अफगानिस्तान में बदलाव
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कभी तालिबानियों का था गढ़, आज महिलाएं सीख रहीं स्कीइंग
अफगानिस्तान में बदलाव यह सुनकर किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि अफगानिस्तान में भी महिला स्कीइंग टीम है. इन दिनों महिलाएं उस इलाके में बर्फबारी सीख रहीं हैं, जो एक समय तालिबानियों का गढ़ था, जहां महिलाओं के लिए स्कीइंग तो दूर की बात थी, खुलकर जीने पर भी आफत थी. सा ल […]
यह सुनकर किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि अफगानिस्तान में भी महिला स्कीइंग टीम है. इन दिनों महिलाएं उस इलाके में बर्फबारी सीख रहीं हैं, जो एक समय तालिबानियों का गढ़ था, जहां महिलाओं के लिए स्कीइंग तो दूर की बात थी, खुलकर जीने पर भी आफत थी.
सा ल 2013 की बात है. नॉर्वे की रहने वाली हेनरीट ब्योर्ज (38) को मध्य अफगानिस्तान के बामियान में स्कीइंग सिखाने के लिए बामियान स्कीइंग क्लब की ओर से आमंत्रित किया गया.
वहां पहुंचते ही किसी ने उनसे कहा, ‘अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए स्कीइंग! आपको पता है कि आपको करना क्या है.’ इस समय यह बात उन्हें कुछ अटपटी लगी, पर उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि अफगानिस्तान में महिलाओं की जिंदगी कितनी कठिन है. लेकिन, हेनरीट भी अपने धुन की पक्की थी. उन्होंने थोड़ा समय लेना उचित समझा और तलाश में लग गयीं एक मौके की. इसी बीच उन्होंने वहां की महिलाओं से घुलना-मिलना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे महिलाएं भी हेनरीट की बातों को समझने लगीं. हेनरीट के लिए रास्ता साफ होता जा रहा था. वह किसी तरह महिलाओं को उस जगह पहुंचाना चाह रही थीं, जहां वे स्कीइंग का रोमांच अनुभव कर सकें.
एक दिन हेनरीट ने कुछ महिलाओं को बर्फीली पहाड़ियों की ढलान पर पिकनिक के लिए आमंत्रित किया. उनके आमंत्रण पर कुछ महिलाएं पिकनिक के लिए आयीं. हेनरीट वहां पूरी तैयारी के साथ पहुंची थीं. महिलाओं के वहां पहुंचने से पहले ही हेनरीट अपने पूरे गेटअप में वहां स्कीइंग कर रही थीं. यह देखकर महिलाओं को आश्चर्य हुआ कि हमें पिकनिक पर बुलाकर वह खुद खेल रही हैं. उस समय तो उनलोगों को पता भी नहीं था कि वह जिस खेल का आनंद ले रही थी, वह वास्तव में स्कीइंग है.
महिलाओं को वहां देखकर हेनरीट रुक गयीं और उनसे स्कीइंग करने को कहा. हेनरीट को स्कीइंग करते देख महिलाओं में इसे लेकर रोमांच तो जाग गया था, लेकिन फिर भी डर कह लीजिए या शर्म, वे इसे लेकर सकुचा रही थीं. यह स्वाभाविक था. कहां वे सभी पिकनिक में बुर्का और हिजाब के साथ आयीं थीं और हेनरीट ने स्कीइंग सूट पहन रखा था.
कुछ देर बाद उनमें से एक महिला इसके लिए आगे आयी. इससे पहले कि वह स्कीइंग शुरू करती, वह लड़खड़ा कर गिर गयी. इतने पर सभी महिलाएं जोर से हंसने लगीं, पर उन्होंने स्कीइंग सीखने से इंकार नहीं किया. फिर क्या था, हेनरीट ने तुरंत इस मौके को हथिया लिया. अब सवाल था, उनके लिए सभी तरह के साजो-सामान की व्यवस्था का. अफगानिस्तान में तो महिलाओं के लिए कपड़ों के नाम पर सिर्फ सलवार-कुर्ते, बुर्का और हिजाब देखने को मिलते थे.
लेकिन, हेनरीट ने हिम्मत नहीं हारी. उसने अपने पत्रकार मित्र और बामियान स्कीइंग क्लब के संस्थापक क्रिस्टोफ जुएरसर से संपर्क किया और जरूरी सामानों की आवश्यकता जतायी. कुछ ही दिनों बाद हेनरीट के पास सारा सामान उपलब्ध हो गया. अब, वह घरों में रहनेवाली और चूल्हा-चौका करने वाली महिलाओं को स्कीइंग सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार थीं. महिलाओं ने भी उनका भरपूर साथ दिया.
आज हेनरीट अपने अभियान में पूरी तरह सफल हैं. वर्तमान में इस ग्रुप में लगभग 100 सदस्य हैं. कुछ के तो बच्चे भी हैं, जिन्हें वह अपने साथ लेकर आती हैं. लोगों ने भी इसमें अपना पूरा साथ दिया है. हिम्मती हेनरीट ने अन्य महिलाओं के लिए जो स्कीइंग पोल, ड्रेस, चश्मे आदि खरीदे, वे पैसे बामियान के लोगों से चंदे जमा कर खरीदे गये थे. लोगों ने मदद करने में आनाकानी भी नहीं की.
बामियान
दूसरी शताब्दी में बामियान एक बौद्ध धार्मिक स्थल था. वहां की पहाड़ियों में उकेरी गयी बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं सदियों से वहां मौजूद थीं.
मई,1999 में तालिबान ने बामियान की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था. 2001 में तालिबानियों ने बामियान में विस्फोटक लगाकर बुद्ध की सभी प्रतिमाओं को तबाह कर दिया.
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