वे मार्शल आर्ट्स में एक्सपर्ट हैं. वे डांस भी खूब करते हैं. उनकी शारीरिक बनावट व नाम की वजह से शायद दर्शक यह अनुमान लगाएं कि वह स्वभाव में थोड़े कठोर होंगे. लेकिन हकीकत यह है कि टाइगर श्रॉफ बेहद शर्मिले और शांत स्वभाव के हैं. पिता जैकी श्रॉफ जितना बिंदास हैं, टाइगर उतने ही संकोची स्वभाव के हैं. कभी फुटबॉल उनका पहला प्रेम था. लेकिन अब अभिनय कर रहे हैं तो पूरी शिद्दत से. वे मानते हैं कि काम वही करो, जिसमें दिल दे सको. अपनी पहली फिल्म हीरोपंती के बारे में उन्होंने अनुप्रिया और उर्मिला से दिलचस्प बातचीत की.
आपका नाम टाइगर ही क्यों रखा गया?
क्योंकि मैं बचपन में लोगों को दांत बहुत कांटता था. काफी शरारती था. जानवरों की तरह कांटता-नोचता था लोगों को, तो मॉम- डैड ने नाम ही रख दिया टाइगर.
हीरोपंती आपकी लांचिंग फिल्म है. बड़े स्तर पर यह लांच हो रही है. इस लांचिंग को
आप किस तरह देख रहे हैं?
मेरे लिए ड्रीम लांचिंग है. इसमें मुङो मौका मिल रहा है एक साथ कई विधाओं को दिखाने का. इसमें मैंने एक्शन किया है. डांस भी है. इसके अला इस फिल्म में रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, इमोशन सब कुछ है. एक परफेक्ट लांच है.हां, चर्चा की वजह यह है कि मैं जैकी श्रॉफ का बेटा हूं. एक स्टार सन से उम्मीदें ज्यादा होती हैं. हालांकि यह मेरी ताकत है और मुङो लगता है कि मुङो और मेहनत करनी है. 23 मई को वह मेहनत वसूल हो जायेगी.
शुरू से ही सोच रखा था कि एक्टिंग ही करना है?
नहीं, शुरू से मुङो स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रही है. मुङो डांसिंग, जिमनास्टिक ये सब पसंद था और ध्यान भी इन्हीं चीजों पर रहा था. ग्रेजुएशन ( बायोलॉजी) करने के बाद लगा कि अब क्या करूं! परेशानी की बात थी कि तब तक मेरा नाता सिर्फ स्पोर्ट्स ही था. पढ़ाई में खास मन नहीं लगा. मैं बिल्कुल खो गया था. लेकिन उस वक्त काफी ऑफर भी आने लगे. इनमें से एक फिल्म हीरोपंती भी थी. सो, मैंने तय किया कि एक्टिंग करूंगा. हालांकि मेरे दोस्त, मम्मी के दोस्त, सभी कहते थे कि टाइगर, तू भी एक्टिंग ही करेगा न. बचपन से सभी को एक्सपेक्टेशन थी कि यह हीरो बनेगा डैडी की तरह. लेकिन मैंने शुरू से ऐसा कुछ नहीं सोचा था. आखिर एक्टर के रूप में कैरियर मिल ही गया.
पापा (जैकी श्रॉफ) को आपने जब बताया कि अभिनय के लिए तैयार हैं, तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
बापू तो बहुत खुश हुए. उन्होंने मुङो खास टिप्स नहीं दिया. वह तो मुङो प्रतियोगी मानते हैं ( हंसते हुए). वह इतना ही बोलते हैं कि तू बोलना कम, सुनना ज्यादा. वैसे भी हकीकत में मैं ज्यादा बोल नहीं पाता, शर्माता हूं. फिल्म में मैंने खूब हीरोपंती दिखायी है. लेकिन असलियत में मैं अपनी जिंदगी में हीरोपंती बिल्कुल नहीं दिखाता.
पिता की फिल्म हीरो की भी रीमेक बन रही है. लेकिन आपने उस फिल्म से खुद को दूर क्यों रखा?
हां, वह फिल्म मुङो ऑफर हुई थी और ‘हीरोपंती’ से पहले हुई थी. पर मैं जानबूझ का उससे दूर रहा. क्योंकि मुङो डैड के साथ कोई कंपैरिजन नहीं चाहिए था. मैं उनके जैसा नहीं हूं. दोनों में बहुत फर्क है. उनकी जो खासियत है और मेरी जो खासियत है, अलग हैं. उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनकी पर्सनैलिटी सब कुछ अलग हैं. उनका डांसिंग स्टाइल भी मुझसे अलग है. मैंने मार्शल आर्ट और बाकी चीजों में बाकायदा ट्रेनिंग ली है. वह बिंदास हैं. मैं शर्मिला हूं. हम दोनों में कोई भी समानता नहीं है. इसलिए मैंने हीरो के रीमेक में कोई रूचि नहीं दिखायी.
सुभाष घई से जैकी श्रॉफ का काफी गहरा रिश्ता रहा है और आपको भी वे करीब मानते हैं?
हां, बिल्कुल. सुभाष घई साहब हमेशा मुङो कहते थे कि अरे टाइगर तू स्टार बनेगा. एक किस्सा है कि जब मेरा जन्म हुआ था. उसी वक्त उन्होंने साइंिनंग अमाउंट मेरे हाथों पर रख दी थी. कुछ दिनों बाद हीरो फिल्म आयी थी. वह मुङो इसके रीमेक में लेना भी चाहते थे.
आप अंधविश्वास पर यकीन रखते हैं?
दरअसल, मैं स्प्रीचुअल हूं. आप देखें, मैंने गले में ताबीज पहन रखी है. साथ ही नजर कवच पहन रखा है. पता नहीं कहां से आया. लेकिन मुङो इन चीजों पर बहुत बिलिव है. मैं सेफ्टी के लिए रखता हूं. जिस फिल्ड में उतर रहा हूं, वह इनसेक्योर है. कंपीटेटिव है, तो ये चीजें मदद करती हैं.
पापा से किन बातों के लिए डांट पड़ती है?
बापू वेजीटेरियन हैं और वह घर पर मुङो नॉनवेज खाने से रोकते हैं. लेकिन मैं छुप-छुप कर खा ही लेता हूं. तब डांट पड़ती है.
उनकी कौन-सी फिल्म आपको ज्यादा पसंद है?
मुङो ‘शिवा का इंसाफ’ बहुत पसंद है. चूंकि उस फिल्म में बापू सुपरमैन की तरह हैं और हर बच्चे के लिए उसका पिता सुपर हीरो ही होता है. इसलिए मुङो यह फिल्म पसंद है.