उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में सोशल मीडिया पर फैलाई गई एक झूठी ख़बर के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई.
इस मामले के बारे में रुद्रप्रयाग के ज़िलाधिकारी मंगेश कुमार घिल्डियाल ने बीबीसी से कहा, "सोशल मीडिया पर फ़ैलाई गई एक फ़ेक न्यूज़ के बाद अगस्त्यमुनि क्षेत्र में तनाव हुआ है. फ़िलहाल स्थिति नियंत्रण में है."
उन्होंने कहा, "कुछ दुकानों से सामान बाहर फेंका गया है. इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ है."
घिल्डियाल ने ये भी बताया, "सोशल मीडिया पर किसी ने एक ग़लत फोटो पोस्ट किया था. इस फोटो में एक युवक और युवती के आधे शरीर दिख रहे हैं. उनके चेहरे भी नहीं दिख रहे हैं. इसके साथ लिखा गया कि एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय की लड़की के साथ रेप किया है."
उन्होंने बताया, "पुलिस को इस तरह की घटना की कोई शिकायत नहीं मिली है. ये पूरी तरह से फ़ेक न्यूज़ थी लेकिन सोशल मीडिया पर ख़बर फैलते-फैलते लोगों तक पहुंची है और तनाव हुआ है."
घिल्डियाल के मुताबिक सबसे पहले तस्वीर पोस्ट करने वाले व्यक्ति की पहचान कर ली गई है और उसे जल्द ही गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.
एक चश्मदीद ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया, "प्रदर्शनकारी थाने के पास जमा हुए थे जहां से वो उत्तेजित नारेबाज़ी करते हुए बाज़ार में आ गए और रास्ते में मुसलमानों की दुकानों को निशाना बनाया."
चश्मदीद ने बताया, "मेरे घर के पास मुसलमानों की दो दुकानों को निशाना बनाया गया है." हिंदू बच्ची से बलात्कार की ख़बर उन्होंने भी सुनी है.
वो कहते हैं, "यहां सभी लोग हिंदू बच्ची से रेप की घटना की बात कर रहे हैं और इसे लेकर आक्रोशित हैं. सोशल मीडिया के ज़रिए हमें भी ऐसी जानकारी मिली है. ज़्यादातर लोग ये मान रहे हैं कि ऐसी घटना हुई है."
अगस्त्यमुनि उत्तराखंड का एक धार्मिक महत्व वाला क़स्बा है जो ज़िला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से क़रीब सोलह किलोमीटर दूर है. क़रीब बीस हज़ार की आबादी वाले इस क़स्बे में उत्तराखंड ज़िले का एकमात्र डिगरी कॉलेज है और यहां रहकर ग्रामीण क्षेत्र के छात्र पढ़ाई करते हैं.
स्थानीय पत्रकार हरीश गुसाईं के मुताबिक अगस्त्यमुनि में मुसलमानों की संख्या सीमित है और वो सब्ज़ी की दुकानें लगाते हैं. इसके अलावा छोटे-मोटे काम करते हैं.
हरीश गुसाईं कहते हैं, "इस क्षेत्र में हाल के महीनों में मुसलमान युवकों के हिंदू युवतियों से छेड़छाड़ की वारदातों की चर्चा कई बार हुई है लेकिन ऐसी घटनाओं पर एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई है. आम लोगों में इस तरह की चर्चाओं को लेकर आक्रोश हैं."
गुसाईं के मुताबिक प्रदर्शन में अधिकतर छात्र ही शामिल थे. वो कहते हैं, "क़रीब दो हज़ार प्रदर्शनकारी थे जो अचानक जुटे थे. ये प्रदर्शन किसी संस्था ने नहीं बुलाया था बल्कि सोशल मीडिया के ज़रिए ही लोग जमा हुए थे. हमने अगस्त्यमुनि में पहले इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं देखा है."
केदारनाथ के जाने के रास्ते में पड़ने वाला अगस्त्यमुनि उत्तराखंड के बाक़ी क़स्बों की ही तरह एक शांत क़स्बा है जहां पहले इस तरह की वारदातें नहीं हुई हैं. सांप्रदायिक तनाव की ये घटना इस क़स्बे के लिए नई है.
जिस चश्मदीद ने बीबीसी से बात की उन्होंने कहा, "ऐसा माहौल देखकर दिल बैठ रहा है. अगस्त्यमुनि में ये पहली बार हुआ है. उम्मीद है प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में कर लेगा."
https://twitter.com/rudraprayagpol/status/982184146389774337
वहीं प्रशासन भी अपने स्तर से अफ़वाह से निबटने की कोशिश कर रहा है. रुद्रप्रयाग के ज़िलाधिकारी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, "हमने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है. लोगों से आग्रह है कि इस अफ़वाह को और फैलने न दें और दोनों समुदाय के लोग शांति और धैर्य बनाए रखें. ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. हम फ़र्ज़ी ख़बर को फैलने से रोकने की कोशिशें कर रही हैं."
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