लंदन : मच्छरों के काटने से होने वाली डेंगू नामक बीमारी का एशियाई और यूरोपीय मूल के लोगों में गंभीर रूप संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक रहता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है. अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने ऐसे जीन की पहचान की है, जिनके कारण एशियाई और यूरोपीय मूल के लोगों में गंभीर डेंगू होने के खतरे ज्यादा होते हैं.
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डेंगू बुखार पूर्वी एशिया और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है, लेकिन इस बीमारी के कारण बनने वाले एडिस मूल के मच्छरों के उत्तर अमेरिका और यूरोप में पैदा होने के कारण इस रोग के लिए जिम्मेदार विषाणु हाल में इन क्षेत्रों में भी फैल गया. डेंगू के विषाणु से कई तरह की बीमारी हो सकती है. इसमें डेंगू बुखार होने से लेकर डेंगू जैसे जानलेवा लक्षण पैदा होने का खतरा रहता है.
फ्रांस के नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (सीएनआरएस) के अनवज सकुंतभाई की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने 2000 और 2003 के बीच थाइलैंड के तीन अस्पतालों में डेंगू के विषाणु के संक्रमण की चपेट में आकर भर्ती हुए 411 मरीजों के आनुवांशिकी का अध्ययन किया. पीएलओएस नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीजेज नाम की पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में दो जीनों की पहचान की गयी, जो रक्त वाहिका में सूजन से संबंधित थे. इनसे गंभीर डेंगू का जोखिम पैदा होता है.
इसके अलावा, चयापचय (मेटाबोलिज्म) से संबंधित चार ऐसे जीनों का पता लगाया गया, जो डेंगू बुखार का जोखिम पैदा करते हैं. अफ्रीकी एवं यूरोपीय मूल के लोगों के आनुवांशिक डेटाबेस से तुलना पर पता चला कि इन रूपों में जातीय मूल के आधार पर बदलाव आते हैं.