इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में नये मतदाता अपनी भागीदारी देंगे. वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से इस साल के चुनाव की तस्वीर अलग है. इस बार लगभग 12 करोड़ मतदाता पहली बार अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. बिहार में 6.2 करोड़ मतदाता लोकसभा की 40 सीटों पर प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य पर अपना फैसला देंगे. निसंदेह इन मतदाताओं में महिला और युवा वोटरों की एक अहम भूमिका है. हर चुनाव की तरह इस बार भी तमाम राजनीतिक दलों ने महिलाओं को टिकट देने में उदासीनता बरती है. लोकतंत्र के इस महापर्व में इन वर्गो के लिए क्या पहल होनी चाहिए? इसके साथ ही कई और मुद्दों पर सुजीत कुमार ने बिहार चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसेडर अभिनेत्री रतन राजपूत से बात की.
आप बिहार चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर हैं. मतदान के लिए युवा और महिला को जागरूक करती हैं. इन दोनों तबकों के लिए क्या पहल करने की जरूरत है?
दोनों तबकों की कुछ जरूरत समान है तो कुछ अलग है. सबसे पहले मूलभूत सुविधा पूरी करने की जरूरत है. आज के युवा व महिलाएं किसी मायने में पुरुषों या दूसरे वर्गो से कम नहीं हैं. शिक्षा दोनों की जरूरत है. शिक्षा के बाद रोजगार दोनों की जरूरत है. मूलभूत सुविधा तो पूरी होनी ही चाहिए. महिला कार्य भी करती है तो घर भी चलाती है. पुरुष या युवा शिक्षा ग्रहण करते हैं तो उसके बाद उनकी जरूरत रोजगार की है. शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह रोजगार के लिए कहां जायेंगे? महिलाओं में एक सबसे बड़ी बात यह है कि उनके लिए सुरक्षा देने की बड़ी पहल करने की आवश्यकता है.
मतदान के प्रति आम जन में जागृति हो, इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने की पहल होनी चाहिए?
मतदान लोकतंत्र का सबसे अहम हिस्सा है. इसमें लोगों को खुल कर पूरी भागीदारी देने की जरूरत होनी चाहिए. हर राजनीतिक दल अपने स्तर पर मतदाताओं को जागरूक तो करते ही है. चुनाव आयोग को भी पहल करने की जरूरत है. चुनाव आयोग पहल करता भी है. इसके लिए वह हर स्तर पर चाहे वह नुक्कड़ नाटक हो या फिर बैनर, पोस्टर, पंफलेट, रेडियो, टीवी पर इसका विज्ञापन कर यह बताता है कि आप अपने मत का इस्तेमाल जरूर करें. यह लोकतंत्र का सबसे अहम हिस्सा है. अब मेरा कहना है कि मतदान के जागरूकता के लिए और भी पर्सनल स्तर पर पहल करने की जरूरत है. शहर में लोग गांव की अपेक्षा थोड़े जागरूक हैं. इनमें महिलाएं भी हैं और युवा भी हैं.
गांव के लोगों के लिए विशेष स्तर पर उनसे जुड़ कर पहल करने की बहुत जरूरत है. मतदान करने और न करने के लाभ और हानि के बारे में उनको बताने की आवश्यकता है. एक दम विस्तार से कि, कैसे उनका एक वोट देश के विकास में हिस्सेदारी निभाता है. देश के विकास के लिए मतदान कितना कीमती है? यह सब विस्तार से बताने पर निश्चित ही इसमें फर्क आयेगा. अब हमारी ही बात लीजिए, हम एक चेहरा है. टीवी पर आते हैं.
ठीक है हमारे द्वारा किये गये पहल का असर पड़ता है, लेकिन जब गांव की जनता के बीच जुड़ कर उनके साथ बात कर के, उनके साथ बैठ के जब मत और उसका महत्व बतायेंगे तो इसका एक अलग असर पड़ेगा. यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है.
मतदान तो बहुत जरूरी है लेकिन मतदान के लिए हर एक वोट कीमती है. इसके बारे में लोगों को किस तरीके से बताने की आवश्यकता है?
हर मत मायने रखता है. एक मत से क्या से क्या हो जाता है. इसलिए मतदान के प्रति जागृति बहुत जरूरी है. एक वोट पूरी कायापलट कर सकता है. जो काम ब्रांड एंबेसडर बन कर हम नहीं कर सकते वह काम गांव का एक आदमी अपना मत देकर कर सकता है. राज्य का हर नागरिक अपना मत प्रदान करे. साथ ही दूसरों को भी इसके महत्व के बारे में बताये तब इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे. सरकार के काम काज पर उंगली उठती रहती है. हर कोई सरकार के काम काज को अपने स्तर पर देखता और समझता है. मेरा अपना मानना है कि आप सरकार को तब ही कुछ कह सकते हैं जब आप वोट प्रदान करेंगे.
जब वोट ही नहीं देंगे तो सरकार के काम पर कैसे उंगली उठायेंगे? किसी एक इंसान के बस में नहीं है कि वह पूरी व्यवस्था में सुधार ला सके लेकिन जब वह अपने सामाजिक दायित्व को पूरा करेगा साथ ही दूसरे को भी इसके बारे में बतायेगा तो निश्चित ही इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे.
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल लोकसभा में अटका हुआ है. इस मामले में क्या कहना चाहेंगी?
महिला से जुड़ा मामला हो या फिर कोई और मामला, हमारे यहां अटकने की प्रथा है. यह नहीं होना चाहिए. इसे खत्म करने की जरूरत है. मैं तो कहूंगी कि कृपया इंतजार मत कराये. जितनी जल्द हो सके इस बिल को पास कराये. महिलाओं को लेकर, उनकी कार्यक्षमता को लेकर उंगली उठाने की जो प्रवृत्ति है उस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. अब धारणा और समाज दोनों बदल रहे हैं. हमारी कार्यक्षमता पर संदेह नहीं करें. हम बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में अच्छा काम कर रही हैं. उनके आगे बढ़ने का मौका प्रशस्त करने की जरूरत है.
वर्ष 2014 के चुनाव में राज्य की 40 लोकसभा सीट पर केवल 14 महिला प्रत्याशी को विभिन्न राजनीतिक दलों ने मौका दिया है. क्या यह संख्या और बढ़नी चाहिए थी?
इसे मैं सकारात्मक रुप में लेना चाहूंगी. चलिए कम से कम 4 तो नहीं है, लेकिन यह भी कहना चाहूंगी कि 14 ही क्यों? इस संख्या को 24 तक पहुंचना चाहिए. महिलाओं में हर तरह की क्षमता होती है. वह संसद में जनहित से जुड़े मामलों को बढ़िया तरीके से उठा सकती हैं. राजनीतिक दल महिलाओं को चुनाव में खड़े होने का मौका तो दे. तब जाकर पता चलेगा कि महिला काम करने में कितना सक्षम है.
मतदान के प्रतिशत में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलता है. इसे कैसे दूर कर सकते हैं?
जब आप चुनाव के समय किये गये वादे को पूरा नहीं करेंगे तो यही देखने को मिलेगा. वादा करके पूरा नहीं करने पर इस तरह की बात सामने आती है. जैसे लगातार बढ़ती हुई महंगाई का ही मामला देखिए. लोगों का यह मानना है कि वोट दें या न दें महंगाई तो बढ़ेगी ही. चाहे कोई भी सरकार आयेगी वह महंगाई पर कैसे रोक लगाएगी?
बस यही सोच कर लोग मत देने से कतराते हैं. दूसरी बात यहां यह भी है कि मत देने वालों में हर प्रकार के लोग शामिल हैं. वृद्धजन, नि:शक्त लोग भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं. उनके लिए मतदान केंद्र पर कोई माकूल व्यवस्था नहीं रहती है. इन सब बातों का भी असर पड़ता है. लेकिन सबसे ज्यादा असर पड़ता है वादा कर के पूरा नहीं करने का. वादा करें तो पूरा करें. मतदान का प्रतिशत खुद बढ़ जायेगा.
देश के कई राज्यों की सीएम महिलाएं हैं. यूपीए की अध्यक्ष महिला है. लोकसभा की अध्यक्ष महिला है. इसके बाद भी हर राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट देने में उदासीन हैं. महिलाओं को ज्यादा टिकट मिले इसके लिए क्या पहल होनी चाहिए?
जो सक्षम हैं उनको आगे बढ़ाना चाहिए. उनको मौका देना चाहिए. औरतों को यह कहा जाता हैं कि वह यह नहीं कर पायेगी, वह नहीं कर पायेगी. इस सोच में बदलाव लाना होगा. इस पूरी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. जब महिलाएं बाकी काम को सफलता से कर रही हैं तो वह राजनीति में क्यों नहीं सफल होगी? जब एक महिला अपने परिवार को सौ प्रतिशत संभालती है तो वह सरकार क्यों नहीं संभाल सकती?
बिहार में करीब 16.50 लाख मतदाता इस चुनाव में पहली बार अपना मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. युवा वर्ग के लिए राजनीतिक दलों की क्या प्राथमिकता होनी चाहिए?
सबसे पहले तो मैं इन लोगों को यह कहना चाहूंगी कि वह अपनी बुद्धि और सोच को विस्तृत कर के अपना मत प्रदान करे. साथ ही अपने साथ, कॉलेज के अन्य साथियों को मत के लिए जागरूक करे. मत देने से क्या लाभ है इसके बारे में बताये. अपनी जिम्मेदारी को समङो और मत जरूर प्रदान करे.
चुनाव को लेकर आप कुछ कहना चाहती हैं?
सरकार जो भी कहती हो उसे जरूर पूरा करे. आम जिंदगी सरल हो. लोगों को कम से कम असुविधा हो. सबकी जरूरत पूरी हो. इन सब बातों पर सरकार का ध्यान होना चाहिए. साथ ही लोगों से अपील है कि वह ज्यादा से ज्यादा अपना मत प्रदान करे ताकि मजबूत लोकतंत्र कायम हो. सरकार बनेगी तो बदलाव जरूर आयेगा. छोटी-छोटी लेकिन अहम बातों पर ध्यान देना होगा.