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चीन – पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत ले सकता है थाइलैंड और बर्मा की मदद

नयी दिल्ली : डोकलाम मुद्दे पर भारत और चीन के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में BIMSTEC का आयोजन किया गया. भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज अपने भूटानी समकक्ष दामचो दोरजी से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई. डोकलाम मुद्दे को लेकर जिन तीन देशों के बीच आपस […]

नयी दिल्ली : डोकलाम मुद्दे पर भारत और चीन के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में BIMSTEC का आयोजन किया गया. भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज अपने भूटानी समकक्ष दामचो दोरजी से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई. डोकलाम मुद्दे को लेकर जिन तीन देशों के बीच आपस में तनाव है, उसमें भूटान भी शामिल है. भूटान ने चीन का डोकलाम पर दावे को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी है.

चीन के साथ तनाव के बीच क्यों बिम्सटेक है अहम

ऐसे वक्त में जब भारत और चीन के बीच जबर्दस्त तनाव का माहौल बना है. बिम्सटेक में भारत और चीन दोनों के पड़ोसी देश दोनों ने भाग लिया. समझा जा रहा है कि भारत इस मंच से डोकलाम मुद्दे को लेकर अपनी बात कहने में कामयाब रहा. इस बैठक में साउथ इस्ट एशिया के देश बर्मा और थाइलैंड ने भी हिस्सा लिया.

क्या है BIMSTEC ?

बिम्सटेक को सार्क के विकल्प के रूप में देखा जाता है. पाकिस्तान छोड़ दक्षिण भारत के लगभग सारे देश इस संगठन के सदस्य है. बंगाल की खाड़ी से सटे देशों का यह समूह है. सदस्य देशों में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल बिम्सटेक शामिल है. पांच देश दक्षिण एशिया के हैं, जबकि दो देश बर्मा और थाइलैंड साउथ – इस्ट एशिया भूभाग से आते हैं. चीन के सिल्क रोड के जवाब में भारत थाइलैंड तक हाइवे निर्माण बनाने का काम जारी है.

क्या है उद्देश्य

बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्सयपालन में सहयोग को लेकर सहमति बनी थी. इस सहयोग को आगे बढ़ाते हुए कृषि, पर्यावरण, चिकित्सा, गरीबी,आतंकवाद खात्मा, पर्यावरण, संस्कृति और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी आपसी सहयोग के उद्देश्य रखे गये थे.

भारत से अच्छे संबंध रखने वाले देशों के निरंतर संपर्क में रहता है चीन

जिन देशों का भारत के साथ मधुर संबंध नहीं है. उन देशों के साथ चीन ने कारोबारी संबंध बनाये.चीन ने पाकिस्तान में 46 अरब डॉलर का निवेश किया है. इसे पाकिस्तान के इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है. वहीं श्रीलंका में भी चीन ने भारी निवेश कर रखा है. बांग्लादेश और नेपाल के साथ भी चीन के दरवाजे खुले हैं.

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