किसी पेचीदा, उलझी हुई, गड्डमड्ड चीज के लिए जो विशेषण हमारे दिमाग में सबसे पहले आता है, वह है जटिल. और, यह जटिल शब्द बना है ‘जटा’ से. हम सभी जानते हैं कि सिर के बड़े-बड़े उलङो हुए, बटे हुए, बल खाकर आपस में चिपके हुए बालों को जटा कहते हैं.
एकदम शाब्दिक अर्थ लें, तो जटिल का अर्थ है जटाधारी. लेकिन जटाओं में जो उलङो होने का भाव है, वह जटिल को अर्थ-विस्तार देता है. जटा शब्द भी सिर्फ उलङो हुए बालों तक सीमित नहीं रह जाता. यह ऐसी अनेक चीजों के लिए प्रयुक्त होता है जिनमें उलङो हुए रेशे होते हैं, जैसे नारियल की जटा, बरगद की जटा. बताते चलें कि बरगद के लिए संस्कृत में जटी और जटाल शब्द भी हैं.
पेड़-पौधों के मूल को ‘जड़’ कहते हैं. इसका ‘जड़ और चेतन’ वाले जड़ से कोई लेना-देना नहीं है. चेतन का विलोमार्थी जड़ शब्द संस्कृत के जड से आया है, जिसका अर्थ ठंड से जमा हुआ, गतिहीन, संज्ञाशून्य आदि है. वहीं पेड़-पौधों की जड़ों के लिए संस्कृत में जट या जटा शब्द है जिससे जड़ शब्द बना है. गौरतलब है कि जड़ों की संरचना भी जटा की तरह ही होती है. मोनियर-विलियम्स के संस्कृत शब्द कोश में अनुमान लगाया गया है कि जटा शब्द जन् धातु से आया होगा. जन् में पौधों के उगने, फूटने का अर्थ है. हो सकता है, मनुष्य को बाल घास की तरह उगते हुए प्रतीत हुए हों.
जटा शब्द से प्रेरित एक धातु बनी है ‘जट्’, जिसमें जुड़ कर पिंड बनने, बल खाकर लट जैसा बनने का अर्थ है. जट् से झट् धातु बनी है. यह कुछ ऐसा है जैसे जटा से झोंटा शब्द बना है. झट् से झाट (झाड़) और झाटी व झटि (झाड़ी) शब्द बने हैं. यहां ध्यान दें कि झाड़ व झाड़ी भी जटाओं की तरह घने और उलङो हुए होते हैं. जट में आपस में जुड़े होने का जो भाव है, उसी से जटित (जड़ित) या जटना (जड़ना) जैसे शब्द बने हैं. अंगूठी में नग जड़ना हो या थप्पड़ जड़ना, इनमें चोट करके दो चीजों को जोड़ा जाता है. यानी जड़ने में चोट करने का अर्थ भी है. जट् धातु के अन्य रूप जुट् और जुड् भी हैं, जिनसे जुड़ना, जोड़ना, जुटना, जुटाना जैसे शब्द बने हैं.
जटाओं को एक में बांधने के लिए लगायी गयी गांठ को संस्कृत में जूट कहा जाता है. इसी जूट से जूड़ा शब्द आया है. जटाओं के समूह को जटाजूट भी कहा जाता है. पटसन के रेशों को जटा कहते हैं. इन रेशों को चोटी या जूड़े की तरह बांध कर रखा जाता है, जिससे उसे जूट नाम भी मिला. जूट शब्द अंगरेजी में भी है. यह बांग्ला के जरिये अंगरेजी में शामिल हुआ. बंगाल में अंगरेजी राज में बहुत सी जूट मिलें खुली थीं. जूट शब्द बांग्ला में ‘झूटो’ है जो अंगरेजी में जाकर पुन: जूट हो गया.