-नयी दिल्ली से अंजनी कुमार सिंह-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम-काज को देख कर नौकरशाहों में खलबली मची है. नौकरशाह मोदी के काम के प्रति जुनून से हतप्रभ है. मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सोमवार देर रात तक जिस तरह से अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर एजेंडा तैयार करने में जुटे रहे, उससे अधिकारी हैरत में है. मंगलवार सुबह अपने ऑफिस पहुंच कर कार्यभार संभालना और पूरे दिन सार्क देश के प्रतिनिधियों से मुलाकात, उनके काम करने के तरीके को रेखांकित करता है. मोदी के काम-काज के इस तरीके को देख काम करने वाले नौकरशाह उत्साहित हैं. हालांकि मोदी के काम-काज के तरीके से एक सकारात्मक बदलाव भी दिख रहा रहा है. मोदी ने अपने मंत्रियों से भी 16 से 17 घंटा काम करने की बात कही है. यह सब सुन अधिकारियों के होश उड़े हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम करना पड़ेगा.
लेकिन उन्हें इस बात की भी खुशी है कि उनके साथ मंत्री को भी काम करना पड़ेगा. मोदी द्वारा प्रशासनिक सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने की बात कही जा रही है. इसके तहत परिश्रम तथा निष्ठा से काम करने वालों को जहां पुरस्कृत किया जायेगा, वहीं काम चोर दंडित होंगे. मोदी के काम-काज करने के अपने अलग तरीके के कारण ही सभी मंत्रलय रिपोर्ट बनाने में जुटे हैं.
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिकारियों के विषय में पूरी जानकारी रखते हैं. उनके काम करने के तरीके से लेकर उनकी रुचि किस क्षेत्र में है, तथा अधिकारी किन कामों को करने में ज्यादा सक्षम होंगे, इस पर भी मोदी ध्यान रखते हैं. यही कारण है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण से पूर्व जब गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने मोदी से मुलाकात की, तो मोदी ने पहले से ही गोस्वामी के बारे में सारी जानकारी जुटा ली थी. मोदी ऐसे सक्षम अधिकारियों को तरजीह देते हैं, जो उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने की क्षमता रखते हों. मोदी का विकास का जो एजेंडा है, उसकी रूपरेखा बनाने की तैयारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दे दी गयी है.
ऐसी चर्चा है कि मोदी के मिनिमम गवर्मेट और मैक्सिमम गवर्नेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नौकरशाहों की मजबूत और सक्षम टीम का गठन किया जा रहा है. पार्टी के घोषणापत्र में भी कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों में कर्तव्य भावना को बढ़ावा दिया जायेगा, ताकि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो सके. मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही अधिकारियों के साथ एक बैठक कर एजेंडा बना कर लाने की सलाह दी थी. जिस तरह से नयी सरकार आने के बाद मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा ब्रीफिंग नोट पकड़ा दिया जाता था, वैसा मोदी की सरकार में नहीं चलेगा.
यह बात अधिकारी भी मानने लगे हैं. इसीलिए सभी मंत्रलय के सचिवों की ओर से अपने मातहतों को फाईल को अप-टू-डेट रखने की सलाह दी गयी है. शपथ लेने के साथ ही डीओपीटी की ओर से वैसे अ¨धकारियों की खोज शुरू हो गयी है, जो 10 साल से ज्यादा किसी भी मंत्री के साथ काम नहीं किये हैं. मंत्रियों को आप्त सचिव वैसे अधिकारियों की रखने की सलाह दी गयी है, जिनका कार्यकाल कम से कम पांच साल बचा हो. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जब भी नयी सरकार आती है तो नौकरशाहों के काम-काज के तरीके में बदलाव आता है. सरकार के काम-काज का असर ब्यूरोक्रेसी पर भी पड़ता है. इसलिए इसे सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जाना चाहिए.