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बाबाधाम में केसरिया सैलाब, रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे कांवरिये, शाम तक 1.40 लाख जलार्पण, भीड़ कंट्रोल के लिए चटकी बेंत

बाह्य अरघा की कतार भी करीब डेढ़ किमी हुई लंबी देवघर : श्रावणी मेला की दूसरी सोमवारी पर बाबा नगरी में केसरिया सैलाब उमड़ पड़ा. रिकॉर्ड संख्या में कांवरिये बाबाधाम पहुंचे. पूरा शहर शिवभक्तों से पटा रहा. सोमवारी पर शाम पांच बजे तक 1.40 लाख कांवरियों ने मुख्य व बाह्य अरघा से जलार्पण कर मंगलकामना […]

बाह्य अरघा की कतार भी करीब डेढ़ किमी हुई लंबी
देवघर : श्रावणी मेला की दूसरी सोमवारी पर बाबा नगरी में केसरिया सैलाब उमड़ पड़ा. रिकॉर्ड संख्या में कांवरिये बाबाधाम पहुंचे. पूरा शहर शिवभक्तों से पटा रहा. सोमवारी पर शाम पांच बजे तक 1.40 लाख कांवरियों ने मुख्य व बाह्य अरघा से जलार्पण कर मंगलकामना की. वहीं भीड़ को नियंत्रित करने व निकास द्वार पर जाम नहीं लगे इसके लिए प्रशासन की ओर से बेंत चटकाये गये. अहले सुबह बाबा मंदिर का पट खुलने के बाद सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने पारंपरिक पूजा की. इसके बाद आम भक्तों के लिए सुबह 3:50 बजे से जलार्पण प्रारंभ कर दिया गया.
उस समय कांवरियों की कतार करीब 15 किमी दूर कुमैठा स्टेडियम के पार पहुंच चुकी थी. वहीं शाम पांच बजे तक कतार करीब छह किमी दूर चंदाजोरी के समीप कालीबाड़ी तक रही. कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रविवार रात से ही जिला प्रशासन के अधिकारी से लेकर पुलिस के जवान पसीना बहाते रहे. वहीं बाह्य अरघा का क्रेज भी दिखा. दूसरी सोमवारी को बाह्य अरघा की कतार करीब डेढ़ किमी दूर बिजली ऑफिस के पार पहुंच गयी थी.
नहीं मिला स्ट्रेचर, बीमार बेटी को कंधे पर ले इलाज के लिए भटकता रहा िपता
सांप के डंसने से पीड़ित बेटी को बाप कंधे पर लेकर इलाज के लिए इधर-उधर भटकने को लेकर डीसी रविशंकर शुक्ला ने संज्ञान लिया है. डीसी ने सिविल सर्जन से कहा कि पूरे सदर अस्पताल में कितने स्ट्रेचर हैं. स्ट्रेचर को अस्पताल में वैसे स्थान पर रखने का आदेश दिया है, जहां से मरीजों को आसानी से सेवा मिल सके. अस्पताल के वार्ड ब्वाॅय व स्वास्थ कर्मी पीड़ितों को इलाज में कैसे मदद करते है, इसकी रिपोर्ट मांगी है.
क्या है मामला: पांच अगस्त को चतरा गिद्धौर प्रखंड सिंदवारी गांव निवासी सीताराम यादव के 30 वर्षीय पुत्री पूनम कुमारी को सांप ने डंस लिया. इसके बाद उसके परिजन हजारीबाग सदर अस्पताल इलाज कराने के लिए लाये. अस्पताल में इलाज कराने के लिए पिता ने बेटी को कंधे पर उठा कर भटकता रहा. एक घंटे तक बेबस पिता अपनी बेटी को जान बचाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान ले जा रहा थे. कोई स्वास्थ्यकर्मी इसकी मदद के लिए आगे नहीं आया. एक घंटे तक अस्पताल में बेटी को लेकर घूमता रहा है. पीड़ित युवती को वार्ड तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो पाया था.

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