।। प्रवीण सिन्हा ।।
वरिष्ठ खेल पत्रकार
शुरुआती दिनों में ही उलटफेर भरे मुकाबले देख कर यह कहना गलत नहीं होगा कि फीफा विश्व कप का रोमांच शिखर पर पहुंचने की राह पकड़ चुका है. दमदार रक्षण और तेज काउंटर अटैक के बल पर हॉलैंड, इटली और कोस्टारिका ने साबित कर दिया है कि किसी टीम को कमजोर आंकना या शुरुआती दौर में ही किसी को खिताब का प्रबल दावेदार बता देना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि अब तक हुए शुरु आती मैचों में स्टार खिलाड़ी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं, लेकिन कुछेक युवा खिलाड़ियों ने उनसे आगे निकलने की होड़ शुरू कर दी है.
इस बार विश्व कप नये तेवर के साथ शुरू हुआ हुआ है. हॉलैंड ने जहां गत विश्व विजेता स्पेन को 5-1 से धराशायी कर अपने अभियान का धमाकेदार आगाज किया, वहीं ग्रुप ऑफ डेथ यानी ग्रुप डी में दो बार के पूर्व विश्व चैंपियन उरु ग्वे और इंग्लैंड की सनसनीखेज हार से फुटबॉल जगत स्तब्ध रह गया.
इंग्लैंड का हारना कोई हैरत वाली बात नहीं है, लेकिन इटली ने उसे जिस तरह से 2-1 से मात दी, वह जरूर एक संकेत है कि तकनीक के अलावा तेजी और पावर गेम इस बार विश्व कप में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. इसी तरह कोलंबिया ने भी कमाल की तेजी और पावर गेम के बल पर ग्रीस पर 3-1 से एकतरफा जीत हासिल की. बहरहाल, कोस्टारिका ने सातवीं रैंकिंग पर काबिज उरु ग्वे पर 3-1 से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ग्रुप ‘डी’ में आगे इंग्लैंड और इटली के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. कोस्टारिका की जितनी तारीफ की जाए, कम है.
28 वीं वरीयता प्राप्त कोस्टारिका ने उरु ग्वे के हाथों इससे पहले मिली लगातार आठ हारों के बाद उन पर पहली जीत हासिल कर साबित कर दिया है कि उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. कोस्टारिका के कोच लुइस पिंटो ने मैच से पहले ही एलान कर दिया था कि उनकी टीम स्टार खिलाड़ियों से लैस विपक्षी टीमों के सामने दब कर कतई नहीं खेलेगी, बल्किअपनी ताकत और तैयारी के बल पर मैदान पर उतरेगी.
वाकई, उनके खिलाड़ियों ने कोच की बात को अक्षरश: सही साबित कर दिया. डिएगो फुर्लान, एडिसन कावानी और रोड्रिगेज जैसे धुरंधर खिलाड़ियों के साथ उतरी उरु ग्वे की टीम ने पहले हाफ में 1-0 की बढ़त लेते हुए आशा के अनुरूप अच्छी शुरु आत की. लेकिन दूसरे हाफ में कोस्टारिका के युवा जोल कैंपबेल, दुराते और यूरेना ने अद्भुत तालमेल के साथ एक के बाद एक तीन गोल ठोक कर उरु ग्वे की टीम को हताश कर दिया. उरु ग्वे की टीम कैंपबेल पर लगाम कसने में नाकाम रही जिसका खामियाजा उन्हें हार के रूप में ङोलना पड़ा.
कमोबेश इसी तरह की कहानी इटली ने भी इंग्लैंड के खिलाफ दोहरायी. वेन रूनी और जेरार्ड के अलावा इंग्लैंड ने ज्यादातर युवा खिलाड़ी मैदान में उतारे जो अपना स्टारडम साबित करने के प्रयास में इटली पर हमले तो कई बार बोले, लेकिन स्कोर नहीं कर सके. इंग्लैंड के ज्यादातर खिलाड़ी पहली बार विश्व कप में खेल रहे थे जिसका अनुभवी इटली की टीम ने भरपूर फायदा उठाया. मार्सिसियो ने बेहतरीन गोल कर इटली को बढ़त दिलायी, जबकि विश्व कप क्वालीफाइंग में इटली की ओर से सर्वाधिक गोल दागने वाले बालोटेली ने अपने अनुभव के बल पर बेहतरीन गोल कर इंग्लैंड को निराश कर दिया. हालांकि इंग्लैंड की टीम थोड़ी बदकिस्मत रही, जो उनकी ओर से लगे कई शॉट या तो गोल बार से टकरा गये या उनके शॉट निशाने पर नहीं लगे. कुल मिला कर इटली की सशक्त रक्षापंक्ति और बालोटेली व आंद्रिया पिरलो जैसे तेजतर्रार स्ट्राइकर की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने पूरी लय के साथ अपने अभियान की शुरु आत की है.
इस बीच, मौजूदा चैंपियन स्पेन के खिलाफ हॉलैंड की जीत की बात न हो, तो वह अधूरी रह जायेगी. ये दो धुरंधर टीमों के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई थी. स्पेन ने पिछली बार फाइनल में हॉलैंड को हरा कर विश्व कप जीता था जिससे उनका मनोबल बढ़ा हुआ था. वल्र्ड की नंबर वन टीम ने मैच के 28 वें मिनट में पहला गोल दाग कर अच्छी शुरु आत भी की. लेकिन स्पेनिश टीम शायद भूल गयी कि हॉलैंड के खिलाड़ी पिछले फाइनल मैच में मिली हार का बदला लेने को उतारू थे.
इसके अलावा स्पेनिश टीम पर जैसे ही एक गोल हुआ, उनके रक्षक और गोलकीपर इकेर कैसिलास के चेहरे पर तनाव साफ दिखने लगे. इसके बाद हॉलैंड ने जब बढ़त हासिल कर ली तो कप्तान कैसिलास की हताशा बढ़ती चली गयी और स्पेन की टीम एक के बाद एक गोल खाती रही. विपक्षी टीम की ताकत को न पचा पाना उनकी हार का सबसे बड़ा कारण बना.
दूसरी ओर, कप्तान रोबिन वान पर्सी और अर्जेन रोबेन की जोड़ी ने जिस तालमेल के साथ स्पेन की रक्षापंक्ति को छिन्न-भिन्न किया, उसे देखते हुए हॉलैंड को एक सशक्त दावेदार माना जा सकता है. वैसे भी, हॉलैंड की टीम तीन बार विश्व कप के फाइनल में पहुंची है और तीनों बार खिताब उनसे दूर रहा. जाहिर है, हॉलैंड इस बार खिताब जीतने के लिए सर्वस्व झोंक देगा. उनके लिए यह संभव है, बशर्ते रोबेन और वान पर्सी जैसे धुरंधर खिलाड़ी अपने अहम को छोड़ जिस तरह एक यूनिट के तौर पर खेलते दिखे, उसे कायम रखें.
हॉलैंड के साथ यह सबसे बड़ी समस्या है कि उसके खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन अपने स्टारडम के आगे वे साथी खिलाड़ी को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं और एकल प्रयास के चक्कर में जीत के करीब पहुंच कर भी उससे दूर रह जाते हैं. हॉलैंड के कोच वान गाल ने सबसे बड़ा काम यही किया है कि उन्होंने अपने खिलाड़ियों को एकजुट होकर खेलने को प्रेरित किया जिसका सुखद परिणाम पहले ही मैच में देखने को मिल गया.