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पाकिस्तान में रची गई शुजात बुख़ारी की हत्या की साज़िश: कश्मीर पुलिस

<p>जम्मू-कश्मीर के पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या के मामले में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रेस कॉन्फ़्रेस कर उनकी हत्या में शामिल चार संदिग्धों की पहचान जारी की.</p><p>आईजीपी कश्मीर एस.पी. पाणि ने कहा कि इस हत्या की साज़िश सीमा पार पाकिस्तान में रची गई थी. उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ […]

<p>जम्मू-कश्मीर के पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या के मामले में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रेस कॉन्फ़्रेस कर उनकी हत्या में शामिल चार संदिग्धों की पहचान जारी की.</p><p>आईजीपी कश्मीर एस.पी. पाणि ने कहा कि इस हत्या की साज़िश सीमा पार पाकिस्तान में रची गई थी. उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है और हत्या का षड्यंत्र रचनेवाला संदिग्ध सज्जाद गुल है जो पाकिस्तान में बैठा है, हालांकि वो रहनेवाला श्रीनगर का है.</p><p>इसके अलावा अन्य तीन की पहचान भारत प्रशासित कश्मीर के आज़ाद अहमद मलिक, मुज़फ़्फ़र अहमद भट और नवीद जट के रूप में हुई है.</p><p>पाणि ने कहा कि उनके पास इस बात के ठोस सबूत हैं कि हत्या की घटना पाकिस्तान में रची गई थी. </p><p>हालांकि, बुधवार को कुछ ऐसी रिपोर्टें आई थीं जिसमें लश्कर-ए-तैयबा ने ईमेल के ज़रिए इस घटना में शामिल होने से इनकार किया था.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44493767">पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से उपजे सवाल </a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44504156">आख़िर शुजात बुखारी से किसको दिक़्क़त थी</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44494236">शुजात बुखारी की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़</a></li> </ul><hr /><h1>14 जून को हुई थी हत्या</h1><p>’राइज़िंग कश्मीर’ नामक अख़बार के संपादक शुजात बुख़ारी की श्रीनगर में 14 जून को संदिग्ध हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में शुजात और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी.</p><p>50 साल के बुखारी श्रीनगर में लाल चौक सिटी सेंटर स्थित अपने दफ़्तर प्रेस एन्क्लेव से निकलकर एक इफ़्तार पार्टी में जा रहे थे तभी उन पर हमला हुआ था.</p><p>शुजात बुखारी ‘राइज़िंग कश्मीर’ के संपादक बनने से पहले 1997 से 2012 तक कश्मीर में ‘द हिन्दू’ अख़बार के संवाददाता थे.</p><p>पत्रकार होने के साथ-साथ वह कश्मीर की स्थानीय भाषाओं को ज़िंदा रखने के लिए भी अभियान चला रहे थे. </p><p>शुजात बुख़ारी पर साल 2000 में भी हमला हुआ था और तब से उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी. कश्मीर में शांति बहाल करने को लेकर शुजात बुख़ारी लंबे समय से सक्रिय रहे थे.</p><p>शुजात दुनिया भर में शांति और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आयोजित होने वाले सम्मेलनों में हिस्सा लेने के लिए अक्सर जाते रहते थे.</p><p>14 जून के अपने आख़िरी ट्वीट में बुखारी ने लिखा था, ”कश्मीर में हमने गर्व के साथ पत्रकारिता की है और यहां पर जो भी हो रहा है उसे लोगों के सामने लाते रहेंगे.</p><p><a href="https://twitter.com/bukharishujaat/status/1007141500336025600">https://twitter.com/bukharishujaat/status/1007141500336025600</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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