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वैलेंटाइन वीक पर पढ़ें यह: प्यार के चक्कर में कुंवारे ही नहीं, अब शादीशुदा भी छोड़ रहे घर

पटना : वैलेंटाइन वीक चल रहा है. रोज डे और प्रपोज डे बीत चुका है. शुक्रवार को यानी आज तीसरे दिन प्रेमी जोड़े चॉकलेट डे मनाने में व्यस्त हैं. कहा भी जाता है कि ‘चॉकलेट इज़ यूनिवर्सल सिम्‍बल ऑफ लव…’ अभी और पांच दिन आने बाकी हैं लेकिन इसी बीच एक आंकड़ा सामने आया है […]

पटना : वैलेंटाइन वीक चल रहा है. रोज डे और प्रपोज डे बीत चुका है. शुक्रवार को यानी आज तीसरे दिन प्रेमी जोड़े चॉकलेट डे मनाने में व्यस्त हैं. कहा भी जाता है कि ‘चॉकलेट इज़ यूनिवर्सल सिम्‍बल ऑफ लव…’ अभी और पांच दिन आने बाकी हैं लेकिन इसी बीच एक आंकड़ा सामने आया है जो आपको चौंका सकता है. प्रेम-प्रसंग में घर छोड़ने वालों में अब सिर्फ कुंवारे ही नहीं हैं. प्यार के चक्कर में शादीशुदा महिलाएं और पुरुष भी अपना बसा बसाया घर छोड़ रहे हैं. पुलिस विभाग के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं. पुलिस इसका कारण सामाजिक बदलाव मान रही है. उनका मानना है कि शादीशुदा महिला या पुरुष को अपने जीवन साथी से वह प्यार-सम्मान व भरोसा नहीं मिलता, जिसकी उसे अपेक्षा होती है. ऐसे में वह गैर महिला या पुरुष पर भरोसा जताने लगता है. धीरे-धीरे यही भरोसा प्यार में बदलता है और वह घर छोड़ने जैसा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटती. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं.

अपहरण की धाराओं में दर्ज होने लगे मामले

एडीजी सीआईडी विनय कुमार ने बताया कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ तो गुमशुदगी वाले मामले भी अपहरण की विभिन्न धाराओं में दर्ज होने लगे. इसके कारण अपहरण के आंकड़े बढ़ गये. उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में 8972 केस अपहरण की विभिन्न धाराओं में दर्ज हुए. इसमें से फिरौती के लिये अपहरण (धारा 364ए) के मात्र 42 केस बिहार भर में दर्ज हुए. इसी तरह, हत्या के लिये अपहरण (धारा 364) के 137 केस दर्ज हुए. भीख मंगवाने के लिये अपहरण (धारा 363ए) के 14 मामले दर्ज हुए. विवाह करने के लिये व्यस्क लड़की-शादीशुदा महिलाओं ने घर छोड़ा. ऐसे 1839 मामले सामने आये. चूंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, इसलिए इस मामले को भी अपहरण की धारा 366 में दर्ज किया गया. भले ही अधिकतर मामलों में महिला ने सहमति से घर छोड़ने की बात कबूल की. 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के घर छोड़ने के 4525 केस हुए. इनमें से भी 95 फीसदी से अधिक प्रेम-प्रसंग के मामले थे. इन मामलों को भी आईपीसी की धारा 366 ए के तहत दर्ज किया गया. इसे भी अपहरण की श्रेणी में रखा गया.

बदलाव का असर

एडीजी सीआईडी विनय कुमार कहते हैं, आजकल अपहरण के मामले विभिन्न धाराओं में दर्ज हो रहे हैं. इसमें गुमशुदगी वाले मामले भी शामिल हैं. गुमशुदगी के अधिकतर मामले प्रेम प्रसंग से जुड़े होते हैं. इसमें शादीशुदा महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं. कुल मिलाकर यह सामाजिक बदलाव का असर है. घर में अपने पति से नहीं बन रही तो वह महिला बाहर किसी के साथ दिल लगा लेती है. एक समय ऐसा आता है कि वह घर छोड़ देती है. ऐसा ही पुरुषों के साथ होता है. पुरुष की पत्नी से नहीं बन रही तो वह बाहर लड़की के संपर्क में आता है और घर छोड़ने जैसा निर्णय ले लेता है.

बोलते आंकड़े

वर्ष 2017 में बिहार पुलिस ने अपहरण की विभिन्न धाराओं में 8972 मामले दर्ज किये. इसमें 1839 ऐसे मामले शामिल हैं, जिसमें शादी के लिये बालिग लड़की ने घर छोड़ा है. खास बात यह कि इसमें शादीशुदा महिलाएं भी शामिल हैं. इसी तरह 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के घर छोड़ने का आंकड़ा भी कम नहीं है. 4525 लड़कियों ने पराये मर्द के साथ घर छोड़ा, परंतु परिजनों ने अपहरण की या बहला-फुसलाकर घर से ले जाने की शिकायत थाने में की. 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में लड़की अपनी सहमति से घर से प्रेमी के साथ जाती है. यहां भी यह गौर करने वाली बात सामने आयी कि प्रेमियों में अधिकतर शादीशुदा हैं.

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