हर दिन शाम ढलते ही शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर सरेआम जाम छलकाने का जो खेल चल रहा है, लगता है प्रशासन ने अपने आंख-कान बंद कर लिये हैं. जहां मन हुआ, खरीदा और शुरू हो गये. न कानून का डर और न ही राहगीरों की परवाह. कहने के लिए तो सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है, लेकिन यहां तो शराब से भी किसी तरह का परहेज नजर नहीं आता है.
जाहिर सी बात है, प्रशासन की नाक के नीचे ये सारा खेल चल रहा है और इसकी भनक प्रशासन को न हो, यह संभव नहीं है. लेकिन सब कुछ देखते हुए इसे नजरअंदाज करना कई सवाल खड़े करता है. प्रशासनिक लापरवाही की वजह से आज खास कर महिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धूम्रपान निषेध कानून का इस तरह माखौल उड़ाना वाकई चिंताजनक है.
प्रवीण कु सिंह, बोकारो