हो, बहुत खांसने के बाद थोड़ा-सा खखार निकलता हो और उससे आराम महसूस हो, तो ऐसी अवस्था में कालीम्यूर 200 शक्ति की दवा बहुत कारगर है.
3. फेरमफॉस : बुखार, सर्दी एवं खांसी की प्रारंभिक अवस्था में यह काफी प्रभावकारी है. शरीर को ठंडे पानी से पोंछने पर आराम महसूस होता है.
4. पल्साटिला : वैसे मरीज, जो मिजिल्स से कुछ दिन से ग्रसित हों यानी रोग जब कुछ पुराना हो गया हो एवं गरम कमरे में भी जब ठंड लगे और प्यास बिल्कुल न हो एवं गरमी एकदम न बरदाश्त हो, तो ऐसी अवस्था में पल्साटिला की 200 शक्ति की दवा बहुत लाभदायक होती है.
क्या है चिकेन पॉक्स
यह वैरीसल्ला जोस्टर वायरस द्वारा उत्पन्न रोग है, जो आमतौर पर बच्चों में अधिक होता है. मगर बड़े लोग भी इसका शिकार हो जाते हैं. बच्चों से ज्यादा यह बड़ों में कष्टदायक होता है.
लक्षण : शुरुआत में गले में खराश, सिरदर्द एवं तेज बुखार होता है, इसके बाद पांचवें या छठे दिन से शरीर में दाने उत्पन्न होने लगते हैं, ये दाने मुंह से और गले से शुरू होते हैं, उसके बाद पीठ, छाती, पैरों एवं हाथों पर आ जाते हैं. हलके गुलाबी रंग जैसे दाने, जो कुछ घंटों में पानीवाले दानों में बदल जाते हैं. बाद में पीले दानों में बदल जाते हैं.
बचाव : मोरबिलिनम 200 शक्ति की दवा रोजाना सुबह एवं रात 3 दिनों तक लें. यदि परिवार या आस-पड़ोस में कोई रोगी इस रोग से ग्रसित हो, तो अन्य लोगों को उससे दूर रखें.
होमियोपैथिक दवाएं :
1. रसटॉक्स : सूखी खांसी, जो रात भर परेशान करे, दानों में लहर, बेचैनी एवं बुखार काफी रहे, एक जगह बैठे रहने का मन न करे, उस स्थिति में 200 शक्ति की दवा चार-चार घंटे पर दें.
2. कालीम्यूर : तेज बुखार, थोड़ी-थोड़ी देर में खांसी, लेकिन बहुत खांसने पर थोड़ा-सा गाढ़ा, चिपचिपा खखार निकले, शरीर पर पानी भरे दानें अधिक हों. इस स्थिति में 30 या 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे में दें.
3. एंटिम टार्ट : तेज बुखार, छाती में घड़घड़ाहट हो, खांसने पर बहुत कम बलगम निकले, नाक से पानी बहे तब 30 या 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे में दें.
प्रो (डॉ) एस चंद्रा
एमबीबीएस (पैट) एमडी (होमियो) चेयरमैन, बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड, पटना