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उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में सफ़ेद रंग का पूरी तरह से विकसित मगरमच्छ नज़र आया है. इस दुर्लभ नज़ारे से पर्यटन कारोबारी काफ़ी उत्साहित हैं.
बीते रविवार को डार्विन के पास ऐडिलेड नदी में नज़र आए इस मगरमच्छ का नाम पर्ल रखा गया है.
एक प्रत्यक्षदर्शी वन्य जीवन संरक्षक का अनुमान है कि इस मगरमच्छ की लंबाई तीन मीटर (10 फ़ुट) है.
जीवविज्ञानियों के मुताबिक़ यह मगरमच्छ हाइपोमेलनिज़्म की वजह से पीले रंग का नज़र आ रहा है. हाइपोमेलनिज़्म वह अवस्था है, जिसमें त्वचा के रंग का निर्धारण करने वाले मेलनिन की मात्रा कम होती है.
जब घर के आंगन में घुस आया 12 फ़ीट का मगरमच्छ
यहां मगरमच्छ के नाम से रोंगटे खड़े हो जाते हैं..
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मगरमच्छ का संबंध उस चर्चित हाइपोमेलनिस्टिक मगरमच्छ से हो सकता है, जिसे साल 2014 में मार दिया गया था. उस मगरमच्छ ने एक मछुआरे को मार डाला था.
एक ग़ैर सरकारी वन्य जीवन संरक्षण समूह की अध्यक्ष ब्रॉडी ने कहा, "सभी बहुत उत्साहित हैं. मैं पूरा दिन भावविभोर होकर उसे देखती रही."
मगरमच्छ सफेद क्यों है?
ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले ज़्यादातर मगरमच्छों का रंग भूरा या फिर हरा होता है. यह रंग छद्मावरण में उनकी मदद करता है.
चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट ऐडम ब्रिटन ने कहा कि पर्ल के हाइपोमेलनिज़्म की वजह या तो आनुवांशिक है या फिर अंडों को सेने के दौरान ऐसा हुआ है.
"अंडों को सेने के दौरान अगर तापमान ज़्यादा हो जाए कोशिकाओं के विभाजन में गड़बड़ हो जाती है."
उन्होंने कहा कि इस तरह से होने वाले बदलाव में "रंग परिवर्तन या त्वचा के उभारों का पैटर्न बदलना" शामिल हैं.
क्या यह विरली घटना है?
ब्रिटन का कहना है कि फ़ार्म में छोटे मगरमच्छों में ऐसा होना आम बात है, मगर पीले मगरमच्छों के लिए परभक्षियों से बचे रहना बहुत मुश्किल होता है.
ब्रिटन ने कहा, "हल्के रंग वाला वयस्क मगरमच्छ नज़र आना थोड़ा असामान्य है."
"मैंने कभी-कभार ऐसे मगरमच्छ देखे हैं, मगर जंगल में इतने बड़े आकार का ऐसा मगरमच्छ कभी नहीं देखा."
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