पटना शहर का करबिगहिया ग्रिड. यहां से पटना के महत्वपूर्ण इलाकों के फीडर्स को बिजली सप्लाई की जाती है. पिछले एक महीने से इस ग्रिड की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है
आज जहां करबिगहिया ग्रिड है, वहां कभी थर्मल पावर प्लांट था. 1970 के दशक के शुरुआती सालों में यहां पर पांच मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता था. आज यहां दो महिला इंजीनियर और नौ महिला ऑपरेटर तैनात हैं.
महिलाओं की यह टीम ही इस ग्रिड को संभाल रही हैं. यहां की सुरक्षा का जिम्मा भी महिला सुरक्षाकर्मियों के हाथ में ही है.
ख़ुशी और ज़िम्मेदारी का एहसास
अलका रानी ग्रिड में बतौर जूनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तैनात हैं. उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की है. उन्हें पिछले महीने ही फ़ोन पर इस टीम में चुने जाने की ख़बर मिली थी.
वह बताती हैं, ‘फ़ोन पर जब मुझे यह सूचना मिली तो ख़ुशी के साथ-साथ इस ज़िम्मेदारी का भी एहसास हुआ कि महिला सशक्तिकरण की इस पहल को अंजाम तक पहुंचाना है.’
‘महिलाओं में भी उतनी ही पावर होती है‘
सहायक ऑपरेटर संगीता कुमारी के मन में इस टीम में चुने जाने पर जो ख़्याल आया था, उसे उन्होंने इन शब्दों में बयान किया, ‘हम लोगों पर इतना भरोसा किया जा रहा है, केवल महिलाओं का ग्रुप होगा; यह जानना बहुत रोमांचक था. हम लोगों को जॉब शुरू किए हुए अभी सात महीने ही हुए थे. हम पर यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है.’
वैसे तो ये सभी महिलाकर्मी इसी तरह की ज़िम्मेदारियां संभाल रही थीं, मगर पूरी तरह से महिला टीम के साथ काम करने का उनका यह पहला अनुभव है.
अलका कहती हैं, ‘हमें अब यह साबित कर दिखाना है कि महिलाओं में भी उतनी ही पावर होती है. हम अच्छे से ग्रिड को संभाल सकती हैं, बिना किसी रुकावट के बिजली का प्रबंधन कर सकती हैं.’
मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
महिलाओं की यह टीम एक महीने से अधिक समय से ग्रिड की ज़िम्मेदारी बख़ूबी संभाल रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 13 अगस्त को इस टीम को सम्मानित भी किया.
टीम मेंबर्स बताती हैं कि अवॉर्ड मिलने के बाद सभी को ‘अच्छी वाली फ़ीलिंग’ हुई. प्रियंका कुमारी ग्रिड में बतौर सहायक ऑपरेटर तैनात हैं. उन्होंने बताया, ‘सम्मानित होने के बाद हम पर यह दिखाने का जुनून सा आ गया है कि लड़कियां हर काम कर सकती हैं.’
अलका कहती हैं, ‘सबसे मुश्किल काम होता है घर चलाना. महिलाएं जब यह काम इतने अच्छे से कर रही हैं तो वे कोई भी काम कर सकती हैं. आज महिलाएं पुरुषों से किसी भी चीज में पीछे नहीं हैं.’
इस बारे में संगीता कहती हैं, ‘कहने के लिए बड़ी-बड़ी बातें हो सकती हैं लेकिन हम अपने काम से ख़ुद को साबित करके दिखाएंगे.’
‘संभवत: पहला ऐसा पावर ग्रिड’
ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता हरेराम पांडेय के कहते हैं कि पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित यह देश का शायद पहला पावर ग्रिड है. वह बताते हैं, ‘विभाग महिलाओं को सभी तरह की जिम्मेदारियां उठाने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है. इस ग्रिड के पीछे की सोच यह है कि महिलाओं को आगे लेकर चला जाए. अपनी क्षमता और दक्षता सामने लाने का उनको पूरा मौका मिले.’
यहां काम कर रही महिलाकर्मियों के मुताबिक उन्हें कभी यह नहीं लगा कि सिर्फ़ महिलाएं ग्रिड संभालेंगी तो काम कैसे होगा. इस ग्रिड को संभाल रही टीम पटना के महत्वपूर्ण इलाकों के फीडर्स को बिना बाधा बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने को चुनौती की तरह लेती हैं. इसके लिए ग्रिड का रखरखाव इनका प्रमुख काम है.
अपने अब तक के अनुभव को शानदार बताते हुए यह टीम कहती है कि इस काम के लिए हमने अपना सौ फ़ीसदी झोंक दिया है.
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