इसराइल ने पहली बार माना है कि उसने साल 2007 में सीरिया में बन रहे एक संदिग्ध परमाणु संयत्र पर हमला कर उसे नष्ट किया है.
इसराइली सेना ने कहा है कि सीरिया की राजधानी दमिश्क के उत्तर पूर्व में 450 किलोमीटर दूर स्थित देर-अल-ज़ूर प्रांत के अल-किबार परमाणु संयंत्र पर उसके लड़ाकू जेट विमानों ने बमबारी की थी. ये परमाणु संयंत्र उस वक़्त पूरा तैयार नहीं हुआ था.
सीरियाई सरकार इस बात से इनकार करती रही है कि वो कभी परमाणु संयंत्र बना रही थी.
इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश अपने दुश्मनों को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध था.
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नेतन्याहू ने ट्वीट किया, "इसराइल की सरकार, इसराइली सेना और देश की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद ने सीरिया को परमाणु ताकत बनने से रोका है. इस काम के लिए उनकी तारीफ़ की जानी चाहिए."
उन्होंने लिखा, "इसराइल अपनी पहले की नीति पर कायम है- हम अपने दुश्मनों को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए कोशिश करते रहेंगे."
इसराइली लड़ाकू विमानों ने साल 1981 में सद्दाम हुसैन के नेतृत्व में बग़दाद के दक्षिण-पूर्व में बन रहे एक परमाणु संयंत्र को अचानक हमला करके नष्ट कर दिया था.
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इसराइली सेना (इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्सेस) का कहना है कि 2004 के आख़िर में बड़े पैमाने पर ख़ुफ़िया कार्यवाई की शुरुआत की गई थी. इसराइली एजेंटों को ख़ुफ़िया सूत्रों से जानकारी मिली थी कि विदेशी विशेषज्ञों की मदद से सीरिया परमाणु संयंत्र का काम आगे बढ़ा रहा है. माना जा रहा था कि इस काम में उत्तर कोरिया उसकी मदद कर रहा है.
इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी के अनुसार उसके पास संयंत्र के बनाए जाने की जगह का पता था. उसका अनुमान था कि साल 2007 के आख़िर तक संयंत्र काम करना शुरू कर सकता था. इस जानकारी के मिलने के बाद बाद इसराइली सेना ने हमले की योजना बनाई और अभियान का नाम रखा "ऑपरेशन आउटसाइड द बॉक्स."
5 सितंबर 2007 को 22.30 बजे एफ़-16 और एफ़-15 जेट विमानों ने दक्षिण इसराइल के दो अलग-अलग हवाई पट्टियों से उड़ान भरी. ये विमान सीरियाई-तुर्की सीमा और भूमध्य सागर से होते हुए देर-अल-ज़ूर की तरफ बढ़े थे. इसराइली सेना के अनुसार चार घंटे बाद जब ये विमान लौटे तो ये अपने काम को अंजाम दे चुके थे.
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सेना के अनुसार "सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद संवंदनशील जानकारी" होने के करण इस अभियान की पुष्टि करने या इसके बारे में कोई ख़बर प्रकाशित नहीं करने का फ़ैसला लिया गया था.
सीरियाई सेना ने हमले के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई थी. सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल-असद ने कहा था कि "इसराइल ने उन सैन्य ठिकानों से संबंधित इमारतों और निर्माण पर बमबारी की है जिनका सेना इस्तेमाल नहीं कर रही थी."
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अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने 2011 में कहा कि इस बात की "बहुत अधिक संभावना" थी कि ये साइट पहले परमाणु संयंत्र का हिस्सा रहा हो.
इस हमले से पहले सीरिया ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए थे जिसके बाद वो बिजली के उत्पादन के लिए परमाणु संयंत्र बनाने का काम कर सकता था. लेकिन इसके लिए सीरिया को आईएईए को पहले से सूचित करना ज़रूरी था.
इसराइल ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और माना जाता है कि उसके पास कई परमाणु हथियार हैं. इसराइल ने ना तो कभी इस बात की पुष्टि की है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं और न ही कभी इस बात से इनकार किया है.
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इसराइली सेना का कहना है कि सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान तथाकथित इस्लामी चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने 2014 में देर-अल-ज़ूर पर कब्ज़ा कर लिया था.
सेना के अनुसार, "आप केवल कल्पना कर सकते हैं कि अगर उनके हाथों में परमाणु संयंत्र चला जाता तो क्या होता?"
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