मनीला : भारत ने पाकिस्तान के साथ उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार संपर्क का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए इस परमाणु प्रसार जुड़ाव की जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि जो भी जिम्मेदार है उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए. पिछले महीने भारत की पहली महिला रक्षा मंत्री का प्रभार संभालने के बाद विदेश की अपनी पहली यात्रा पर आयीं सीतारमण ने फिलीपींस की राजधानी मनीला में कहा कि उत्तर कोरिया द्वारा किये गये परमाणु और मिसाइल परीक्षण उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है और इससे गंभीर चिंताएं पैदा हुई हैं.
यहां आसियान रक्षा मंत्रियों की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत ने उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों की निंदा की थी. सीतारमण के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, भारत ने इन परीक्षणों की निंदा की है. हम परमाणु प्रसार और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के बारे में चिंतित है जिसका भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और पूरे क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ पाकिस्तान के जुड़ाव के संदर्भ में कहा, यह आवश्यक है कि उत्तर कोरिया के परमाणु संबंधों की जांच करायी जाये और जिन्होंने भी उसके परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रम का समर्थन किया है उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाये. उत्तर कोरिया ने कई बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण किये हैं जिससे ऐसी आशंका उपजी है कि वह अमेरिका को निशाना बना सकता है और हाल में उसके अब तक के सबसे बड़े भूमिगत परमाणु परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से प्योंगयोंग पर नये प्रतिबंध लगाये गये.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि यदि अमेरिका को खुद को और अपने सहयोगियों को बचाना पड़ा तो हमारे पास उत्तर कोरिया को पूरी तरह से तबाह करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. पाकिस्तान ने गुप्त रूप से उस समय उत्तर कोरिया को परमाणु संवर्धन प्रौद्योगिकी की आपूर्ति की थी जब एक्यू खान देश के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख थे. पश्चिमी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को महत्वपूर्ण मशीनरी, प्रौद्योगिकी और तकनीकी सलाह उपलब्ध करायी थी.
इससे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार को लेकर भारत की चिंताओं को उठाया था और मांग की थी कि जो भी इसके लिए जिम्मेदार है उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाये. स्वराज ने पिछले महीने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के इतर अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और अपने जापानी समकक्ष तारो कोनो के साथ त्रिपक्षीय बैठक के दौरान यह बयान दिया था.