गांव के इर्दगिर्द फैले खेत हाथों को सुर्ख रंग देती मेहंदी पैदा करते हैं. पर अब ख़ुद आलावास गांव सुर्खि़यों में है.
राजस्थान में पाली ज़िले के इस गांव ने अब तक दाती महाराज के लिए हाजिरी देने आते मंत्री, नेता, अफसर और धन्ना सेठ देखे थे. मगर अब जांच टीमें आलावास की फेरी लगा रहे हैं.
पुलिस दाती महाराज पर लगे कथित दुष्कर्म के आरोपों की जांच कर रही है. दाती की एक शिष्या ने ही उन पर बलात्कार का आरोप लगाया है. दाती खुद को बेगुनाह बता रहे हैं.
श्वेत-स्याह दाढ़ी, ललाट पर तिलक छाप और गले में रुद्राक्ष माला के साथ ‘शनि शत्रु नहीं मित्र है’ को अपना सूत्र वाक्य बनाने वाले दाती महाराज नट बिरादरी से आते हैं. मारवाड़ रियासत में उन्हें वादी भी कहा जाता है.
स्थानीय लोगों के मुताबिक वादी अनुसूचित जाति में बहुत छोटा और बिखरा हुआ समूह है. आलावास में वो पुश्तैनी मकान मौजूद है, जहाँ दाती पैदा हुए और फिर बालपन में ही गांव से रुखसत कर गए.
जब लौटे तो वो मदन नहीं दाती मदन महाराज थे. निम्न मध्यमवर्गीय बनावट और रहन सहन वाले उस मकान में दाती के चचेरे भाई महेश आंगन में सुस्ताते मिले.
कहने लगे ‘दाती इस घर में पैदा हुए और फिर संन्यासी हो गए. अब उनसे हमारा रिश्ता नहीं है. लेकिन महेश कहते हैं ‘उन पर लगे आरोप ग़लत हैं. मेरे परिवार की बेटियां उन्हीं के स्कूल में पढ़ती हैं.’
‘सांसारिक सुख होता तो शादी न तोड़ते’
जेठ की तपती दुपहरी में गांव के एक चौक में लगी परचून की दुकान पर महिलायें जमा हो गईं. उनमें से एक मुन्ना देवी कहती हैं कि वो दाती के साथ ही स्कूल में पढ़ी है.
उन्होंने बताया, "हम एक दो जमात आगे पीछे थे. दाती को सांसारिक सुख की इच्छा होती तो बचपन में हुए अपने विवाह से किनारा नहीं करते. उनके पिता ने बहुत बालपन में ही पास के गांव की एक लड़की से विवाह करा दिया था. मगर दाती जब युवा हुए तो घर वालों से कह दिया शादी विवाह से उनका क्या सरोकार, वे तो अब सन्यास में चले गए हैं."
मुन्ना देवी आगे कहती हैं कि और बातों पर हम क्या कहें मगर इस तरह के आरोप ग़लत हैं. इन आरोपों पर गांव में किसी को भी यकीन नहीं है.
वहीं दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश देव ने बीबीसी से बताया है, "पीड़िता ने जो आरोप लगाया है वो काफ़ी संगीन हैं. हमारी जांच जारी है. हमने किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है. सही समय पर सबूतों के आधार हम आपसे बात करेंगे."
दाती के पुश्तैनी मकान से चार मकान दूर रहते मिश्री लाल सरगरा बिजली विभाग से सेवा निवृत हुए हैं. वे कहते हैं कि हमने दाती में ऐसी कोई बात न देखी न सुनी. दाती के सौतेले भाई शनि धाम में ही रहते हैं.
गांव के बाहरी क्षेत्र में किनारे खड़ी आश्वासन बाल ग्राम संस्था ने नीम ख़ामोशी ओढ़ रखी है. दाती महाराज की यही संस्था बालिकाओं के लिए आवासीय विद्यालय चलाती है. मुख्य प्रवेश द्वार पर लोहे का दरवाजा लगा है पर मीडिया के लिए पट बंद है.
वहां मौजूद चौकीदार ने कहा अभी किसी से भी बात नहीं हो सकती. फिर पता चला कोई जांच टीम परिसर में है. इस दौरान आदिवासी बहुल दक्षिणी राजस्थान से एक वाहन छोटी बच्चियों को लेकर दाख़िल हुआ.
दाती का सफ़र
मुख्य द्वार पर मिले एक सज्ज्ज्न ने अपनी पहचान नहीं बताई. पर कहा ‘यहां सात सौ बालिकाएं पढ़ती हैं. जो कुछ हो रहा है, उससे हम परेशान हैं. बच्चियों के मनोबल पर असर पड़ता है.’
वे आगे कहने लगे मेरी भी दो बेटियां यहाँ पढ़ती हैं. इमारत के बाहर सी सी टीवी कैमरे लगे हैं. वहीं दूसरी ओर दाती महाराज पर रेप का आरोप दर्ज कराने वाली पीड़िता ने दिल्ली पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में बताया है कि बहला फुसलाकर उनका रेप किया गया.
उनके मुताबिक आश्रम की दूसरी सेवादार ने उन्हें फुसलाते हुए कहा था "तुम बाबा की हो और बाबा तुम्हारे. तुम कोई नया काम नहीं कर रही हो. सब करते आए हैं. कल हमारी बारी थी. आज तुम्हारी बारी है. कल ना जाने किसकी होगी. बाबा समन्दर हैं हम सब उसकी मछलियां हैं. इसे कर्ज़ समझ कर चुका लो."
आलावास के मदन सिंह इन्दा भी दाती के स्कूल में ही पढ़े हैं और अब सरकारी हॉस्पिटल में लैब टेक्नीशियन है. उन्हें संस्था का करीबी माना जाता है.
वे बताने लगे ‘दाती का बचपन बहुत दुःख और अभावों में गुजरा. माँ जल्दी चली गई, पिता ने दूसरी शादी कर ली. फिर दाती सातवीं जमात तक पढ़ कर गांव से चले गए. इस दौरान वे अलग अलग साधु संतो के यहाँ रहे और ज्योतिषी सीखा. वे पटना भी रहे. फिर 1990 में दिल्ली आ गए. यहाँ कुछ मेहनत मशक्क्त की. तभी एक बड़े व्यक्ति के लिए की गई उनकी भविष्यवाणी सही साबित हो गई. उस व्यक्ति ने दाती की मदद की.’
इन्दा आगे बताते हैं, ‘किसी ने उन्हें दिल्ली में शनि मंदिर दे दिया. दाती ने ही लोगों की यह धारणा तोड़ी कि शनि शत्रु होता है. इससे लोगों का भय दूर हुआ. इन्दा नहीं जानते कि दाती का कोई बाल विवाह हुआ था.
- जब एक ‘पीर बाबा’ ने बचपन में उसका ‘रेप’ किया..
- आसाराम जैसे बाबा भक्तों के लिए क्यों भगवान बन जाते हैं
हमेशा की दूसरों की मदद
इन्दा कहते हैं कि दाती ने दस हज़ार बेसहारा बालिकाओं का विवाह करवाया है और जरूरतमंदों की मदद करने में कभी पीछे नहीं रहे. आलावास में कुछ लोगों ने बात करने से इंकार कर दिया तो कोई उनके कामों को गिनाता रहा.
गांव में ज़्यादातर लोग खेती करते हैं. मगर अनेक परिवार पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में नौकरी व्यापार और प्राइवेट काम करते बस गए हैं. दाती जब आरोपों से घिरे तो पाली जिले के कुछ दलित संगठनों ने उनकी हिमायत में प्रदर्शन का कार्यक्रम बनाया.
लेकिन इन्दा कहते हैं, ‘दाती को जब यह पता चला तो एक वीडियो संदेश देकर रुकवा दिया. क्योंकि बकौल इन्दा, दाती ने कहा साधु की कोई वर्ग और जाति नहीं होती. क्योंकि स्कूल में आप देख सकते है सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं.’
अब तक वे लोगों को कष्ट निवारण के उपाय बताते रहे हैं. लेकिन अब दिल्ली पुलिस बाबा से पीड़िता के आरोपों पर पूछताछ कर रही है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
]]>