डिजिटल दुनिया में सूचना के आदान-प्रदान को नया आयाम दिया है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में डिजिटल विकास जितनी तेजी से हो रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं. इंटरनेट, ऑनलाइन लेनदेन और डिजिटल साक्षरता की कमी ने साइबर अपराधियों को और अधिक सक्रिय बना दिया है, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता बढ़ गई है.
साइबर ठगी क्या है?
यह एक प्रकार का साइबर अपराध है, जिसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी, डेटा चोरी, सिस्टम हैकिंग और फिरौती जैसी आपराधिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं. साइबर अपराधी उपयोगकर्ताओं की गोपनीय जानकारी चुराने और उसका दुरुपयोग करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं.
प्रमुख साइबर धोखाधड़ी के प्रकार:
मैलवेयर: कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाला हानिकारक सॉफ्टवेयर.
फिशिंग: नकली ईमेल के जरिए संवेदनशील जानकारी चुराने की कोशिश.
स्मिशिंग: टेक्स्ट मैसेज के जरिये बैंकिंग विवरण चुराने की तकनीक.
विशिंग: फोन कॉल या वॉयस मैसेज द्वारा धोखाधड़ी.
पहचान की चोरी: व्यक्तिगत जानकारी चुराकर गलत इस्तेमाल करना.
ऑनलाइन घोटाले: नकली निवेश और फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से ठगी.
साइबर स्टॉकिंग: इंटरनेट के जरिये किसी को धमकाना या परेशान करना.
डीओएस हमला: वेबसाइट या नेटवर्क को निष्क्रिय करने के लिए किया गया साइबर अटैक.
इसके अलावा, रैनसमवेयर, सिम स्वैप, ओटीपी फ्रॉड, मनी म्यूल, डिजिटल अरेस्ट जैसी अन्य धोखाधड़ी तकनीकें भी प्रचलित हैं.
साइबर ठगी की शिकायत कहां करें?
यदि आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, तो तुरंत टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें. इसके अलावा, राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल, RBI का सचेत पोर्टल और दूरसंचार विभाग का चक्षु पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!
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