‘होलीडे’ नाम सुन कर भले ही आप यह अनुमान लगाएं कि यह हल्की-फुल्की फिल्म होगी, लेकिन हकीकत यह है कि यह एक बेहद गंभीर मुद्दे पर बनी फिल्म है. इस फिल्म में अक्षय कुमार मुख्य किरदार में हैं. होलीडे में आंतकवाद के किस रूप का चित्रण है, इस बारे में अक्षय कुमार ने अनुप्रिया अनंत से बातचीत की.
लोग अनुमान लगा रहे कि आपकी ‘होलीडे’ कॉमेडी फिल्म होगी?जी नहीं. यह बिल्कुल गलत है. होलीडे बेहद गंभीर फिल्म है, जिसमें सीरियस इश्यू है. यह मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि यह मेरी फिल्म है, बल्कि इसलिए क्योंकि इसमें रीयल टेरेरिज्म को दिखाया गया है. फिल्म के निर्देशक मुर्गदौस ने विषय पर काफी काम किया है और फिल्म आपको एजुकेट करती है. फिल्म में कई रीयल इंसिडेंट्स पर आधारित दृश्य हैं. इसे एक इंटेलिजेंट थ्रिलर फिल्म कह सकते हैं.
फिल्म में आपका किरदार क्या है?
मैं आर्मी ऑफिसर की भूमिका में हूं और मैं होलीडे के लिए एक शहर में आता हूं. वहां मैं रीयलाइज करता हूं कि वहां आतंकवाद के बीज हैं. मैं अपने जवानों के साथ वहां के लोगों को बचाने की कोशिश करता हूं. मुङो इसकी कहानी इतनी पसंद आयी थी कि नैरेशन में फिल्म का सिर्फ फस्र्ट हाफ सुन कर ही फिल्म को हां कह दिया. मैंने विपुल से कहा कि सेकेंड हाफ जो भी होगा, आइ डोंट केयर. मुङो यह फिल्म करनी है. हम पहले यह फिल्म सिर्फ हिंदी में बनानेवाले थे. लेकिन निर्देशक मुर्गदौस की इच्छा थी कि पहले इसे साउथ में बनायें. तो हम राजी हो गये. उनकी आप पहले हिट फिल्म गजनी देख ही चुके हैं और अनुमान लगा सकते हैं कि उनकी फिल्मों में किस तरह का ट्रीटमेंट होता है. लोग कहते हैं कि उनकी फिल्मों में वायलेंस का ओवडोज होता है. लेकिन इस फिल्म में मैंने जब उनके साथ काम किया, तो मुङो यह एहसास हो गया कि वे काफी टैलेंटेड हैं. वे कई बार खुद पुलिस चौकी चले जाते हैं और वहां जाकर केस स्टडी करते हैं. इस फिल्म में एक दृश्य है, जहां टॉर्चर होता है. हमने अब तक हिंदी फिल्मों में यही दिखाया है कि मुंह पर पानी मारा जाता है. लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं होता. जो टॉर्चर दिखाया गया है, वह रीयल लाइफ में वाकई सैनिकों के साथ होता है, तो यह निर्देशक की बारीकी ही है.
कुछ मसाला फिल्मों के बाद आप एक ब्रेक लेते हैं फिर एक गंभीर फिल्म बनाते हैं. स्पेशल 26 की तरह. तो क्या कोई स्ट्रेटजी है?
नहीं, कोई स्ट्रेटजी नहीं है. बस मुङो जो किरदार अच्छे लग जाते हैं, मैं कर लेता हूं. एक साल में मेरी चार फिल्में आ जाती हैं, तो हर रूप में दर्शकों को दिखना चाहिए न! बस यही खयाल रखता हूं.
मुङो ऐसा करने में मजा भी आता है. हर फिल्म के बाद मैं 7-8 दिन का ब्रेक इसलिए लेता हूं कि फिर से दोबारा खुद को दूसरी फिल्म के लिए तैयार कर सकूं. दूसरी बात है कि यह संभव नहीं कि हर बार ‘ओह माइ गॉड’ जैसी फिल्में बनाता रहूं. चूंकि वैसी स्क्रिप्ट हर बार आपके पास नहीं आती. तो कुछ तय नहीं है. जैसे-जैसे मौके मिलते हैं, काम करता जाता हूं.
सोनाक्षी के साथ यह आपकी चौथी फिल्म है. आप सोनाक्षी को लकी चार्म मानते हैं. क्या यह वजह है कि आपके साथ वह लगभग हर फिल्म में नजर आ रही हैं?
नहीं, ऐसी बात नहीं है कि हर फिल्म में मेरे साथ सोनाक्षी ही हैं. मैं तो तमन्ना के साथ भी काम कर रहा हूं, काजल के साथ काम किया, अभी तापसी पन्नू के साथ कर रहा हूं. सोनाक्षी के साथ फिलहाल होलीडे ही है. इसके बाद साथ में फिलहाल किसी फिल्म की योजना नहीं है. सोनाक्षी मेहनती लड़की हैं और कम वक्त में उन्होंने अच्छी पहचान बना ली है. इसलिए उन्हें अच्छे ऑफर मिल रहे हैं.
आपके बेटे आरव और आपकी बांडिंग के बारे में बताएं.
आरव को फिल्मों में दिलचस्पी नहीं हैं. उसे मार्शल आर्ट करना पसंद है और वह गोल्ड मेडलिस्ट भी है. हम कहीं भी घूमने जाते हैं, तो यह उसकी प्लानिंग होती है कि हमें कहां जाना है और क्या करना है. मैं और वह बिल्कुल दोस्त की तरह हैं. बिटियां भी धीरे-धीरे बड़ी हो रही है फिर उससे भी दोस्ती हो जायेगी.
मार्शल आर्ट को लेकर आप हमेशा गंभीर रहते हैं?
हां, मैं चाहता हूं कि हर स्कूल में बच्चों को मार्शल आर्ट अनिवार्य विषय के रूप में बताया जाये. यह बेहद जरूरी है. इससे व्यक्ति सेल्फ डिफेंस कर सकता और उसके पास सेल्फ कॉन्फिडेंस भी आता है.