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ट्रांसजेंडर मॉडल, एयर होस्टेस क्यों नहीं बन सकती?

<p>&quot;इंटरव्यू के दौरान मैंने उन्हें बताया कि मैं एक सामान्य लड़की नहीं हूं. मैं एक ट्रांस-वूमन हूं. मुझे तीसरी श्रेणी के तहत एयर होस्टेस की नौकरी दी जाए. लेकिन उन्होंने मेरा आवेदन ये कहते हुए रद्द कर दिया कि एयर इंडिया में तीसरे जेंडर का विकल्प ही नहीं है. सिर्फ दो विकल्प हैं- मेल और […]

<p>&quot;इंटरव्यू के दौरान मैंने उन्हें बताया कि मैं एक सामान्य लड़की नहीं हूं. मैं एक ट्रांस-वूमन हूं. मुझे तीसरी श्रेणी के तहत एयर होस्टेस की नौकरी दी जाए. लेकिन उन्होंने मेरा आवेदन ये कहते हुए रद्द कर दिया कि एयर इंडिया में तीसरे जेंडर का विकल्प ही नहीं है. सिर्फ दो विकल्प हैं- मेल और फीमेल.&quot;</p><p>ये कहना है ट्रांस-वूमन शानवी पोनुसामी का. उन्होने तमिलनाडु से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. और फिलहाल मॉडलिंग में हाथ आजमा रही हैं.</p><p>शानवी खुले आसमान में उड़ने का सपना देखती हैं. वो एयर होस्टेस बनना चाहती हैं. उन्हें लगता है कि उनके जेंडर की वजह से उनका ये सपना टूटता हुआ नज़र आ रहा है. लेकिन वो हार नहीं मानेंगी.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-39037034">जब ‘डॉल’ हो गई ‘ट्रांसजेंडर’…</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international-41720036">मिलिए ‘प्लेब्वॉय’ की पहली ट्रांसजेंडर प्लेमेट से</a></p><h1>सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब</h1><p>इस मामले में शानवी पोनुसामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से चार हफ़्ते में जवाब मांगा है.</p><p>कोर्ट ने पूछा है कि उसके आदेश के बावजूद नौकरी के लिए तीसरे जेंडर का विकल्प क्यों नहीं रखा गया?</p><p>शानवी के वकील के मुताबिक़ एयर होस्टेस की नियुक्ति के लिए 400 पद के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिनमें से एक भी ट्रांसजेंडर के लिए नहीं था.</p><p>हालांकि बीबीसी से बातचीत में एयर इंडिया के जनसंपर्क अधिकारी जीपी राव ने कहा, &quot;शानवी को जेंडर की वजह से नहीं, बल्कि इंटरव्यू में ख़राब प्रदर्शन की वजह से नौकरी नहीं दी गई.&quot;</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41510780">कम्युनिस्ट पार्टी में पहली बार ट्रांसजेंडर </a></p><h1>’नौकरी के लिए हूं योग्य'</h1><p>लेकिन शानवी ने बताया कि उनका इंटरव्यू अच्छा हुआ था. यहां तक कि उनके लिए तालियां भी बजाई गईं.</p><p>उन्होंने बताया, &quot;मैंने चौथी बार एयर होस्टेस के लिए अप्लाई किया था. लेकिन ट्रांसजेंडर होने की वजह से हर बार मुझे रिजेक्ट कर दिया गया.&quot;</p><p>द ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स) बिल 2016 के मुताबिक़ नौकरी देने में किसी ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.</p><p>लेकिन शानवी को लगता है कि उनके साथ ये भेदभाव हुआ है. </p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41061461">दो ट्रांसजेंडर की सबसे अनोखी प्रेम कहानी </a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-38124758">’ट्रांसजेंडर होने के कारण नहीं मिल रही है नौकरी'</a></p><h1>जागरूकता की कमी</h1><p>शानवी कहती हैं, &quot;लोगों को पता ही नहीं है कि ट्रांस-वूमन क्या होती है. मैं लड़का पैदा हुई थी. छठी कक्षा में मुझे अहसास हुआ कि मैं लड़की हूं. मेरे घर वालों ने मुझे नहीं समझा. मैंने घर छोड़ दिया.&quot;</p><p>वो कहती हैं कि समाज उनके जैसे लोगों को स्वीकार नहीं करता. इसकी एक वजह लोगों में जागरूकता की कमी है.</p><p>शानवी बताती हैं, &quot;थाइलैंड जैसे देश में मां-बाप ख़ुद बच्चों को सेक्स चेंज कराने क्लिनिक लेकर जाते हैं. वो बच्चों का साथ देते हैं. वो समझते हैं कि ये सब प्राकृतिक है. मैंने भी 2014 में थाइलैंड में सेक्स चेंज सर्जरी कराई थी.&quot;</p><p>वो कहती हैं, &quot;मैं एक आम लड़की की तरह मां नहीं बन सकती. लेकिन मैं एक सामान्य लड़की की तरह रहना चाहती हूं.&quot; </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>

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