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बदलाव करें, लेकिन बहुत धीरे-धीरे

।। दक्षा वैदकर।। बदलाव अच्छे होते हैं. हर कंपनी को, हर कर्मचारी को, हर व्यक्ति को अपने काम में बदलाव करते रहना चाहिए. इससे नयापन आयेगा, बोरियत कम होगी और कंपनी ग्रो करेगी. जो लोग बदलाव नहीं करते, उनका विकास रुक जाता है. यदि कंपनी भी सालों-साल एक ही विचारधारा पर चले, बिना कुछ बदलाव […]

।। दक्षा वैदकर।।

बदलाव अच्छे होते हैं. हर कंपनी को, हर कर्मचारी को, हर व्यक्ति को अपने काम में बदलाव करते रहना चाहिए. इससे नयापन आयेगा, बोरियत कम होगी और कंपनी ग्रो करेगी. जो लोग बदलाव नहीं करते, उनका विकास रुक जाता है. यदि कंपनी भी सालों-साल एक ही विचारधारा पर चले, बिना कुछ बदलाव किये, नियमों को बदले, तो उसे भी नुकसान ङोलना ही पड़ेगा. सवाल यह उठता है कि क्या बदलाव करना इतना आसान है? कई लोग बदलाव के नाम से इतना डर जाते हैं कि विरोध में खड़े हो जाते हैं.

जब भी किसी कंपनी में बदलाव की शुरुआत होती है, तो कंपनी के कुछ कर्मचारी इसका बहुत विरोध करते हैं. इस स्थिति में अधिकारियों को बदलाव के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. अधिकारियों को चाहिए कि वे ऑफिस में सभी को बतायें कि क्या बदलाव किया जा रहा है और क्यों किया जा रहा है? इससे किस तरह का फायदा होगा. कई बार संवादहीनता की वजह से कर्मचारियों के मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होते हैं और उससे नकारात्मक माहौल पैदा होता है. ऑफिस का माहौल अच्छा रहे, इसके लिए आपको ऐसा माहौल बनाना होगा कि लोग बदलाव पर विश्वास करेंऔर उसके फायदों को समङों. आपको अपने फैसलों के बारे में पारदर्शी रहना होगा. इससे लोग बदलाव में सहभागिता दशायेंगे.

आपको ऑफिस के कर्मचारियों के मन में चल रही नकारात्मक बातों का सही समय पर जवाब देना होगा. बदलाव के लिए दूसरों को तैयार करने से पहले बतौर लीडर आपको आगे बढ़ कर पहल करनी होगी. खुशी-खुशी बदलावों को स्वीकार करना होगा. जब आप ऐसा करेंगे, तो कर्मचारी भी आपसे प्रेरित होंगे. एक अच्छा लीडर वही होता है, जो बदलाव को पहचानने के लिए सभी को साथ ले कर आगे बढ़े. टीम के साथ बैठे और बदलाव के विकास क्रम पर चरचा करे. बदलाव के दौरान हर छोटी-मोटी बात पर कर्मचारियों से राय ले. जब आप इस तरह सकारात्मक रूप से धीरे-धीरे उन्हें यह सब समझाते हैं, तो कर्मचारी विरोध करने के बजाय इसे अपनाने लगते हैं.

बात पते की..

टीम के मेंबर्स की मॉनिटरिंग करते रहें कि कौन कितना बदला है. ध्यान रहे कि बदलाव एक झटके में न हो, वरना टीम का संतुलन बिगड़ सकता है.

बदलाव इस तरह धीरे-धीरे हो कि लोग बिना किसी तकलीफ व घबराहट के उसे अपना लें और उन्हें इस बात का अहसास भी न हो.

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